सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

SundarkandBy social worker Vanita Kasani PunjabRead in another languagedownloadTake careEditSunderkand is basically a part (kand or step) of Valmiki's Ramayana. Goswami Tulsidas

सुंदरकाण्ड मूलतः वाल्मीकि कृत रामायण का एक भाग (काण्ड या सोपान) है। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस तथा अन्य भाषाओं के रामायण में भी सुन्दरकाण्ड उपस्थित है। सुन्दरकाण्ड में हनुमान जी द्वारा किये गये महान कार्यों का वर्णन है। रामायण पाठ में सुन्दरकाण्ड के पाठ का विशेष महत्व माना जाता है। सुंदरकाण्ड में हनुमान का लंका प्रस्थान, लंका दहन से लंका से वापसी तक के घटनाक्रम आते हैं। इस सोपान के मुख्य घटनाक्रम है – हनुमान जी का लंका की ओर प्रस्थान, विभीषण से भेंट, सीता से भेंट करके उन्हें श्री राम की मुद्रिका देना, अक्षय कुमार का वध, लंका दहन और लंका से वापसी।


रामायण में सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण रामायण कथा श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है किन्तु सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है, जो सिर्फ हनुमानजी की शक्ति और विजय का कांड है। यह अतिसुंदर है

कथासंपादित करें

हनुमान और सीता अशोकवाटिका में

हनुमान जी ने लंका की ओर प्रस्थान किया। सुरसा ने हनुमान जी की परीक्षा ली और उसे योग्य तथा सामर्थ्यवान पाकर आशीर्वाद दिया। मार्ग में हनुमान जी ने छाया पकड़ने वाली राक्षसी का वध किया और लंकिनी पर प्रहार करके लंका में प्रवेश किया। उनकी विभीषण से भेंट हुई। जब हनुमान जी अशोकवाटिका में पहुँचे तो रावण सीता को धमका रहा था। रावण के जाने पर त्रिजटा ने सीता को सान्त्वना दी। एकान्त होने पर हनुमान जी ने सीता से भेंट करके उन्हें राम की मुद्रिका दी। हनुमान जी ने अशोकवाटिका का विध्वंस करके रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध कर दिया। मेघनाथ हनुमान को नागपाश में बांध कर रावण की सभा में ले गया। रावण के प्रश्न के उत्तर में हनुमान ने अपना परिचय राम के दूत के रूप में दिया। रावण ने हनुमान जी की पूँछ में तेल में डूबा हुआ कपड़ा बांध कर आग लगा दिया इस पर हनुमान जी ने लंका का दहन कर दिया।

लंका दहन देखते हुए हनुमान

हनुमान जी सीता के पास पहुँचे। सीता ने अपनी चूड़ामणि दे कर उन्हें विदा किया। वे वापस समुद्र पार आकर सभी वानरों से मिले और सभी वापस सुग्रीव के पास चले गये। हनुमान के कार्य से राम अत्यंत प्रसन्न हुये। राम वानरों की सेना के साथ समुद्रतट पर पहुँचे। उधर विभीषण ने रावण को समझाया कि राम से बैर न लें इस पर रावण ने विभीषण को अपमानित कर लंका से निकाल दिया। विभीषण राम के शरण में आ गया और राम ने उसे लंका का राजा घोषित कर दिया। राम ने समुद्र से रास्ता देने की विनती की। विनती न मानने पर राम ने क्रोध किया और उनके क्रोध से भयभीत होकर समुद्र ने स्वयं आकर राम की विनती करने के पश्चात् नल और नील के द्वारा पुल बनाने का उपाय बताया।

बाल वनिता महिला आश्रम

संबंधित कड़ियाँसंपादित करें

बाहरी कड़ियाँसंपादित करें

  1. रामचरितमानस - बालकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  2. रामचरितमानस - बालकाण्ड (५१-१००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  3. रामचरितमानस - बालकाण्ड (१०१-१५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  4. रामचरितमानस - बालकाण्ड (१५१-२००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  5. रामचरितमानस - बालकाण्ड (२०१-२५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  6. रामचरितमानस - बालकाण्ड (२५१-३००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  7. रामचरितमानस - बालकाण्ड (३०१-३५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  8. रामचरितमानस - बालकाण्ड (३५१-३६१) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  9. रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  10. रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (५१-१००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  11. रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (१०१-१५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  12. रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (१५१-२००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  13. रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (२०१-२५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  14. रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (२५१-३००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  15. रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (३०१-३२६) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  16. रामचरितमानस - अरण्यकाण्ड (१-४६) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  17. रामचरितमानस - किष्किन्धाकाण्ड (१-३०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  18. रामचरितमानस - सुन्दरकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  19. रामचरितमानस - सुन्दरकाण्ड (५१-६०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  20. रामचरितमानस - लंकाकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  21. रामचरितमानस - लंकाकाण्ड (५१-१००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  22. रामचरितमानस - लंकाकाण्ड (१०१-१२१) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  23. रामचरितमानस - उत्तरकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  24. रामचरितमानस - उत्तरकाण्ड (५१-१००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  25. रामचरितमानस - उत्तरकाण्ड (१०१-१३१) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  1. वाल्मीकि रामायण - बालकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  2. वाल्मीकि रामायण - अयोध्याकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  3. वाल्मीकि रामायण - अरण्यकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  4. वाल्मीकि रामायण - किष्किन्धाकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  5. वाल्मीकि रामायण - सुन्दरकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  6. वाल्मीकि रामायण - युद्धकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
  7. वाल्मीकि रामायण - उत्तरकाण्ड का मूल पाठ[मृत कड़ियाँ] (विकीस्रोत पर)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Anjana was the mother of Hanuman ji. She was the wife of the monkey king Kesari. Going to give a little information about them.There was a nymph named Punjik Thala who danced in the court of Indra, it was the same nymph who

हनुमान  जी की माता थी अंजना। वह वानर  राजा केसरी   बाल वनिता महिला आश्रम की पत्नी थी। उनके बारे में थोड़ी जानकारी देने जा रहे हैैं। पुंजिक थला नाम की एक अप्सरा थी जो इंद्र के दरबार में नृत्य किया करती थी यह वही अप्सरा थी जो समुद्र मंथन के समय में निकली थी उस समय तीन अप्सराएं निकली थी उनमें से पुंजिक थला भी एक अप्सरा पुंजत्थला एक बार धरती लोक में आई और उन्होंने महा ऋषि दुर्वासा जो एक ऋषि थे और वह तपस्या कर रहे थे वह एक नदी के किनारे बैठे हुए थे और ध्यान मुद्रा में थे पुंजत्थल ने उन पर बार-बार पानी फेंका जिससे उनकी तपस्या भंग हो गई और तब उन्होंने पुंजिक थला को श्राप दे दिया कि तुम इसी समय वानरी हो जाओ और पुंजिक थला उसी समय वानरी बन गई और पेड़ों पर इधर उधर घूमने लगी देवताओं के बहुत विनती करने के बाद ऋषि ने उन्हें बताया की इनका दूसरा जन्म होगा और तुम वानरी ही रहोगी लेकिन अपनी इच्छा के अनुसार तुम अपना रूप बदल सकोगी। तभी केसरी सिंह नाम के एक राजा वहां पर एक मृग का शिकार करते हुए आए वह मृग घायल था और वह ऋषि के आश्रम में छुप गया ऋषि ने राजा केसरी से कहा कि तुम मेरे ...

मेरे बाबा घने दयालु है आज मांग के देख ले विश्वाश नही तो मेहंदीपुर में जा के देख ले तू सचे मन से मांगे गा वही तुझे मिल जावेगा वो बाला जी के जैसा पावन धाम कही न पावेगा वो बाबा का इक लड्डू चूरमा खा के देख ले विश्वाश नही तो मेहंदीपुर में जा के देख ले मने जय बाबा की जय बाबा की प्यारा लागे जय कार जिस पे नजर मेरे बाला जी की आज तलक भी न हारा उतम छोकर से भगत बाबा का हरा के देख ले विश्वाश नही तो मेहंदीपुर में जा के देख ले ,

Uthani Ekadashi 2022: देवउठनी एकादशी पर कर लें दूध-केसर का ये चमत्कारी उपाय, भगवान विष्णु की होगी विशेष कृपाकार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी का पर्व 4 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाने वाला है। इस दिन कुछ खास उपायों को जरूर करना चाहिए। By वनिता कासनियां पंजाबnaiduniaDev Uthani Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को काफी शुभ माना गया है। यह व्रत भगवान विष्णु की पूजा आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। ये व्रत भक्तों को विशेष फल प्रदान करने वाला होता है। पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। वहीं पूरे चार महीने बाद देवउठनी एकादशी के दिन वे जागते हैं। ऐसे में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। वहीं इस बार देवउठनी एकादशी का पर्व 4 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाने वाला है। इस दिन कुछ खास उपायों को करने से भगवान विष्णु की कृपा हमेशा जातक पर बनी रहती ह देवउठनी एकादशी पर करें ये उपायदेवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी, देवउठनी ग्यारस आदि नामों से भी जाना जाता है। इस साल 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है। देवउठनी एकादशी पर व्रत और विधि-विधान से पूजा करने से भगवान प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं। आइए जानते हैं कि देवउठनी एकादशी पर किए जाने वाले उपाय कौन से हैं। देवउठनी एकादशी के शुभ दिन पर भगवान श्री हरि विष्णु का दूध और केसर से अभिषेक करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर कामना पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। जो लोग आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं वे इस दिन पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें और शाम के समय पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिलती है।धन की कमी को दूर करने के लिए देवउठनी एकादशी पर श्री हरि विष्णु को पैसे अर्पित कर उन्हें अपने पर्स में रख लें। ऐसा करने से व्यक्ति को धन लाभ होता है। साथ ही कभी भी धन की कमी नहीं आती है। देवउठनी एकादशी के शुभ दिन व्यक्ति को भगवान विष्णु को तुलसी पत्र के साथ सफेद रंग की चीज का भोग लगाएं। ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

वनिता कासनियां पंजा Uthani Ekadashi 2022: देवउठनी एकादशी पर कर लें दूध-केसर का ये चमत्कारी उपाय, भगवान विष्णु की होगी विशेष कृपा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी का पर्व 4 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाने वाला है। इस दिन कुछ खास उपायों को जरूर करना चाहिए। By  वनिता कासनियां पंजाब Dev Uthani Ekadashi 2022:   हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को काफी शुभ माना गया है। यह व्रत भगवान विष्णु की पूजा आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। ये व्रत भक्तों को विशेष फल प्रदान करने वाला होता है। पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। वहीं पूरे चार महीने बाद देवउठनी एकादशी के दिन वे जागते हैं। ऐसे में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। वहीं इस बार देवउठनी एकादशी का पर्व 4 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाने वाला है। इस दिन कुछ खास उपायों को करने से भगवान विष्णु की कृपा हमेशा जातक प...