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श्री संकटमोचन हनुमानाष्टक हिन्दी By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब, अर्थ सहितबाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुँ लोक भयो अँधियारो।ताहि सो त्रास भयो जग को, यह संकट काहुँ सो जात न टारो।देवन आनि करी बिनती तब, छाँड़ि दियो रवि कष्ट निवारो।को नहिं जानत है जग मे कपि, संकट मोचन नाम तिहारो॥१॥अर्थ - हे हनुमान जी ! आप बालक थे तब आपने सूर्य को अपने मूख मे रख लिया जिससे तीनो लोकों मे अँधेरा हो गया। इससे संसार भर मे विपति छा गई, और उस संकट को कोई भी दूर नही कर सका। देवताओं ने आकर आपकी विनती की और आपने सूर्य को मुक्त कर दिया। इस प्रकार संकट दूर हुआ। हे हनुमान जी, संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नहीं जानता।बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महा प्रभु पंथ निहारो।चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।कै द्विज रुप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो।को नहिं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥२॥अर्थ - बालि के डर से सुग्रीव पर्वत पर रहते थे। उन्होनें श्री रामचन्द्रजी को आते देखा, उन्होनें आपको पता लगा के लिए भेजा। आपने अपना ब्राह्मण का रुप धर कर के श्री रामचन्द्र जी से भेंट की और उनको अपने साथ लिवा लाये, जिससे आपने सुग्रीव के शोक का निवारण किया। हे, हनुमानजी, संसार मे ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नहीं जानता।अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।जीवत ना बचिहौ हम सों जु, बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो।हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाए सिया सुधि प्रान उबारो।को नही जानत है, जग मे कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥३॥अर्थ- सुग्रीव ने अंगद के साथ सीता जी की खोज के लिए अपनी सेना को भेजते समय कह दिया था कि यदि सीता जी का पता लगाकर नही लाए तो हम तुम सब को मार डालेंगे। सब ढ़ूँढ़ ढ़ूँढ़कर हार गये। तब आप समुद्र के तट से कूद कर सीता जी का पता लगाकर लाये, जिससे सबके प्राण बचे। हे हनुमान जी संसार मे ऐसा कौन है, जो आपका संकट मोचन नाम नही जानता।रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसि सो कहि सोक निवारो।ताहि समय हनुमान महाप्रभु , जाय महा रजनीचर मारो।चाहत सिय अशोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो।को नहीं जानत हैं, जग मे कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥४॥अर्थ - जब रावण ने श्री सीता जी को भय दिखाया और कष्ट दिया और सब राक्षसियों से कहा कि सीता जी को मनावें, हे महावीर हनुमानजी, उस समय आपने पहुँच कर महान राक्षसों को मारा। सीता जी ने अशोक वृक्ष से अग्नि माँगी परन्तु आपने उसी वृक्ष पर से श्री रामचन्द्रजी कि अँगूठी डाल दी जिससे सीता जी कि चिन्ता दूर हुई। हे हनुमान जी,संसार मे ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नही जानता।बान लग्यो उर लक्षिमण के तब, प्राण तजे सुत रावन मारो।लै गृह वैद्य सुषेन समेत, तबै गृह द्रोन सु बीर उपारो।आनि सजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।को नहिं जानत हैं जग मे कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥५॥अर्थ - रावन के पुत्र मेघनाद ने बाण मारा जो लक्ष्मण जी की छाती पर लगा और उससे उनके प्राण संकट मे पड़ गए। तब आपही सुषेन वैद्य को घर सहित उठा लाए और द्रोणाचल पर्वत सहित संजीवनी बूटी ले आये जिससे लक्ष्मण जी के प्राण बच गये। हे हनुमान जी,संसार मे ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नही जानता।रावन जुद्ध अजान कियो तब, नाग की फाँस सबै सिर डारो।श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।आनि खगेस तबै हनुमान जु, बन्धन काटि सुत्रास निवारो।को नहि जानत है जग मे कपि,संकट मोचन नाम तिहारो॥६॥अर्थ - रावण ने घोर युद्ध करते हुए सबको नागपाश मे बाँध लिया तब श्री रघुनाथ सहित सारे दल मे यह मोह छा गया की यह तो बहुत भारी संकट है। उस समय, हे हनुमान जी आपने गरुड़ जी को लाकर बँधन को कटवा दिया जिससे संकट दूर हुआ। हे हनुमान जी,संसार मे ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नही जानता।बंधु समेत जबै अहिरावण, लै रघुनाथ पाताल सिधारो।देविहिं पूजि भली विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो।जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।को नहिं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो॥७॥अर्थ - अब अहिरावन श्री रघुनाथ जी को लक्षमण सहित पाताल को ले गया, और भलिभांति देवि जी की पूजा करके सबके परामर्श से यह निशचय किया कि इन दोनों भाइयों की बलि दूंगा, उसी समय आपने वहाँ पहुंच कर अहिरावन को उसकी सेना समेत मार डाला। हे हनुमानजी, संसार मे ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नहीं जानता॥काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु बेखि बिचारो।कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो।बेगि हरौ हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो।को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥८॥अर्थ - हे महाबीर आपने बड़े बड़े देवों के कार्य संवारे है। अब आप देखिये और सोचीए कि मुझ दीन हीन का ऐसा कौन सा संकट है जिसकोआप दुर नहीं कर सकते। हे महाबीर हनुमानजी, हमारा जो कुछ भी संकट हो आप उसे शीघ्र ही दूर कर दीजीए। हे हनुमानजी, संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नहीं जानता।॥दोहा॥लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर॥अर्थ- आपका शरीर लाल है, आपकी पूँछ लाल है और आपने लाल सिंदूर धारण कर रखा है, आपके वस्त्र भी लाल है। आपका शरीर बज्र है, और आप दुष्टों का नाश कर देते है। हे हनुमानजी आपकी जय हो, जय हो, जय हो॥!! जय श्री राम !!हुई तपस्या पूर्ण अब, सजा अयोध्या धाम।नैन बिछाए सब खड़े, आए हैं श्री राम!! जय श्री राम !!

Sri Sankatmochan Hanumanashtak with Hindi meanings Child time Rabi Bhakshi Leo Then, three thousand folk fears. Do not let the fear of the world fall asleep, do not let this crisis go to sleep. Devon and curry plead then, please give 

भारत की 10 सबसे विशालकाय हनुमान प्रतिमाएं*By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹दुनियाभर में हनुमानजी की कई प्रतिमाएं हैं। भारत में भी हनुमानजी की असंख्य विशालकाय प्रतिमाएं हैं। ऊंची से ऊंची हनुमान प्रतिमा बनाने के तो हर 3 वर्षों में रिकॉर्ड टूट जाते हैं। कम से कम 101 फीट से शुरू होने वाली मूर्तियां तो देशभर में अब असंख्य हो चली हैं। जानिए हनुमानजी की 10 सबसे विशालकाय प्रतिमा कहां पर है। 1. रामतीर्थ मंदिर के हनुमान : यह विशालकाय मूर्ति पंजाब के अमृतसर के रामतीर्थ मंदिर में स्थापित है। इस मूर्ति की ऊंचाई 24.5 मीटर अर्थात 80 फीट है। यह मूर्ति अमृतसर से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर रामतीर्थ मंदिर वाल्मीकि परिसर में स्थित है। माना जाता है कि यहां वाल्मीकिजी का आश्रम था, जहां सीताजी रुकी थीं और यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ था। यहीं पर रामतीर्थ सरोवर भी है। 2. छिंदवाड़ा के हनुमान : मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के सिमरियाकलां में हनुमानजी की प्रतिमा 101 फीट ऊंची है। 3. नंदुरा गांव हनुमानजी : महाराष्ट्र के नंदुरा में हनुमानजी की विशालकाय मूर्ति की लंबाई 32 मीटर है। हालांकि बताया जाता है कि यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मूर्ति है जिसकी लंबाई 105 फीट है। हनुमानजी की गदा ही 30 फीट लंबी है। उनका सीना लगभग 70 फीट चौड़ा है। नंदुरा महाराष्ट्र का एक छोटा-सा कस्बा है, जो बुलढाणा जिले में आता है। प्रसिद्ध तीर्थस्थान शेगांव से 50 किलोमीटर दूर है नंदुरा गांव। नंदुरा शेगांव से जलगांव की ओर जाते समय खामगांव से कुछ किलोमीटर आगे आता है। मूर्ति दर्शन हेतु गांव में अंदर जाने की आवश्यकता नहीं है। हाईवे पर ही सड़क किनारे मूर्ति स्थापित है। शेगांव में रेलवे स्टेशन है। मध्य रेल्वे का यह रेलवे स्टेशन मुंबई-कोलकाता रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। 4. करोलबाग के हनुमान : दिल्ली के करोलबाग में, जहां के हनुमानजी की मूर्ति के बारे में देशभर के लोग जानते हैं। करोलबाग मेट्रो स्टेशन के पास बनी हनुमानजी की 108 फुट की यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वचालित प्रतिमा है। हनुमानजी की छाती में उनके हाथों के पीछे श्रीराम-सीता विराजमान हैं। बताया जाता है कि अरसे पहले एक संत नागबाबा सेवागिरिजी यहां आए थे। प्रभु श्रीराम के आदेशानुसार ही उन्होंने हनुमानजी की प्रतिमा और मंदिर का निर्माण 1994 से आरंभ करवाया, जो लगातार 13 वर्षों तक चलता रहा और 2 अप्रैल 2007 को संपन्न हुआ। मंगलवार व शनिवार को प्रातः 8.15 बजे और सायं 8.15 बजे इसी मूर्ति को देखने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ता है। 5. जाखू हनुमान मंदिर : हिमाचल के शिमला में हनुमानजी की विशालकाय मूर्ति है जिसकी ऊंचाई 33 मीटर है। इसे एशिया की सबसे ऊंची मूर्ति माना जाता है जिसकी ऊंचाई 108 फुट है। शिमला के जाखू मंदिर में इस मूर्ति की स्थापना की गई। यह मूर्ति 2,296 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। साढ़े 8 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थापित यह मूर्ति अपने आप में एक इतिहास है। मूर्ति की स्थापना नवंबर 2010 में एचसी नंदा न्यास की तरफ से की गई है। मूर्ति के लोकार्पण के समय अभिषेक बच्चन और उनकी बहन श्वेता बच्चन नंदा भी शामिल हुए थे। कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश के सोलन जिल के सुल्तानपुर स्थित लाडो गांव में मानव भारती यूनिवर्सिटी के परिसर में हनुमानजी की सबसे ऊंची मूर्ति स्थापित है जिसकी ऊंचाई 151 फुट है और वजन करीब 2000 टन बताया जाता है।6. वीरा अभया अंजनया हनुमान स्वामी : हनुमानजी की सबसे विशालकाय मूर्ति आंध्रप्रदेश में है जिसे वीरा अभया अंजनया हनुमान स्वामी कहा जाता है। इसकी ऊंचाई 41 मीटर है। यह मूर्ति 135 फीट ऊंची है। आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा के पास परितला में इस मूर्ति की स्थापना 2003 में की गई थी। यह मूर्ति ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में स्थापित क्राइस्ट की मूर्ति से भी बड़ी है। 7. विजयवाड़ा के हनुमान : आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक हनुमान जी की विशालकाय प्रतिमा है। यह प्रतिमा वियवाड़ा के परिटाला शहर में स्थित है। यह मूर्ति विश्व की सबसे बड़ी और भारत की सबसे ऊंची प्रतिमा मानी जाती है। इस मूर्ति की ऊंचाई करीब 135 फीट है। 8. इंदौर के पितेृश्वर हनुमान : इंदौर के पितृ पर्वत पर स्थापित पितेृश्वर हनुमानजी की मूर्ति का वजन 108 टन और ऊंचाई 71 फुट है। इस प्रतिमा का निर्माण सोना, चांदी, प्लेटिनम, पारा, एंटीमनी, जस्ता, सीसा और रांगा अर्थात अष्टधातु से किया जा रहा है जिसे अभिषेक की दृष्टि से सर्वोत्तम माना जाता है। इस मूर्ति का निर्माण गालव ऋषि की भूमि (ग्वालियर) में किया गया और फिर इसे कई भागों में यहां लाकर स्थापित किया गया। इस हनुमानजी के उपर जो छत्र है वह 18 फुट गोल है और हनुमानजी की गदा 45 फुट लंबी है। मूर्ति के सामने पंच धातु से निर्मित 9 बाइ 19 ‍फुट की रामायण स्थापित की गई है। इसकी स्थापना के लिए 121 बाइ 121 फुट का चबुतरा बनाया गया है जो भूमि से 14 फुट ऊंचा है। इस मूर्ति की खासियत यह है कि यह भारत की पहली विशालकाय विराजमान मूर्ति है, जबकि सभी मूर्तियां खड़े हुनमानजी की है। यह दुनिया की सबसे बड़ी धातु की प्रतिमा है। 9. आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के नरसन्नापेटा मंडल में विराजित हनुमान मूर्ति की ऊंचाई 175 फुट से भी ऊंची बताई जाती है। इससे भी बड़ी प्रतिमा का राजस्थान के सिरोही जिले के माधव विश्वविद्यालय परिसर में निर्माण चल रहा है जिसकी ऊंचाई 221 फुट होने का दावा किया जाता है। 10. त्रिवेणी हनुमान मंदिर : फरीदाबाद-गुड़गांव रोड स्थित त्रिवेणी हनुमान मंदिर में 108 फुट ऊंची प्रतिमा है।

इंदौर के पितरेश्वर हनुमान धाम का इतिहास, कैसे पहुंचें, कहां ठहरें...*By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹इंदौर। देवी अहिल्या बाई होलकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से पितरेश्वर हनुमान धाम की दूरी करीब 3 किलोमीटर है। यह स्थान रेलवे स्टेशन से करीब 11 किलोमीटर और गंगवाल बस स्टैंड से करीब 8 किलोमीटर दूर है। पितरेश्वर हनुमान मूर्ति को लगवाने से लेकर प्राण-प्रतिष्ठा तक का श्रेय भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और उनकी पूरी टीम को जाता है। पितरेश्वर हनुमान धाम का इतिहास भी बेहद दिलचस्प है।MgidMgidLOCTITEStart Using LOCTITE Solutions On Your Plant Machinery. Order NowDouble up your machines' performanceAVAIL UP TO 50% OFF →Playvolume00:05/00:00TruvidfullScreenALSO READ: बनेगा विश्व रिकॉर्ड, 1000 क्विंटल आटे, 1000 क्विंटल शक्कर से बनेगी पितरेश्वर हनुमान धाम की 'महाप्रसादी'विज्ञापनइंदौर में नर्मदा के जल के आने से पहले शहर की जलापूर्ति का सबसे बड़ा केंद्र यशवंत सागर ही हुआ करता था। यशवंत सागर से पानी रेशम केंद्र से पंपिंग करके जम्बूड़ी होते हुए देवधरम टेकरी पर आता है। यहां पर पानी फिल्टर होता है और फिर पश्चिमी क्षेत्र के कुछ हिस्सों की जलापूर्ति आज भी यही पानी करता है। इसी देवधरम टेकरी के बचे हुए हिस्से में पितरेश्वर हनुमान धाम बनाया गया है। webduniaकैसे हुई शुरुआत : 2002 में कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के महापौर थे और उन्हें विचार आया कि क्यों न देवधरम टेकरी पर हनुमानजी की सबसे बड़ी मूर्ति लगाई जाए। यहीं पर उन्होंने शहर के लोगों से आग्रह किया कि वे 'पितृ पर्वत' पर अपने स्वर्गीय परिजनों के नाम से एक पौधा लगाएं, जिसकी देखभाल इंदौर नगर निगम के कर्मी करेंगे। पितृ पर्वत का नया नामकरण : 18 सालों में लोगों ने पितृ पर्वत पर सैकड़ों पौधे रोपे जिसमें से कई तो विशाल वृक्ष का रूप ले चुके हैं। यहां पर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित होने के बाद इस स्थान का नया नामकरण 'पितरेश्वर हनुमान धाम' हो गया है। यानी पितृ पर्वत अब पितरेश्वर हनुमान धाम से जाना जाएगा। इन होटलों में ठहरा जा सकता है : निम्न और मध्यम वर्ग के यात्री गंगवाल बस स्टैंड के आसपास छोटी होटलों में ठहर सकते हैं लेकिन जिन लोगों को सर्वसुविधा और लक्जरी व्यवस्था चाहिए उन्हें विजय नगर क्षेत्र में जाना होगा। ऐसे यात्री होटल मेरिएट, सयाजी, रेडिसन में ठहर सकते हैं। इन सितारा होटलों से पितरेश्वर हनुमान धाम की दूरी करीब 10 किलोमीटर है।*By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹यह भी पढ़ेंइंदौर के पितृ पर्वत पर विराजे हनुमानजी, 3 मार्च को रिकॉर्ड 10 लाख लोग ग्रहण करेंगे महाप्रसादीबनेगा विश्व रिकॉर्ड, 1000 क्विंटल आटे, 1000 क्विंटल शक्कर से बनेगी पितरेश्वर हनुमान धाम की 'महाप्रसादी'एक राष्ट्रीय राजनेता के बिना अन्न के ऐसे बीते 18 साल...इंदौर स्थित पितरेश्वर हनुमान धाम के आसपास के चर्चित धार्मिक स्थलभारत की 10 सबसे विशालकाय हनुमान प्रतिमाएंहनुमानजी के सबसे सिद्ध और चमत्कारिक 10 मंदिरश्री बजरंग बाण का पाठआधुनिक दुनिया में हनुमान चालीसा का क्या महत्व है?हर मंगलवार 11 बार पढ़ें श्री हनुमान चालीसा, निश्चित दूर होगी हर समस्याहनुमानजी बंदर या वानर थे या कुछ और, क्या आज भी मिलते हैं ऐसे लोगहनुमान-भक्त अमिताभ बच्चन इस मंदिर में हर साल दर्ज कराते हैं उपस्थितियह दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी है हनुमान जी का बहुत बड़ा भक्त

हनुमानजी के सबसे सिद्ध और चमत्कारिक 10 मंदिर। *By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹 हनुमानजी के देशभर में हजारों मंदिर है उनमें से सैंकड़ों सिद्ध मंदिर है। उनमें से भी 10 मंदिरों का चयन करना बहुत ही मुश्‍किल है। फिर भी हमने बहुत ही खास 10 मंदिरों के बारे में यहां लिखा है। 1. बालाजी हनुमान मंदिर मेहंदीपुर (राजस्थान) : राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ घाटा मेहंदीपुर नामक स्थान है, जहां पर बहुत बड़ी चट्टान में हनुमानजी की आकृति स्वत: ही उभर आई है जिसे श्रीबालाजी महाराज कहते हैं। इसे हनुमानजी का बाल स्वरूप माना जाता है। इनके चरणों में छोटी-सी कुंडी है जिसका जल कभी समाप्त नहीं होता। यहां के हनुमानजी का विग्रह काफी शक्तिशाली एवं चमत्कारिक माना जाता है तथा इसी वजह से यह स्थान न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में विख्यात है। यहां हनुमानजी के साथ ही शिवजी और भैरवजी की भी पूजा की जाती है। 2. जगन्नाथ का मंदिर : जगन्नाथपुरी में ही सागर तट पर बेदी हनुमान का प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिर है। कहावत है कि महाप्रभु जगन्नाथ में वीर मारुति को यहां समुद्र को नियंत्रित करने हेतु नियुक्त किया था, परंतु जब-तब हनुमान भी जगन्नाथ-बलभद्र एवं सुभद्रा के दर्शनों का लोभ संवरण नहीं कर पाते थे, सम्प्रति समुद्र भी उनके पीछे नगर में प्रवेश कर जाता। केसरीनंदन की इस आदत से परेशान हो जगन्नाथ महाप्रभु ने हनुमान को यहां स्वर्ण बेड़ी से आबद्ध कर दिया। 3.श्रीपंचमुख आंजनेय स्वामीजी : तमिलनाडु के कुंभकोणम नामक स्थान पर श्रीपंचमुखी आंजनेयर स्वामीजी (श्रीहनुमानजी) का बहुत ही मनभावन मठ है। यहां पर श्रीहनुमानजी का पंचमुख रूप में विग्रह स्थापित है, जो अत्यंत भव्य एवं दर्शनीय है। यहां पर प्रचलित कथाओं के अनुसार जब अहिरावण तथा उसके भाई महिरावण ने श्रीरामजी को लक्ष्मण सहित अगवा कर लिया था, तब प्रभु श्रीराम को ढूंढने के लिए हनुमानजी ने पंचमुख रूप धारण कर इसी स्थान से अपनी खोज प्रारंभ की थी और फिर इसी रूप में उन्होंने उन अहिरावण और महिरावण का वध भी किया था। यहां पर हनुमानजी के पंचमुख रूप के दर्शन करने से मनुष्य सारे दुखों, संकटों एवं बंधनों से मुक्त हो जाता है। बाद में हनुमानजी गुजरात के समुद्री तट पर स्थित बेट द्वारका से पाताललोक गए थे। वहीं बेट द्वारका से 4 मील की दूरी पर मकरध्वज के साथ में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है। कहते हैं कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी, परंतु अब दोनों मूर्तियां एक-सी ऊंची हो गई है। अहिरावण ने भगवान श्रीराम-लक्ष्मण को इसी स्थान पर छिपाकर रखा था। जब हनुमानजी श्रीराम-लक्ष्मण को लेने के लिए आए, तब उनका मकरध्वज के साथ घोर युद्ध हुआ। अंत में हनुमानजी ने उसे परास्त कर उसी की पूंछ से उसे बांध दिया। उनकी स्मृति में यह मूर्ति स्थापित है। मकरध्वज हनुमानजी का पुत्र था। 4. हनुमानगढ़ी : अयोध्या में स्थित यह सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। यह मंदिर अयोध्या में सरयू नदी के दाहिने तट पर एक ऊंचे टीले पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। यहां पर स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा केवल छः (6) इंच लंबी है, जो हमेशा फूल-मालाओं से सुशोभित रहती है।इस मंदिर के जीर्णोद्धार के पीछे एक कहानी है। सुल्तान मंसूर अली लखनऊ और फैजाबाद का प्रशासक था। तब एक बार सुल्तान का एकमात्र पुत्र बीमार पड़ा। वैद्य और डॉक्टरों ने जब हाथ टेक दिए, तब सुल्तान ने थक-हारकर आंजनेय के चरणों में अपना माथा रख दिया। लेकिन मुसलमान होने के नाते किसी मूर्ति के समक्ष झुकने से उसे ग्लानि हो रही थी। लेकिन मन में श्रद्धा थी और उसने सोचा कि खुदा और ईश्वर में कोई फर्क नहीं। उसने हनुमान से विनती की और तभी चमत्कार हुआ कि उसका पुत्र पूर्ण स्वस्थ हो गया। उसकी धड़कनें फिर से सामान्य हो गईं। तब सुल्तान से खुश होकर अपनी आस्था और श्रद्धा को मूर्तरूप दिया- हनुमानगढ और इमली वन के माध्यम से। उसने इस जीर्ण-शीर्ण मंदिर को विराट रूप दिया और 52 बीघा भूमि हनुमानगढ़ी और इमली वन के लिए उपलब्ध करवाई। संत अभयारामदास के सहयोग और निर्देशन में यह विशाल निर्माण संपन्न हुआ। संत अभयारामदास निर्वाणी अखाड़ा के शिष्य थे और यहां उन्होंने अपने संप्रदाय का अखाड़ा भी स्थापित किया था। 5.बालाजी हनुमान मंदिर, सालासर (राजस्थान) : हनुमानजी का यह मंदिर राजस्थान के चुरु जिले के गांव सालासर में स्थित है। इन्हें सालासर के बालाजी हनुमान के नाम से पुकारा जाता है। यहां स्थित हनुमानजी की प्रतिमा दाढ़ी व मूंछ से सुशोभित है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मनचाहा वरदान पाते हैं। इस मंदिर के संस्थापक श्री मोहनदासजी बचपन से श्री हनुमानजी के प्रति अगाध श्रद्धा रखते थे। माना जाता है कि हनुमानजी की यह प्रतिमा एक किसान को जमीन जोतते समय मिली थी जिसे सालासर में सोने के सिंहासन पर स्थापित किया गया है। 6. संकटमोचन हनुमान मंदिर : भूतभावन आशुतोष की पावन नगरी बनारस में अवस्थित है संकटमोचन हनुमान मंदिर। इस पावन नगरी में जिस स्थान पर गोस्वामी तुलसीदास को अंजनीसुत ने दर्शन दिए, वही स्थान आज संकटमोचन के नाम से सुविख्यात है। जिस मुद्रा में गोस्वामी को दर्शन हुए, उसी की प्रतिकृति है यहां का विग्रह। स्वयं तुलसीदासजी ने यह मूर्ति स्थापित करवाई थी। इस मंदिर के प्रांगण में हनुमत विग्रह के सामने ही सानुज श्रीराम, माता जानकी के साथ विराजित हैं। काशी से ही जिस गुफानुमा कोठरी में गोस्वामी ने साधनारत अपने जीवन का अंतिम समय गुजारा वहां भी 'गुफा के हनुमान' के रूप में प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। 7. अलीगंज का हनुमान मंदिर : लखनऊ को किसी समय लक्ष्मणपुर कहा जाता था। लखनऊ के अलीगंज में है एक प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है, जो बेहद ही चमत्कारिक मंदिर है। आसपास या दूरदराज में जहां भी हनुमान मंदिर बनाया जा रहा है उसके लिए यहीं से सिंदूर और लंगोट ले जाकर प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है। ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को यहां विशाल मेला लगता है। अंग्रेज काल में लखनऊ के नवाब मुहम्मद अली शाह रहते थे। उनकी बेगम राबिया को कोई औलाद नहीं हो रही थी। सब दवा-दुआ बेकार जा रहा थी। किसी ने बताया कि इस्लामबाड़ी में एक हिन्दू संत रहता है, उसके सामने झोली फैलाओ। इस्लामबाड़ी को पहले हनुमानबाड़ी कहते थे। यहां हनुमान मंदिर था लेकिन 600 वर्ष पूर्व बख्तियार खिलजी ने इसका नाम बदलकर इस्लामबाड़ी कर दिया। खैर, इस्लामबाड़ी में इस हिन्दू संत को बाड़ी वाले बाबा कहकर पुकारते थे। ये बजरंग बली के परम भक्त थे।राबिया बेगम ने बाड़ी वाले बाबा के सामने दामन फैलाया तो बाबा ने बेगम की फरियाद पहुंचा दी रामदूत हनुमान के पास तक। हनुमानजी ने बेगम की आस्था को जांचने की सोची और स्वप्न में बेगम को आदेश दिया- इस्लामबाड़ी के टीले के नीचे मेरी मूर्ति दबी पड़ी है, उसका उद्धार कर किसी मंदिर में स्थापित करो। सुबह राबिया बेगम बाबा के पास गई और बताया कि हनुमानजी स्वप्न में आए थे। बाबा के निर्देशन में टीले की खुदाई हुई और दबी हुई मूर्ति को निकाला गया। वही मूर्ति आज अलीगंज के मंदिर में स्थापित है। बेगम ने यहां बाबा का मंदिर बनवाया और बेगम को संतान सुख प्राप्त हुआ। 8. यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर, हंपी (कर्नाटक) : बेल्लारी जिले के हंपी नामक नगर में एक हनुमान मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमानजी को यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है। विद्वानों के मतानुसार यही क्षेत्र प्राचीन किष्किंधा नगरी है। वाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस में इस स्थान का वर्णन मिलता है। संभवतया इसी स्थान पर किसी समय वानरों का विशाल साम्राज्य स्थापित था। आज भी यहां अनेक गुफाएं हैं। इस मंदिर में श्रीरामनवमी के दिन से लेकर 3 दिन तक विशाल उत्सव मनाया जाता है। 9.कष्टभंजन हनुमान दादा महाराज मंदिर, सारंगपुर ‍(गुजरात) : गुजरात के भावनगर के सारंगपुर में विराजने वाले कष्‍टभंजन महाराजाधिराज हनुमान यहां हनुमान दादा के नाम से पुकारे जाते हैं। अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन पर स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर लगभग 12 मील दूर है। सोने के सिंहासन पर विराजमान हनुमान दादा की यहां स्थित मूर्ति के चरणों में शनि महाराज विराजमान हैं। कहा जाता है कि एक समय था, जब शनिदेव का पूरे राज्य पर आतंक था। आखिरकार भक्तों ने अपनी फरियाद बजरंग बली से की। भक्तों की बातें सुनकर हनुमानजी शनिदेव को मारने के लिए उनके पीछे पड़ गए। अब शनिदेव के पास जान बचाने का आखिरी विकल्प बाकी था, सो उन्होंने स्त्री रूप धारण कर लिया क्योंकि उन्हें पता था कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे किसी स्त्री पर हाथ नहीं उठाएंगे। लेकिन भगवान राम के आदेश से उन्होंने स्त्री-स्वरूप शनिदेव को अपने पैरों तले कुचल दिया। 10.हनुमान धारा, चित्रकूट, उत्तरप्रदेश : उत्तरप्रदेश के सीतापुर नामक स्थान से 3 मील दूर पर्वतमाला के मध्यभाग में यह हनुमान मंदिर स्थापित है। पहाड़ के सहारे हनुमानजी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर पर जल के दो कुंड हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से निरंतर पानी बहता रहता है। इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं। कहा जाता है कि श्रीराम के अयोध्या में राज्याभिषेक होने के बाद एक दिन हनुमानजी ने भगवान श्री रामचंद्र से कहा- 'हे भगवन्! मुझे कोई ऐसा स्थान बतलाइए, जहां लंका दहन से उत्पन्न मेरे शरीर का ताप मिट सके।' तब भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को यह स्थान बताया था।

श्री बजरंग बाण का पाठदोहा : निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान चौपाई : जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥ दोहा : उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥*By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹यह भी पढ़ेंइंदौर के पितृ पर्वत पर विराजे हनुमानजी, 3 मार्च को रिकॉर्ड 10 लाख लोग ग्रहण करेंगे महाप्रसादीबनेगा विश्व रिकॉर्ड, 1000 क्विंटल आटे, 1000 क्विंटल शक्कर से बनेगी पितरेश्वर हनुमान धाम की 'महाप्रसादी'एक राष्ट्रीय राजनेता के बिना अन्न के ऐसे बीते 18 साल...इंदौर स्थित पितरेश्वर हनुमान धाम के आसपास के चर्चित धार्मिक स्थलभारत की 10 सबसे विशालकाय हनुमान प्रतिमाएंहनुमानजी के सबसे सिद्ध और चमत्कारिक 10 मंदिरश्री बजरंग बाण का पाठआधुनिक दुनिया में हनुमान चालीसा का क्या महत्व है?हर मंगलवार 11 बार पढ़ें श्री हनुमान चालीसा, निश्चित दूर होगी हर समस्याहनुमानजी बंदर या वानर थे या कुछ और, क्या आज भी मिलते हैं ऐसे लोगहनुमान-भक्त अमिताभ बच्चन इस मंदिर में हर साल दर्ज कराते हैं उपस्थितियह दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी है हनुमान जी का बहुत बड़ा भक्त

, श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। चौपाई : जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा।अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।। महाबीर बिक्रम बजरंगी।कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन बरन बिराज सुबेसा।कानन कुंडल कुंचित केसा।। हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।कांधे मूंज जनेऊ साजै। संकर सुवन केसरीनंदन।तेज प्रताप महा जग बन्दन।। विद्यावान गुनी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।राम लखन सीता मन बसिया।। सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।बिकट रूप धरि लंक जरावा।। भीम रूप धरि असुर संहारे।रामचंद्र के काज संवारे।। लाय सजीवन लखन जियाये।श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।नारद सारद सहित अहीसा।। जम कुबेर दिगपाल जहां ते।कबि कोबिद कहि सके कहां ते।। तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।राम मिलाय राज पद दीन्हा।। तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।लंकेस्वर भए सब जग जाना।। जुग सहस्र जोजन पर भानू।लील्यो ताहि मधुर फल जानू।। प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। दुर्गम काज जगत के जेते।सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। राम दुआरे तुम रखवारे।होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। सब सुख लहै तुम्हारी सरना।तुम रक्षक काहू को डर ना।। आपन तेज सम्हारो आपै।तीनों लोक हांक तें कांपै।। भूत पिसाच निकट नहिं आवै।महाबीर जब नाम सुनावै।। नासै रोग हरै सब पीरा।जपत निरंतर हनुमत बीरा।। संकट तें हनुमान छुड़ावै।मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।। सब पर राम तपस्वी राजा।तिन के काज सकल तुम साजा। और मनोरथ जो कोई लावै।सोइ अमित जीवन फल पावै।। चारों जुग परताप तुम्हारा।है परसिद्ध जगत उजियारा।। साधु-संत के तुम रखवारे।असुर निकंदन राम दुलारे।। अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।अस बर दीन जानकी माता।। राम रसायन तुम्हरे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा।। तुम्हरे भजन राम को पावै।जनम-जनम के दुख बिसरावै।। अन्तकाल रघुबर पुर जाई।जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।। और देवता चित्त न धरई।हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।। संकट कटै मिटै सब पीरा।जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।। जै जै जै हनुमान गोसाईं।कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।। जो सत बार पाठ कर कोई।छूटहि बंदि महा सुख होई।। जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।होय सिद्धि साखी गौरीसा।। तुलसीदास सदा हरि चेरा।कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। दोहा : पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।*By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹 यह भी पढ़ेंइंदौर के पितरेश्वर हनुमान धाम का इतिहास...भारत की 10 सबसे विशालकाय हनुमान प्रतिमाएंहनुमानजी के सबसे सिद्ध और चमत्कारिक 10 मंदिरश्री बजरंग बाण का पाठआधुनिक दुनिया में हनुमान चालीसा का क्या महत्व है?हर मंगलवार 11 बार पढ़ें श्री हनुमान चालीसा, निश्चित दूर होगी हर समस्याहनुमानजी बंदर या वानर थे या कुछ और, क्या आज भी मिलते हैं ऐसे लोग हनुमान-भक्त अमिताभ बच्चन इस मंदिर में हर साल दर्ज कराते हैं उपस्थितियह दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी है हनुमान जी का बहुत बड़ा भक्त|| श्री दुर्गा चालीसा || || श्री शनि चालीसा || || मां गायत्री चालीसा ||