सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

*अति दुर्लभ एक ग्रंथ ऐसा भी है हमारे सनातन धर्म मे*इसे तो सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए ---By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब*यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ*क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़ेतो कृष्ण कथा के रूप में होती है ।जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है।इस ग्रन्थ को‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधेपढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है औरविपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा (उल्टे यानी विलोम)के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक।पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है ~ "राघवयादवीयम।"उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैःवंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥अर्थातःमैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं, जोजिनके ह्रदय में सीताजी रहती है तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्री की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस लौटे।अब इस श्लोक का विलोमम्: इस प्रकार हैसेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥अर्थातःमैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण केचरणों में प्रणाम करता हूं, जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथविराजमान है तथा जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है।" राघवयादवीयम" के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं:-राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणिवंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥विलोमम्:सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा ।पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ॥ २॥विलोमम्:वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः ।राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा ॥ २॥कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका ।सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ॥ ३॥विलोमम्:भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा ।कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥ ३॥रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् ।नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ॥ ४॥विलोमम्:यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः ।तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ॥ ४॥यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ ।तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ॥ ५॥विलोमम्:तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं ।सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ॥ ५॥मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं ।काविरामदलापागोसमावामतरानते ॥ ६॥विलोमम्:तेन रातमवामास गोपालादमराविका ।तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ॥ ६॥रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते ।कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥विलोमम्:मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका ।तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ॥ ७॥सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया ।साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ॥ ८॥विलोमम्:हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा ।यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा ॥ ८॥सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया ।सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ॥ ९॥विलोमम्:सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा ।यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा ॥ ९॥तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा ।यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ॥ १०॥विलोमम्:हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया ।सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ॥ १०॥वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो ।भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥ ११॥विलोमम्:सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः ।होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ॥ ११॥यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥ १२॥विलोमम्:भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा ।वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥ १२॥रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह ।यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ॥ १३॥विलोमम्:नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया ।हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ॥ १३॥यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् ।सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ॥ १४॥विलोमम्:यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः ।गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा ।ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥ १५॥विलोमम्:नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥ १५॥सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् ।तं द्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा ॥ १६॥विलोमम्:हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् ।जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः ॥ १६॥सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः ।न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ॥ १७ विलोमम्:तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन ।सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा ॥ १७॥तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत ।वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ॥ १८॥विलोमम्:केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः ।ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् ॥ १८॥गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया ।सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा ॥ १९॥विलोमम्:हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस ।यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ॥ १९॥हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः ।राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ॥ २०॥विलोमम्:घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः ।धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ॥ २०॥ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः ।हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि ॥ २१॥विलोमम्:विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा ।ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥ २१॥भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा ।चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ॥ २२॥विलोमम्:ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा ।हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ॥ २२॥हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः ।तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ॥ २३॥विलोमम्:योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् ।जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ॥ २३॥भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं ।तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ॥ २४॥विलोमम्:विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं ।तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ॥ २४॥हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि ।राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ॥ २५॥विलोमम्:यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा ।निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ॥ २५॥सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः ।तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ॥ २६॥विलोमम्:जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं ।हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ॥ २६॥वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः ।तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ॥ २७॥विलोमम्नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः ।सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ॥ २७॥हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः ।चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ॥ २८॥विलोमम्हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा ।सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ॥ २८॥नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका ।रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ॥ २९॥विलोमम्:नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा ।कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ॥ २९॥साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ॥ ३०॥विलोमम्:भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।सगौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ॥ ३०॥॥ इति श्रीवेङ्कटाध्वरि कृतं श्री ।।*कृपया अपना थोड़ा सा कीमती वक्त निकाले और उपरोक्त श्लोको को गौर से अवलोकन करें कि यह दुनिया में कहीं भी ऐसा न पाया जाने वाला ग्रंथ है ।*💐💐जय श्री राम💐 जय जय श्री कृष्णा 💐💐🙏🙏

*अति दुर्लभ एक ग्रंथ ऐसा भी है हमारे सनातन धर्म मे* इसे तो सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए --- By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब *यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ* क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े तो कृष्ण कथा के रूप में होती है । जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा (उल्टे यानी विलोम)के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक। पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है ~ "राघवयादवीयम।" उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः । रामो रामाधीराप्यागो लीलामार...

Can you name the characters that are found in both the Ramayana and the Mahabharata?There were many such characters e.g.By social worker Vanita Kasani PunjabHanuman ji4Jambwantji4Vibhishanji4Parashuramaji

क्या आप उन पात्रों का नाम बता सकते हैं जो रामायण और महाभारत दोनों में पाए जाते हैं? ऐसे कई पात्र थे उदाहरण के लिए By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब हनुमानजी जांबवंतजी विभीषणजी परशुरामजी कई सारे ऋषि मुनि मयासुर इत्यादि

17-05-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन"मीठे बच्चे - बाबा आये हैं, आप बच्चों को अपने समान महिमा लायक बनाने, बाप की जो महिमा है वह अभी तुम धारण करते हो''प्रश्नः-भक्तिमार्ग में परमात्मा माशुक को पूरा न जानते भी कौन से शब्द बहुत प्यार से बोलते और याद करते हैं?उत्तर:-बहुत प्यार से कहते और याद करते हैं हे माशूक तुम जब आयेंगे तो हम सिर्फ आपको ही याद करेंगे और सबसे बुद्धियोग तोड़ आपके साथ जोड़ेंगे। अब बाप कहते हैं बच्चे, मैं आया हुआ हूँ तो देही-अभिमानी बनो। तुम्हारा पहला फ़र्ज है - प्यार से बाप को याद करना।ओम् शान्ति। मीठे-मीठे जीव की आत्माओं को, परमपिता परमात्मा (जिसने अब शरीर का लोन लिया है) बैठ समझाते हैं कि मैं साधारण बूढ़े तन में आता हूँ। आकर बहुत बच्चों को पढ़ाता हूँ। ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण बच्चों को ही समझायेंगे। जरूर मुख द्वारा ही समझायेंगे और किसको समझायेंगे। कहते हैं - बच्चे, तुम मुझे भक्ति मार्ग में बुलाते आये हो - हे पतित-पावन, भारत खास और दुनिया में आम सब बुलाते हैं। भारत ही पावन था, बाकी सब शान्तिधाम में थे। बच्चों को यह स्मृति में रखना चाहिए कि सतयुग-त्रेता किसको कहा जाता है, द्वापर-कलियुग किसको कहा जाता है। उनमें कौन-कौन राज्य करते थे, तुम्हारी बुद्धि में पूरी नॉलेज है। जैसे बाप को रचना के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान है, वैसे तुम्हारी बुद्धि में भी है। बाप जो ज्ञान देते हैं वह बच्चों में भी जरूर होना चाहिए। बाप आकर बच्चों को आप समान बनाते हैं। जितनी बाप की महिमा है उतनी बच्चों की है। बाप ने बच्चों को जास्ती महिमावान बनाया है। हमेशा समझो कि शिवबाबा इन द्वारा सिखाते हैं। आत्मा ही एक-दो से बात करती है। परन्तु मनुष्य देह-अभिमानी होने के कारण समझते हैं, फलाना पढ़ाता है। वास्तव में करती सब कुछ आत्मा है। आत्मा ही पार्ट बजाती है। देही-अभिमानी बनना है। घड़ी-घड़ी अपने को आत्मा समझना है। जब तक अपने को आत्मा नहीं समझेंगे तो बाप को भी याद नहीं कर सकेंगे। भूल जाते हैं। तुमसे पूछा जाता है - तुम किसके बच्चे हो? तो कहते हो हम शिवबाबा के बच्चे हैं। विजीटर बुक में भी लिखा हुआ है - तुम्हारा बाप कौन है? तो झट देह के बाप का नाम बतायेंगे। अच्छा - अब देही के बाप का नाम बताओ। तो कोई कृष्ण का, कोई हनूमान का नाम लिखेंगे या तो लिखेंगे - हम नहीं जानते। अरे, तुम लौकिक बाप को जानते हो और पारलौकिक बाप जिनको तुम हमेशा दु:ख में याद करते हो, उनको नहीं जानते हो! कहते भी हैं, हे भगवान रहम करो। हे भगवान एक बच्चा दो। माँगते हो ना। अब बाप बिल्कुल सहज बात बताते हैं। तुम देह-अभिमान में बहुत रहते हो इसलिए बाप के वर्से का नशा नहीं चढ़ता है। तुमको तो बहुत नशा चढ़ना चाहिए। भक्ति करते ही हैं - भगवान से मिलने के लिए। यज्ञ, तप, दान-पुण्य आदि करना यह सब भक्ति है। सब एक भगवान को याद करते हैं। बाप कहते हैं - मैं तुम्हारा पतियों का पति हूँ, बापों का बाप हूँ। सब बाप भगवान को याद जरूर करते हैं। आत्मायें ही याद करती हैं। भल कहते भी हैं, भ्रकुटी के बीच में चमकता है अजब सितारा... परन्तु यह बिगर समझ के ऐसे ही कह देते हैं। रहस्य का कुछ भी पता नहीं। तुम आत्मा को ही नहीं जानते हो तो आत्मा के बाप को कैसे जान सकेंगे। दीदार तो होता है भक्ति मार्ग वाला। भक्ति मार्ग में पूजा के लिए बड़ा-बड़ा लिंग रख देते हैं क्योंकि अगर बिन्दी का रूप दिखायें तो कोई समझ न सके। यह है महीन बात। परमात्मा जिसको अखण्ड ज्योति स्वरूप कहते हैं, मनुष्य कहते हैं उनका कोई बहुत बड़ा रूप है। ब्रह्म समाजी मठ वाले ज्योति को परमात्मा कहते हैं। दुनिया में यह किसको पता नहीं है कि परमपिता परमात्मा बिन्दी है, तो मूँझ पड़े हैं। बच्चे भी कहते हैं, बाबा किसको याद करें। हमने तो सुना था वह बड़ा लिंग है, उनको याद किया जाता है। अब बिन्दी को कैसे याद करें? अरे तुम आत्मा भी बिन्दी हो, बाप भी बिन्दी है। आत्मा को बुलाते हैं, वह जरूर यहाँ ही आकर बैठेंगे। भक्ति मार्ग में जो साक्षात्कार आदि होता है, यह है सब भक्ति। भक्ति भी एक की नहीं करते, बहुतों को भगवान बना दिया है। भगत जो भक्ति करते रहते हैं, उनको भगवान कैसे कहेंगे। अगर परमात्मा सर्वव्यापी कहते हैं तो फिर भक्ति किसकी करते हैं। सो भी भिन्न प्रकार की भक्ति करते हैं।बाप समझाते हैं - बच्चे, ऐसे मत समझो कि हमको अनेक वर्ष जीना है। अभी समय बहुत नजदीक होता जाता है। निश्चय रखना है, बाबा को ब्रह्मा द्वारा स्थापना करानी है। बाप खुद कहते हैं - मैं इस द्वारा तुमको सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का राज़ बताता हूँ। गाते भी हैं - ब्रह्मा द्वारा स्थापना। यह नहीं जानते कि नई दुनिया को विष्णुपुरी कहा जाता है अर्थात् विष्णु के दो रूप राज्य करते थे। किसको पता नहीं है कि विष्णु कौन है। तुम जानते हो कि यह ब्रह्मा-सरस्वती ही फिर विष्णु के दो रूप लक्ष्मी-नारायण बन पालना करते हैं। ब्रह्मा द्वारा स्थापना, विष्णुपुरी अर्थात् स्वर्ग की फिर पालना करेंगे। तुम्हारी बुद्धि में आना चाहिए - बाप ज्ञान का सागर है। मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है। वह इस ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त को जानते हैं। वही पतित-पावन है, जो बाप का धन्धा है, वही तुम्हारा है। तुम भी पतित से पावन बनाते हो। दुनिया में एक बाप के 3-4 बच्चे होंगे, कोई बच्चा बहुत ऊंचा चढ़ा हुआ होगा, कोई बिल्कुल नीचे होगा। यहाँ तुमको बाप एक ही धन्धा सिखाते हैं कि तुम पतितों को पावन बनाओ। सबको यह लक्ष्य दो कि शिवबाबा कहते हैं - मुझे याद करो। गीता में कृष्ण भगवानुवाच उल्टा लिख दिया है। तुमको समझाना है - भगवान तो निराकार, पुनर्जन्म रहित है। बस यही भूल है। अभी तुम बच्चे कृष्णपुरी के मालिक बन रहे हो। कोई राजधानी में आते हैं, कोई प्रजा में। कृष्णपुरी कहा जाता है क्योंकि कृष्ण सभी को बहुत ही प्यारा है। बच्चे प्यारे लगते हैं ना। बच्चों का भी माँ-बाप से प्यार हो जाता है। प्यार सारा बिखर जाता है। अब बाप समझाते हैं - तुम अपने को शरीर मत समझो। घड़ी-घड़ी अपने को आत्मा निश्चय करो। आत्म-अभिमानी बनो। बाप भी निराकार है। यहाँ भी शरीर लेना पड़ता है - समझाने के लिए। बिगर शरीर तो समझा नहीं सकेंगे। तुमको तो अपना शरीर है, बाबा फिर लोन लेते हैं। बाकी इसमें प्रेरणा आदि की बात ही नहीं। बाप खुद कहते हैं - मैं यह शरीर धारण कर बच्चों को पढ़ाता हूँ क्योंकि तुम्हारी आत्मा जो अभी तमोप्रधान बन गई है, उनको सतोप्रधान बनाना है। गाते भी हैं, पतित-पावन आओ, परन्तु अर्थ नहीं समझते। अभी तुम समझते हो - बाप कैसे आकर पावन बनाते हैं। यह भी तुम जानते हो। सतयुग में सिर्फ हमारा ही छोटा झाड़ होगा, तुम स्वर्ग में जायेंगे। बाकी जो इतने खण्ड हैं उनका नाम-निशान नहीं होगा। भारत खण्ड ही स्वर्ग होगा। परमपिता परमात्मा ही आकर हेविन की स्थापना करते हैं। अभी हेल है। प्राचीन भारत खण्ड ही है जहाँ देवताओं का राज्य था, अब नहीं है। उन्हों के यहाँ मन्दिर हैं, चित्र हैं। तो भारत की ही बात हुई। यह कोई भी भारतवासी की बुद्धि में नहीं आता कि भारत स्वर्ग था, यह लक्ष्मी-नारायण मालिक थे और कोई खण्ड नहीं था। अब तो अनेक धर्म आ गये हैं। भारतवासी धर्म-भ्रष्ट, कर्म-भ्रष्ट बन गये हैं। कृष्ण को श्याम-सुन्दर कह देते हैं परन्तु अर्थ नहीं समझते। बरोबर यह सांवरा था ना। कहते हैं कृष्ण को सर्प ने डसा तो सांवरा हो गया। अब वह तो सतयुग का प्रिन्स था, कैसे काला हो गया। अभी तुम यह बातें समझते हो। कृष्ण के माँ-बाप भी अभी पढ़ रहे हैं। माँ-बाप से उत्तम श्रीकृष्ण गाया हुआ है। माँ-बाप का कोई नाम नहीं है। नहीं तो जिस माँ-बाप से ऐसा बच्चा पैदा हुआ वह माँ-बाप भी प्यारे होने चाहिए। परन्तु नहीं, महिमा सारी राधे-कृष्ण की है। माँ-बाप की कुछ है नहीं। तुम्हारी बुद्धि में ज्ञान है। ज्ञान है दिन, भक्ति है रात। अन्धियारी रात में ठोकरें खाते रहते हैं।अभी तुम बच्चों को समझाया जाता है - घर में रहो, यह सर्विस भी करते रहो। कोई को भी समझाओ तुम आधाकल्प के आशिक हो, एक माशूक के। भक्ति मार्ग में सभी उनको याद करते हैं तो आशिक ठहरे ना। परन्तु माशूक को पूरा जानते नहीं हैं। याद बहुत प्यार से करते हैं, हे माशूक तुम जब आयेंगे तो हम सिर्फ आपको ही याद करेंगे और सबसे बुद्धियोग तोड़ आपके साथ जोड़ेंगे। ऐसे तो गाते थे ना, परन्तु बाप से हमको क्या वर्सा मिलता है, यह किसको भी पता नहीं है। अब बाप समझाते हैं - तुम देही-अभिमानी बनो। बाप को याद करना तुम बच्चों का पहला फ़र्ज है। बच्चा हमेशा बाप को, बच्ची माँ को याद करती है। हमजिन्स हैं ना। बच्चा समझता है हम बाप का वारिस बनेंगे। बच्ची थोड़ेही कहेगी, वह तो समझती है हमको पियरघर से ससुरघर जाना है। अब तुम्हारा निराकार और साकार पियरघर है। बुलाते भी हैं, हे परमपिता परमात्मा रहम करो। दु:ख हरो सुख दो, हमें लिबरेट करो, हमारा गाइड बनो। परन्तु उसका अर्थ बड़े-बड़े विद्वान आचार्य भी नहीं जानते हैं। बाप तो सर्व का लिबरेटर है, वही सबका कल्याणकारी है। बाकी वह अपना ही कल्याण नहीं कर सकते तो औरों का क्या करेंगे। यहाँ बाप कहते हैं - मैं गुप्त आता हूँ, खुदा-दोस्त की कहानी सुनी है ना। अब यह पुल है कलियुग और सतयुग के बीच का, उस पार जाना है। अब खुदा तो बाप है, दोस्त भी है। माता, पिता, शिक्षक का पार्ट भी बजाते हैं। यहाँ तुमको साक्षात्कार होता है तो जादू-जादू कह देते हैं। साक्षात्कार तो नौधा भक्ति वालों को भी होते हैं, बहुत तीखे भक्त होते हैं। दर्शन दो नहीं तो हम गला काटते हैं, तब साक्षात्कार होता है, उनको नौधा भक्ति कहा जाता है। यहाँ नौंधा भक्ति की बात नहीं। घर में बैठे-बैठे भी बहुतों को साक्षात्कार होते रहते हैं। दिव्य दृष्टि की चाबी मेरे पास है। अर्जुन को भी मैंने दिव्य दृष्टि दी ना। यह विनाश देखो, अपना राज्य देखो। अब मामेकम् याद करो तो यह बनेंगे। अभी तुम समझते हो - विष्णु कौन है? मन्दिर बनाने वाले खुद नहीं जानते। विष्णु द्वारा पालना, 4 भुजा का अर्थ ही है - 2 भुजा मेल की, 2 फीमेल की। विष्णु के दो रूप लक्ष्मी-नारायण हैं। परन्तु कुछ भी समझते नहीं हैं। किसका भी ज्ञान नहीं है। न शिवबाबा का, न विष्णु का। पहले-पहले बाबा का आकर्षण था, बहुत आते थे। शुरूआत में सारा आंगन भर जाता था। जज, मजिस्ट्रेट सब आते थे। फिर विकार का झगड़ा शुरू हुआ, कहने लगे बच्चे नहीं पैदा होंगे तो सृष्टि कैसे चलेगी। यह तो सृष्टि बढ़ने का कायदा है। गीता की बात ही भूल गये कि भगवानुवाच - काम महा-शत्रु है, उस पर जीत पानी है। कहने लगे स्त्री-पुरूष दोनों इकट्ठे आयें तो उनको ज्ञान दो। अकेले को नहीं दो। अब दोनों भी आयें तो देवें ना। देखो दोनों को इकट्ठा भी देते हैं तो भी कोई ज्ञान लेते हैं, कोई नहीं लेते हैं। तकदीर में नहीं होगा तो क्या कर सकते हैं। एक हँस, एक बगुला बन पड़ते हैं। यहाँ तुम ब्राह्मण, देवताओं से भी उत्तम हो। जानते हो - हम ईश्वरीय सन्तान हैं, शिवबाबा के बच्चे हैं। वहाँ स्वर्ग में तुमको यह ज्ञान नहीं रहेगा, न जब निराकारी दुनिया मुक्तिधाम में होंगे तब यह ज्ञान होगा। यह ज्ञान शरीर के साथ ही खत्म हो जाता है। अभी तुमको ज्ञान है, एक बाबा पढ़ा रहे हैं। अब यह खेल पूरा होता है, सब एक्टर्स हाजिर हैं। बाबा भी आया है। रही हुई आत्मायें भी आती रहती हैं। जब सब आ जायेंगे तब विनाश होगा फिर सबको बाप साथ ले जायेगा। सबको जाना है, इस पतित दुनिया का विनाश होना है। अच्छा।मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।धारणा के लिए मुख्य सार:-1) पतित से पावन बनाने का धन्धा जो बाप का है, वही धन्धा करना है। सबको लक्ष्य देना है कि बाप को याद करो और पावन बनो।2) यह ब्राह्मण जीवन देवताओं से भी उत्तम जीवन है, इस नशे में रहना है। बुद्धि का योग और सबसे तोड़ एक माशूक को याद करना है।वरदान:-आसक्ति को अनासक्ति में परिवर्तन करने वाले शक्ति स्वरूप भवशक्ति स्वरूप बनने के लिए आसक्ति को अनासक्ति में बदली करो। अपनी देह में, सम्बन्धों में, कोई भी पदार्थ में यदि कहाँ भी आसक्ति है तो माया भी आ सकती है और शक्ति रूप नहीं बन सकते इसलिए पहले अनासक्त बनो तब माया के विघ्नों का सामना कर सकेंगे। विघ्नों के आने पर चिल्लाने वा घबराने के बजाए शक्ति रूप धारण कर लो तो विघ्न-विनाशक बन जायेंगेस्लोगन:-रहम नि:स्वार्थ और लगावमुक्त हो - स्वार्थ वाला नहीं।

17-05-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन "मीठे बच्चे - बाबा आये हैं, आप बच्चों को अपने समान महिमा लायक बनाने, बाप की जो महिमा है वह अभी तुम धारण करते हो'' प्रश्नः- भक्तिमार्ग में परमात्मा माशुक को पूरा न जानते भी कौन से शब्द बहुत प्यार से बोलते और याद करते हैं? उत्तर:- बहुत प्यार से कहते और याद करते हैं हे माशूक तुम जब आयेंगे तो हम सिर्फ आपको ही याद करेंगे और सबसे बुद्धियोग तोड़ आपके साथ जोड़ेंगे। अब बाप कहते हैं बच्चे, मैं आया हुआ हूँ तो देही-अभिमानी बनो। तुम्हारा पहला फ़र्ज है - प्यार से बाप को याद करना। ओम् शान्ति। मीठे-मीठे जीव की आत्माओं को, परमपिता परमात्मा (जिसने अब शरीर का लोन लिया है) बैठ समझाते हैं कि मैं साधारण बूढ़े तन में आता हूँ। आकर बहुत बच्चों को पढ़ाता हूँ। ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण बच्चों को ही समझायेंगे। जरूर मुख द्वारा ही समझायेंगे और किसको समझायेंगे। कहते हैं - बच्चे, तुम मुझे भक्ति मार्ग में बुलाते आये हो - हे पतित-पावन, भारत खास और दुनिया में आम सब बुलाते हैं। भारत ही पावन था, बाकी सब शान्तिधाम में थे। बच्चों को यह स...

Name of God RamBy social worker Vanita Kasani PunjabRead in another languagedownloadTake careEditRamnaam literally means 'Rama's name'. 'Ramnam' refers to devotion to Lord Rama, the ,incarnation of Vishnu.

रामनाम By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब किसी अन्य भाषा में पढ़ें डाउनलोड करें ध्यान रखें संपादित करें रामनाम  का शाब्दिक अर्थ है - 'राम का नाम'। 'रामनाम' से आशय  विष्णु  के  अवतार   राम  की भक्ति से है या फिर निर्गुण निरंकार परम ब्रह्म से।  हिन्दू धर्म  के विभिन्न सम्रदायों में राम के नाम का  कीर्तन  या  जप  किया जाता है।  "श्रीराम जय राम जय जय राम"  एक प्रसिद्ध मंत्र है जिसे पश्चिमी भारत में  समर्थ रामदास  ने लोकप्रिय बनाया। परिचय संपादित  करें भारतीय साहित्य  में  वैदिक काल  से लेकर गाथा काल तक रामसंज्ञक अनेक महापुरुषों का उल्लेख मिलता है किंतु उनमें सर्वाधिक प्रसिद्धि  वाल्मीकि रामायण  के नायक  अयोध्यानरेश   दशरथ  के पुत्र  राम  की हुई। उनका चरित् जातीय जीवन का मुख्य प्रेरणास्रोत बन गया। शनै: शनै: वे वीर पुरुष से पुरुषोत्तम और पुरुषोत्तम से परात्पर ब्रह्म के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। ईसा की दूसरी से चौथी शताब्दी के बीच विष्णु अथवा नारायण क...

पंजाब में ब्लैक फंगस की दस्तक: लुधियाना में पांच मरीजों की निकालनी पड़ी आंख By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦सारडीएमसी के ईएनटी विभाग के हेड डॉक्टर मनीष मुंजाल ने बताया कि पिछले एक माह के दौरान उनके पास ब्लैक फंगस के दस मामले आ चुके हैं। 13 मई को उनके पास ब्लैक फंगस के चार मरीज आए।पंजाब में ब्लैक फंगस के केस सामने आएपंजाब में ब्लैक फंगस के केस सामने आए - फोटो : अमर उजालाविज्ञापन मुक्त विशिष्ट अनुभव के लिए अमर उजाला प्लस के सदस्य बनेंविस्तारपंजाब में भी ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है। लुधियाना में बारह से ज्यादा लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आ चुके हैं। इसमें ज्यादातर पीड़ितों का इलाज दयानंद मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। वहीं पांच मरीज ऐसे हैं जिनके दिमाग तक फंगस पहुंच चुकी है। लुधियाना के डॉक्टर रमेश सुपर स्पेशियलिटी आई एंड लेजर सेंटर में अभी ब्लैक फंगस का एक मामला सामने आया है, मरीज की हालत को देखते उसे पीजीआई रेफर किया गया है।डीएमसी के ईएनटी विभाग के हेड डॉक्टर मनीष मुंजाल ने बताया कि पिछले एक माह के दौरान उनके पास ब्लैक फंगस के दस मामले आ चुके हैं। 13 मई को उनके पास ब्लैक फंगस के चार मरीज आए, जिनकी आंख के नीचे, नाक और साइनस में ब्लैक फंगस थी। उनके फेफड़े खराब होने के कारण अभी आपरेशन नहीं किया जा सकता। पांच मामले नेत्र विभाग के पास आए थे, जिनका आपरेशन कर आंख निकालनी पड़ी। न्यूरो विभाग में भी लगभग ऐसे चार मामले आ चुके हैं। अभी तक जितने भी लोगों में ब्लैक फंगस मिला है, वह सभी कोरोना मरीज रह चुके हैं। कोरोना को हरा चुके मरीजों को अपना शिकार बना रहा ब्लैक फंगसफोर्टिस अस्पताल लुधियाना में नेत्र रोग विभाग की एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. शैफी बैदवालने बतातीं हैं कि कोरोना संक्रमण शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है। आंखों पर इसका ज्यादा विपरीत प्रभाव सामने आ रहा है। कोरोना को हरा चुके मरीजों को यह अपना शिकार बना रहा है। इससे व्यक्ति के देखने की क्षमता खत्म हो जाती है। यह बीमारी कोरोना से रिकवरी के कई सप्ताह बाद हो सकती है। मिट्टी, पौधे, खाद, फल और सब्जियों में सड़न होने के कारण ब्लैक फंगस वायरस पैदा हो रहा है। यह वायरस सेहतमंद व्यक्ति की नाक, बलगम में मौजूद हो सकता है। जिन लोगों का पाचन तंत्र कमजोर होता है, उन पर जल्दी से हमला करता है। कॉर्टिकोस्टेराइड थैरेपी ले रहे और आईसीयू में वेंटिलेटर पर चल रहे मरीजों में इस इंफेक्शन के होने की संभावना ज्यादा रहती है। माना जा रहा है कि कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज में जीवन रक्षक के तौर पर उपयोग किए जा रहे स्टेरायड की वजह से इस इंफेक्शन की शुरुआत हो रही है। यह स्टेरायड फेफड़ों की सूजन को कम करता हैं, लेकिन इससे इम्युनिटी भी कम हो रही है। जब फंगस पैरा नेसल साइनस म्यूरोसा पर हमला करता है तो यह दिमाग तक भी पहुंच जाता है।नाक के शुष्क होने पर उसमें से खून बहना और सिरदर्द इसके आम लक्षण हैं। नर्म कोशिकाओं और हड्डी में घुसने पर इस इंफेक्शन के कारण स्किन पर काले धब्बे बनने लगते हैं। इसके साथ ही आंखों में दर्द और सूजन, पलकों का फटना व धुंधला दिखना भी ब्लैक फंगस के संकेत हो सकते हैं। इससे मरीज की मानसिक हालत में बदलाव आने के साथ-साथ उसे दौरे भी पड़ सकते हैं। गंभीर होने पर मरीज की जान बचाने के लिए उसकी आंख को हटाना जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति में पहुंचने पर मरीज की देखने की शक्ति को नहीं बचाया जा सकता। ये भी पढ़ें...पंजाब में ठगी: खुद को वीआईपी बता लेता था सिक्योरिटी, पकड़े जाने पर सामने आई ये सच्चाई पंजाब: बीस रुपये के अंडे चुराता हवलदार सस्पेंड

पंजाब में ब्लैक फंगस की दस्तक: लुधियाना में पांच मरीजों की निकालनी पड़ी आंख  By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 सार डीएमसी के ईएनटी विभाग के हेड डॉक्टर मनीष मुंजाल ने बताया कि पिछले एक माह के दौरान उनके पास ब्लैक फंगस के दस मामले आ चुके हैं। 13 मई को उनके पास ब्लैक फंगस के चार मरीज आए। "> पंजाब में ब्लैक फंगस के केस सामने आए - फोटो : अमर उजाला विज्ञापन मुक्त विशिष्ट अनुभव के लिए अमर उजाला प्लस के सदस्य बनें विस्तार पंजाब में भी ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है। लुधियाना में बारह से ज्यादा लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आ चुके हैं। इसमें ज्यादातर पीड़ितों का इलाज दयानंद मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। वहीं पांच मरीज ऐसे हैं जिनके दिमाग तक फंगस पहुंच चुकी है। लुधियाना के डॉक्टर रमेश सुपर स्पेशियलिटी आई एंड लेजर सेंटर में अभी ब्लैक फंगस का एक मामला सामने आया है, मरीज की हालत को देखते उसे पीजीआई रेफर किया गया है। डीएमसी के ईएनटी विभाग के हेड डॉक्टर मनीष मुंजाल ने बताया कि पिछले एक माह के दौरान उनके पास ब्लैक फंगस के दस मामले आ चुके हैं। 13 मई को उनके पास ब्लैक फंगस के चार मरीज आए, ...

Who is more powerful, Hanuman or Hiranyakashyap?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबHiranyakashyap dust in front of Hanumanji don't ask such question like this. Hanumanji capable to destroy lot of universe and by the way he is an incarnation of god of destruction Mahadev.Hiranyakashyap strong because of his boon given by Brahma dev, Hiranyakashyap killed by Narsimha avatar of Shri Hari and Hanumanji also can take Narsimha formHave you ever seen before panchmukhi form of Hanumanji, Hanumanji also have 11th mukhi form. How can Hiranyakashyap defeat God with his some little boon given by GodHanumanji great devotee of Shri Ram doesn't meant that he is less powerfull.Hope you get your answer.Jai Shri Ram🙏Jai Mamma Sita🙏Jai Bajrangabali Hanumanji 🙏

Who is more powerful, Hanuman or Hiranyakashyap? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब Hiranyakashyap dust in front of Hanumanji don't ask such question like this. Hanumanji capable to destroy lot of universe and by the way he is an incarnation of god of destruction Mahadev. Hiranyakashyap strong because of his boon given by Brahma dev, Hiranyakashyap killed by Narsimha avatar of Shri Hari and Hanumanji also can take Narsimha form Have you ever seen before panchmukhi form of Hanumanji, Hanumanji also have 11th mukhi form. How can Hiranyakashyap defeat God with his some little boon given by God Hanumanji great devotee of Shri Ram doesn't meant that he is less powerfull. Hope you get your answer. Jai Shri Ram🙏 Jai Mamma Sita🙏 Jai Bajrangabali Hanumanji 🙏

SundarkandBy social worker Vanita Kasani PunjabRead in another languagedownloadTake careEditSunderkand is basically a part (kand or step) of Valmiki's Ramayana. Goswami Tulsidas

सुन्दरकाण्ड By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब किसी अन्य भाषा में पढ़ें डाउनलोड करें ध्यान रखें संपादित करें सुंदरकाण्ड  मूलतः  वाल्मीकि  कृत  रामायण  का एक भाग (काण्ड या सोपान) है।  गोस्वामी तुलसीदास  कृत  श्री राम चरित मानस  तथा अन्य भाषाओं के रामायण में भी सुन्दरकाण्ड उपस्थित है। सुन्दरकाण्ड में हनुमान जी द्वारा किये गये महान कार्यों का वर्णन है। रामायण पाठ में सुन्दरकाण्ड के पाठ का विशेष महत्व माना जाता है। सुंदरकाण्ड में हनुमान का लंका प्रस्थान, लंका दहन से लंका से वापसी तक के घटनाक्रम आते हैं। इस सोपान के मुख्य घटनाक्रम है – हनुमान जी का लंका की ओर प्रस्थान, विभीषण से भेंट, सीता से भेंट करके उन्हें श्री राम की मुद्रिका देना, अक्षय कुमार का वध, लंका दहन और लंका से वापसी। रामायण में सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण रामायण कथा श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है किन्तु सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है, जो सिर्फ हनुमानजी की शक्ति और विजय का कांड है। यह अतिसुंदर है कथा संपादित करें हनुमान और सीता अशोकवाटिका में हनुमान जी ...

हनुमान By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबदुसरी भाषा में पढ़ींDownload PDFधियानसूची में डालींसंपादनहनुमान, हिंदू धर्म में एगो देवता हवें जिनकर रूप बानर के ह। हनुमान के अनन्य रामभक्त के रूप में मानल जाला[3] आ भारतीय उपमहादीप आ दक्खिन-पुरुब एशिया में मिले वाला "रामायण" के बिबिध रूप आ पाठ सभ में हनुमान एगो प्रमुख चरित्र हवें।[4] हनुमान के चिरंजीवी मानल जाला आ एह रूप में इनके बिबरन अउरी कई ग्रंथ सभ, जइसे कि महाभारत,[3] कई गो पुराण सभ में आ जैन ग्रंथ सभ,[5] बौद्ध,[6] आ सिख धर्म के ग्रंथ सभ में मिले ला।[7] कई ग्रंथ सभ में हनुमान के शिव के अवतार[3] भा अंश भी मानल गइल बा।[8] हनुमान के अंजना आ केशरी के बेटा मानल जाला, आ कुछ कथा सभ के मोताबिक पवन देव के भी, काहें कि इनके जनम में पवनदेव के भी योगदान रहे।[2][9]हनुमानMaruti.JPGहनुमान, राजा रवि वर्मा के बनावल चित्रसंबंधित बाड़े देवश्रीराम आ सीता के भक्त (बैष्णव मत)शिव के अवतार भा अंशहथियार गदाग्रंथ रामायण, रामचरितमानस, हनुमान चलीसा, बजरंग बाण, शिव पुराण[1]तिहुआर हनुमान जयंतीमाई-बाबूजी अंजना (महतारी)केशरी, पवनदेव[2] भा शिव (पिता)हिंदू धरम में हनुमान के देवता भा पूज्य चरित्र के रूप में परतिष्ठा कब भइल ई बिबाद के बिसय बा। एहू बारे में बिबाद बा कि इनके पहिले का स्वरुप रहल आ वर्तमान देवता के रूप से केतना अलग रहल।[10] बैकल्पिक थियरी सभ के अनुसार इनके बहुत प्राचीन साबित कइल जाला, ग़ैर-आर्य देवता के रूप में कल्पित कइल जाला जेकरा के बाद में वैदिक आर्य लोग संस्कृताइज क लिहल, या फिर साहित्य में इनके धार्मिक प्रतीकवाद के उपज आ यक्ष रुपी देवता लोग के फ्यूजन से गढ़ल देवता के रूप में भी कल्पित कइल जाला।[11][12]:39–40हालाँकि, हिंदू धर्म के परसिद्ध कृति रामायण महाकाव्य आ एकरे बाद के बिबिध रामकथा सभ में हनुमान एगो प्रमुख चरित्र के रूप में मौजूद बाने, इनके पूजा करे के बिबरन प्राचीन आ मध्यकालीन ग्रंथ सभ में आ पुरातात्विक खोदाई से मिलल सबूत सभ में कम मिले के बात कहल जाला। अमेरिकी भारतबिद, फिलिप लुटगेंडार्फ, जे हनुमान पर अध्ययन करे खाती मशहूर बाने, माने लें कि हनुमान के धार्मिक आ पूज्य देवता के रूप में महत्व रामायण के रचना के लगभग 1,000 साल बाद दूसरी सहस्राब्दी ईसवी में भइल जब इस्लाम के भारत में आगमन भइल।[13] भक्ति आन्दोलन के संत, जइसे कि समर्थ रामदास इत्यादि लोग द्वारा हनुमान के राष्ट्रवाद आ अत्याचार के खिलाफ बिद्रोह के चीन्हा के रूप में स्थापित कइल गइल।[14] आज के ज़माना में इनके मुर्ती, चित्र आ मंदिर बहुत आम बाने।[15] हनुमान के "ताकत, हीरोइक कामकर्ता आ सबल क्षमता" के साथ "कृपालु, आ राम के प्रति भावनात्मक भक्ति" के चीन्हा के रूप में शक्ति आ भक्ति के आदर्श मिलजुल रूप वाला देवता के रूप में परतिष्ठा भइल।[16] बाद के साहित्य में हनुमान के मल्लजुद्ध, आ कलाबाजी के देवता के रूप में भी आ ग्यानी-ध्यानी बिद्वान के रूप में भी स्थापना भइल।[3] इनके निरूपण आत्म-नियंत्रण, बिस्वास आ आस्था, नियत कारज में सेवा के भावना के छिपल निरूपण भइल जेकर बाहरी रूप भले बानर के बा।[15][17][11]हिंदू धर्म में एगो बहुत चलनसार देवता होखे के साथे-साथ हनुमान जैन आ बौद्ध धर्म में भी मौजूद बाने।[5][18] इहे ना, बलुक भारत से बहरें के कई देसन में हनुमान के बिबिध रूप में परतिष्ठा बा, जइसे कि म्यांमार, थाइलैंड, कंबोडिया, मलेशिया आ बाली अउरी इंडोनेशिया में हनुमान के पूजल जाला भा इनके मुर्ती के निरूपण मिले ला। बाहरी देसन में हनुमान के चित्रण कुछ अलग तरीका से भी मिले ला जे हिंदू धर्म के हनुमान से भिन्न बा। उदाहरण खाती कुछ संस्कृति में हनुमान के बिसाल छाती वाला शक्तिशाली देव के रूप में जरूर कल्पित कइल जाला बाकिर उनके ब्रह्मचारी रूप में ना बलुक बियाह करे आ लइका-फइका वाला रूप में मानल गइल बा जइसे भारतो के कुछ इलाकाई हिस्सा में मानल जाला। कुछ बिद्वान लोग के अइसन मत भी बा कि परसिद्ध चीनी काब्यात्मक उपन्यास "शीयूजी" (पच्छिम के यात्रा), जे चीनी यात्री ह्वेन सांग (602–664 ईसवी) के भारत यात्रा के बिबरण से परभावित हो के लिखल गइल रहे, एह में कौतुक आ साहस भरल बानर के चरित्तर वाला हीरो, हनुमान के कथा से प्रेरणा ले के रचल गइल हवे।[5][19]नाँवसंपादनप्रणाम के मुद्रा में हाथ जोड़ले हनुमान"हनुमान" नाँव, जे इनके सभसे चलनसार नाँव हवे, के उत्पत्ति आ अरथ के बारे में लोग एकमत नइखे। हिंदू धरम में एकही देवता के कई गो नाँव होखल बहुत आम बात हवे। कौनों-न-कौनों बिसेसता भा लच्छन के आधार पर देवता लोग के बिबिध नाँव रखल गइल हवें।[12]:31–32 हनुमान के भी कई गो अउरी नाँव बाड़ें जइसे कि आंजनेय, अंजनीसुत, अंजनी पुत्र, मारुति, पवनसुत, बजरंगबली इत्यादि बाकी एह में से सभके इस्तेमाल हमेशा ना होला। आम तौर प सभसे चलन में हनुमाने हवे।एह नाँव के पाछे एगो ब्याख्या ई दिहल जाला कि हनुमान जी बचपन में सुरुज भगवान के सुघर फल बूझ के लपक लिहलें आ मुँह में भर लिहलें जवना से चारों ओर अन्हियारी फइल गइल आ हनुमान के मुँह से सुरुज के बहरें निकासे खाती इंद्र अपना बज्र से प्रहार कइलेन जवना से हनुमान जी के दाढ़ी ("संस्कृत में हनु) कुछ टेढ़ भ गइल। एही के बाद टेढ़ हनु वाला, इनके हनुमान कहल जाए लागल।[12]:31–32एगो दूसर ब्याख्या ई कइल जाला कि संस्कृत में "हन्" के अरथ होला नास होखल, आ "मान" के अरथ होला गरब भा अभिमान; एह आधार पर हनुमान के अरथ बतावल जाला कि जेकर भक्ति में आपन मान नष्ट हो गइल होखे। अइसन इनके द्वारा राम आ सीता के भक्ति में अनन्य समर्पण आ भक्ति के कारण बतावल जाला। एह तरीका से हनुमान के ताकत, शक्ति आ बीरता के साथे साथ भावुक आ दयालु अउरी भक्त देवता के रूप में कल्पित कइल जाला आ भक्ति आ शक्ति दुन्नों के चीन्हा के रूप में देखल जाला।[12]:31–32एगो तिसरहा मत जैन धरम में मिले ला। एह कथा के मोताबिक हनुमान अपना बचपन के दिन एगो अइसन दीप पर बितवलें जेकर नाँव हनुरुह रहे; एही दीप के नाँव पर इनकरो नाँव हनुमान धरा गइल।[12]:189हनुमान शब्द के भाषाई बिबिधता के रूप में हनुमत, अनुमान (तमिल में), हनुमंत (कन्नड़), हनुमंथुदु (तेलुगु) इत्यादि मिले लें। हनुमान के अलावा इनके अन्य कई नाँव नीचे दिहल जा रहल बाने:आंजनेय,[20] जेकर बिबिध रूप बाड़ें: अंजनीसुत, अंजनेयार (तमिल) आंजनेयादु (तेलुगु)। ई सगरी नाँव इनके महतारी अंजना के नाँव पर रखल हवें आ इनहन के मतलब होला "अंजनी के बेटा"।केशरी नंदन, पिता केशरी के नाँव पर, जेकर मतलब बा "केशरी के बेटा"मारुति, (मरुत माने पवन या वायुदेव) "पवन के बेटा";[4] अन्य नाँव में पवनसुत, पवनपुत्र, वायुनंदन इत्यादि।बजरंग बली, "जेकर अंग बज्र नियर बलवान होखे"; ई नाँव उत्तर भारत के देहाती इलाका में बहुत चलनसार हवे।[12]:31–32संकट मोचन, "संकट से छुटकारा दियावे वाला"[12]:31–32महावीर', मने की महान बीर,कपीश, कपि, मने बानर लोग के स्वामी इत्यादि।इहो देखल जायसंपादनहनुमान चलीसासंकट मोचन मंदिरसंदर्भसंपादन↑ Brian A. Hatcher (2015). Hinduism in the Modern World. Routledge. ISBN .↑ 2.0 2.1 Bibek Debroy (2012). The Mahabharata: Volume 3. Penguin Books. पप. 184 with footnote 686. ISBN 15-7.↑ 3.0 3.1 3.2 3.3 George M. Williams (2008). Handbook of Hindu Mythology. Oxford University Press. पप. 146–148. ISBN 533261-2.↑ 4.0 4.1 उद्धरण खराबी:Invalid tag; no text was provided for refs named Claus2003p280↑ 5.0 5.1 5.2 Wendy Doniger, Hanuman: Hindu mythology, Encyclopaedia Britannica; For a summary of the Chinese text, see Xiyouji: NOVEL BY WU CHENG’EN↑ उद्धरण खराबी:Invalid tag; no text was provided for refs named whitfield212↑ उद्धरण खराबी:Invalid tag; no text was provided for refs named louis143↑ Devi Vanamali 2016, p. 27.↑ J. Gordon Melton; Martin Baumann (2010). Religions of the World: A Comprehensive Encyclopedia of Beliefs and Practices, 2nd Edition. ABC-CLIO. पप. 1310–1311. ISBN 978-1-59884-204-3.↑ अंबा प्रसाद श्रीवास्तव 2000.↑ 11.0 11.1 Catherine Ludvik (1994). Hanumān in the Rāmāyaṇa of Vālmīki and the Rāmacaritamānasa of Tulasī Dāsa. Motilal Banarsidass. पप. 2–9. ISBN 978-81-208-1122-5.↑ 12.0 12.1 12.2 12.3 12.4 12.5 12.6 Philip Lutgendorf (2007). Hanuman's Tale: The Messages of a Divine Monkey. Oxford University Press. ISBN 978-0-19-530921-8. पहुँचतिथी 14 July 2012.↑ Paula Richman (2010), Review: Lutgendorf, Philip's Hanuman's Tale: The Messages of a Divine Monkey, The Journal of Asian Studies; Vol 69, Issue 4 (Nov 2010), pages 1287-1288↑ उद्धरण खराबी:Invalid tag; no text was provided for refs named lele114↑ 15.0 15.1 Constance Jones; James D. Ryan (2006). Encyclopedia of Hinduism. Infobase Publishing. पप. 177–178. ISBN 978-0-8160-7564-5.↑ Philip Lutgendorf (2007). Hanuman's Tale: The Messages of a Divine Monkey. Oxford University Press. पप. 26–32, 116, 257–259, 388–391. ISBN 978-0-19-530921-8. पहुँचतिथी 14 July 2012.↑ Lutgendorf, Philip (1997). "Monkey in the Middle: The Status of Hanuman in Popular Hinduism". Religion. Routledge. 27 (4): 311–332. doi:10.1006/reli.1997.0095.↑ Lutgendorf, Philip (1994). "My Hanuman Is Bigger Than Yours". History of Religions. University of Chicago Press. 33 (3): 211–245. doi:10.1086/463367.↑ H. S. Walker (1998), Indigenous or Foreign? A Look at the Origins of the Monkey Hero Sun Wukong, Sino-Platonic Papers, No. 81. September 1998, Editor: Victor H. Mair, University of Pennsylvania↑ Gopal, Madan (1990). K.S. Gautam (संपा.). India through the ages. Publication Division, Ministry of Information and Broadcasting, Government of India. प. 68.स्रोतसंपादनDevi Vanamali (2016). Shree Hanuman Leela. Manjul Publishing. ISBN माहेश्वरी, प्रेमचन्द्र (1998). हिंदी रामकाव्य का स्वरुप और विकास. वाणी प्रकाशन.अंबा प्रसाद श्रीवास्तव (2000). Rāmāyaṇa kā ācāra darśana. Bhāratīya Jñānapiṭha. ISBN 0283-3.बाल वनिता महिला आश्रमबाहरी कड़ीसंपादनविकिमीडिया कॉमंस पर संबंधित मीडिया Hanuman पर मौजूद बा।हनुमान - Encyclopædia Britannica (अंग्रेजी में)Last edited 2 months ago By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबRELATED PAGESरामचरितमानसकामदेवबानरसामग्री By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब CC BY-SA 3.0 की तहत उपलब्ध बा जबले कि अलगा से बतावल न गइल होखे।गोपनीयता नीति उपयोग के शर्त कुलडेस्कटॉप

हनुमान By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब दुसरी भाषा में पढ़ीं Download PDF धियानसूची में डालीं संपादन हनुमान ,  हिंदू धर्म  में एगो  देवता  हवें जिनकर रूप  बानर  के ह। हनुमान के अनन्य  राम भक्त के रूप में मानल जाला [3]  आ भारतीय उपमहादीप आ दक्खिन-पुरुब एशिया में मिले वाला " रामायण " के बिबिध रूप आ पाठ सभ में हनुमान एगो प्रमुख चरित्र हवें। [4]  हनुमान के चिरंजीवी मानल जाला आ एह रूप में इनके बिबरन अउरी कई ग्रंथ सभ, जइसे कि  महाभारत , [3]  कई गो पुराण सभ में आ जैन ग्रंथ सभ, [5]  बौद्ध, [6]  आ सिख धर्म के ग्रंथ सभ में मिले ला। [7]  कई ग्रंथ सभ में हनुमान के  शिव  के अवतार [3]  भा अंश भी मानल गइल बा। [8]  हनुमान के अंजना आ केशरी के बेटा मानल जाला, आ कुछ कथा सभ के मोताबिक पवन देव के भी, काहें कि इनके जनम में पवनदेव के भी योगदान रहे। [2] [9] हनुमान हनुमान, राजा रवि वर्मा के बनावल चित्र संबंधित बाड़े देव श्रीराम  आ  सीता  के भक्त (बैष्णव मत) शिव  के अवतार भा अंश हथियार गदा ग्रंथ रामायण ,...