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🚩🪴दीपावली🪴🚩नर्क चतुर्दशीदीपदान की विशेष प्रथा है, जो यमराज के लिए किया जाता हैBy वनिता कासनियां पंजाबयह त्यौहार नरक चौदस व नर्क चतुर्दशी के नाम से भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं।नर्क चतुर्दशीKrishna Narakasura.jpgकृष्ण और सत्यभामा नरकासुर मर्दन करते हुए- चित्रांकनआधिकारिक नामनर्क चतुर्दशी व्रतअनुयायीहिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासीप्रकारHinduतिथिकार्तिक कृष्ण चतुर्दशीसंध्या को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। दीपावली को एक दिन का पर्व कहना न्योचित नहीं होगा। इस पर्व का जो महत्व और महात्मय है उस दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण पर्व व हिन्दुओं का त्यौहार है। यह पांच पर्वों की श्रृंखला के मध्य में रहने वाला त्यौहार है जैसे मंत्री समुदाय के बीच राजा। दीपावली से दो दिन पहले धन-त्रयोदशी (धनतेरस) फिर नरक चतुर्दशी (नरक चौदस) व छोटी दीपावली फिर दीपावली और गोवर्धन पूजा व बलि प्रतिपदा, भ्रातृ-द्वितीया (भाईदूज) ।परिदृश्यसंपादित करेंनरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहते हैं। इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि दीपावली से एक दिन पहले, रात के समय उसी प्रकार दीए की जगमगाहट से रात के तिमिर को प्रकाश पुंज से दूर भगा दिया जाता है जैसे दीपावली की रात को। इस रात दीए जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएँ और लोकमान्यताएँ हैं। (एक कथा के अनुसार आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी नरकासुर का वध किया था और सोलह सहस्र एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इस उपलक्ष में दीयों की बारत सजायी जाती है।)इस दिन के व्रत और पूजा के संदर्भ में एक अन्य कथा यह है कि रन्ति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था पर जब मृत्यु का समय आया तो उनके सामने यमदूत आ खड़े हुए। यमदूत को सामने देख राजा अचम्भित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का अर्थ है कि मुझे नर्क जाना होगा। आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है। पुण्यात्मा राजा की अनुनय भरी वाणी सुनकर यमदूत ने कहा हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक भूखा ब्राह्मण लौट गया यह उसी पापकर्म का फल है।दूतों की इस प्रकार कहने पर राजा ने यमदूतों से कहा कि मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझे वर्ष का और समय दे दे। यमदूतों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दिया। राजा अपनी समस्या लेकर ऋषियों के पास पहुंचा और उन्हें सब वृतान्त कहकर उनसे पूछा कि कृपया इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय है। ऋषि बोले हे राजन् आप कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्रह्मणों को भोजन करवा कर उनसे अनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें।राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया। इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करने का बड़ा महात्मय है। स्नान के पश्चात विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है। इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उपरोक्त कारणों से नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी और छोटी दीपावली के नाम से जाना जाता है। और इसके उपरान्त क्रमशः दीपावली, गोधन पूजा और भाई दूज (भ्रातृ-द्वितीया) मनायी जाती है।कथासंपादित करेंपौराणिक कथा है कि इसी दिन कृष्ण ने एक दैत्य नरकासुर का संहार किया था। सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नानादि से निपट कर यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करने का विधान है। संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं।उद्देश्यइस त्योहार को मनाने का मुख्य उद्देश्य घर में उजाला और घर के हर कोने को प्रकाशित करना है। कहा जाता है कि दीपावली के दिन भगवान श्री राम चन्द्र जी चौदह वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या आये थे तब अयोध्या वासियों ने अपने हर्ष के दीयें जलाकर उत्सव मनाया व भगवान श्री रामचन्द्र माता जानकी व लक्ष्मण का स्वागत किया।

🚩🪴दीपावली🪴🚩 नर्क चतुर्दशी दीपदान की विशेष प्रथा है, जो यमराज के लिए किया जाता है By  वनिता कासनियां पंजाब यह त्यौहार  नरक चौदस  व  नर्क चतुर्दशी  के नाम से भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं। नर्क चतुर्दशी कृष्ण  और  सत्यभामा  नरकासुर मर्दन करते हुए- चित्रांकन आधिकारिक नाम नर्क चतुर्दशी व्रत अनुयायी हिन्दू , भारतीय, भारतीय प्रवासी प्रकार Hindu तिथि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी संध्या को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। दीपावली को एक दिन का पर्व कहना न्योचित नहीं होगा। इस पर्व का जो महत्व और महात्मय है उस दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण पर्व व हिन्दुओं का त्यौहार है। यह पांच पर्वों की श्रृंखला के मध्य में रहने वाला त्यौहार है जैसे मंत्री समुदाय के बीच राजा। दीपावली से दो दिन पहले धन-त्रयोदशी (धनतेरस) फिर नरक चतुर्दशी (न...

सुंदरकांड का पाठ किस तरीके से करना चाहिए By वनिता कासनियां पंजाब ? जय श्री राम।आपने सुंदरकांड पाठ के बारे में पूछा शायद मैं उसका जवाब दे पाऊंगी क्योंकि मैं सुंदरकांड का पाठ प्रतिदिन करती हूं। सुंदरकांड तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस का एक कांड है जिसमें हनुमान जी की महिमा का वर्णन है।सुंदरकांड का पाठ पढ़ने से हमें बहुत ही अधिक सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है और हमें हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है हमारे शरीर में हमें फुर्ती महसूस होती है और हम बहुत हद तक हमारी बीमारियों को ठीक हुआ महसूस करते हैं यह एक बहुत ही बढ़िया पाठ है।सुंदरकांड के पाठ में 60 दोहे हैं इसे पढ़ने में हमें कम से कम 1 घंटे का समय लगता है अगर हम इसे ध्यान से पढ़ें तो हमें हनुमान जी ने जो जो कार्य राम जी के लिए किए थे उसके बारे में हमें पता चल जाता है। हम इसे नित्य पढ़ सकते हैं और अगर हम चाहे तो इसे सप्ताह में एक बार मंगलवार या शनिवार के दिन भी पढ़ सकते हैं क्योंकि मंगलवार और शनिवार हनुमान जी के दिन होते हैं तो इस दिन सुंदरकांड का पाठ पढ़ने का बहुत अधिक महत्व है।इसे पढ़ने के लिए हमें ज्यादा कुछ नहीं करना है बस हमें हनुमान जी की तस्वीर के सामने एक तांबे के कलश में पानी रखना है और हनुमान जी के लिए कुछ भी प्रसाद चाहे गुड़ का टुकड़ा भी क्यों ना हो रखना है फिर हमें अगर हमारे पास फूल हो तो हनुमान जी के तस्वीर के पास फूल चढ़ा देना चाहिए और एक दीया लगाकर हमें सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए सुंदरकांड के पाठ को हमें अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए जब तक हो सके इसे पूरा पढ़ना चाहिए और सुंदरकांड के पाठ के अंत में हमें हनुमान चालीसा पढ़ कर प्रभु को ध्यान में रखकर अगर हमारी कुछ भी मन में इच्छा हो तो आप उन्हें कह सकते हैं। अब हम वह हनुमान जी की तस्वीर के पास रखा हुआ जल ग्रहण कर लेना है यह जल अमृत के समान हो जाता है इस पानी को पीने से हमारे शरीर में बहुत ही उर्जा का अनुभव होता है और हमारे शरीर एक कष्टों का निवारण होता है।हम जिस तरीके से सुंदरकांड का पाठ करते हैं उस तरीके को आपसे साझा कर दिया है अगर इसमें कुछ भी त्रुटि हो तो आप सभी से माफी चाहते हैं और अगर आपको इससे संबंधित कुछ भी पुछना हो तो आप हमसे बेहिचक पूछ सकते हैं।मैं प्रतिदिन यह वाली सुंदरकांड का पाठ करती हूं यह 45 मिनट में संपूर्ण हो जाती है जय श्री राम 🙏🚩

सुंदरकांड का पाठ किस तरीके से करना चाहिए By वनिता कासनियां पंजाब ? जय श्री राम। आपने सुंदरकांड पाठ के बारे में पूछा शायद मैं उसका जवाब दे पाऊंगी क्योंकि मैं सुंदरकांड का पाठ प्रतिदिन करती हूं। सुंदरकांड तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस का एक कांड है जिसमें हनुमान जी की महिमा का वर्णन है। सुंदरकांड का पाठ पढ़ने से हमें बहुत ही अधिक सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है और हमें हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है हमारे शरीर में हमें फुर्ती महसूस होती है और हम बहुत हद तक हमारी बीमारियों को ठीक हुआ महसूस करते हैं यह एक बहुत ही बढ़िया पाठ है। सुंदरकांड के पाठ में 60 दोहे हैं इसे पढ़ने में हमें कम से कम 1 घंटे का समय लगता है अगर हम इसे ध्यान से पढ़ें तो हमें हनुमान जी ने जो जो कार्य राम जी के लिए किए थे उसके बारे में हमें पता चल जाता है। हम इसे नित्य पढ़ सकते हैं और अगर हम चाहे तो इसे सप्ताह में एक बार मंगलवार या शनिवार के दिन भी पढ़ सकते हैं क्योंकि मंगलवार और शनिवार हनुमान जी के दिन होते हैं तो इस दिन सुंदरकांड का पाठ पढ़ने का बहुत अधिक महत्व है। इसे पढ़ने के लिए हमें ज...

#अखंड #सौभाग्य की कामना के लिए #हरतालिका तीज का #व्रत रखा जाता है। इस बार हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को रखा जा रहा है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। यह व्रत सुहागिन #महिलाएं सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती है। यह व्रत हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही होता है। इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती है। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में सुख शांति बनी रहती है और रिश्ता मजबूत होता है। जानिए हरतालिका तीज की तिथि, शुभ #मुहूर्त और सामग्री के बारे में। By #वनिता #कासनियां #पंजाब ?हरतालिका तीज 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त .भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि प्रारंभ- 29 अगस्त सोमवार को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शुरू .#भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 30 अगस्त मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक .उदया तिथि के आधार पर हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा है।हरतालिका तीज पूजा का शुभ मुहूर्तप्रात:काल हरतालिका पूजा मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 12 मिनट से 08 बजकर 42 मिनट तकप्रदोष काल हरतालिका पूजन मुहूर्त = सुबह 6 बजकर 42 मिनट से दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तकतृतीया तिथि का समय = 29 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 21 से 30 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक।हरतालिका तीज पूजन सामग्रीहरतालिका तीज पूजा के लिए सभी सामग्री पहले से ही एकत्र कर लें, जिससे कि पूजा के समय किसी समस्या का सामना न करना पड़ें। इसके लिए भगवान शिव, माता #पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति #मिट्टी से बनेगी। इसलिए #शुद्ध मिट्टी ले आएं। इसके अलावा पीला वस्त्र, केले का पत्ता, जनेऊ, सुपारी, रोली, बेलपत्र, धतूरा, शमी के पत्ते, दूर्वा, कलश, अक्षत, घी, कपूर, गंगाजल, दही #शहद और 16 #श्रृंगार का सामान सिंदूर, बिंदिया, मेंहदी, कुमकुम आदि ले आएं। इसके साथ ही शुद्ध घी, दीपक, धूप आदि ले आएं।#Vnita #Hartalika Teej's fast is kept to wish for #unbroken #good luck. This time the fast of Hartalika Teej is being observed on 30th August. According to the Panchang, Hartalika Teej is celebrated on the third day of Shukla Paksha of Bhadrapada month.

#अखंड #सौभाग्य की कामना के लिए #हरतालिका तीज का #व्रत रखा जाता है। इस बार हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को रखा जा रहा है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। यह व्रत सुहागिन #महिलाएं सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती है। यह व्रत हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही होता है। इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती है। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में सुख शांति बनी रहती है और रिश्ता मजबूत होता है। जानिए हरतालिका तीज की तिथि, शुभ #मुहूर्त और सामग्री के बारे में। By #वनिता #कासनियां #पंजाब ? हरतालिका तीज 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त . भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि प्रारंभ- 29 अगस्त सोमवार को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शुरू . #भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 30 अगस्त मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक . उदया तिथि के आधार पर हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा है। हरतालिका तीज पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात:काल हरतालिका पूजा मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 12 मिनट से 0...

मंगलवार को पढ़ें हनुमानजी के 12 नाम, देते हैं 5 लाभ By Vnita Kasnia Punjab Hanuman bhagvaan के बारे मे तो पूरा संसार जानता है। Hanuman bhagvaan की इजाजत के बगैर तो एक पत्ता भी नहीं हिलता। इस वेबसाइट के माध्यम से हम कोशिस करेंगे की हम आप लोगो तक Hanuman bhagvaan से जुडी सारी kahani , Hanuman katha, bal hanuman story, किस्से और Hanuman bhagvaan से मनचाहा वरदान प्राप्त करने के लिए Hanuman shaktishaali Mantras और dohe आप लोगे तक प्रस्तुत करने की कोशिस करेंगे। हम लोग जानते है की सभी देवो मे Shree Hanuman bhagvaan को खुश करना सबसे आसान है इसलिए हमें विश्वास है की इस वेबसाइट मे आने के बाद और इस वेबसाइट मे दिए गए मंत्रो का सही इश्तेमाल करके आप लोग के जीवन मे अवश्य ही सुख और समृद्धि की बरसात होने लगेगी। बजरंगबली के 12 नाम का स्मरण करने से ना सिर्फ उम्र में वृद्धि होती है बल्कि समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति भी होती है। 12 नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी महाराज दसों दिशाओं एवं आकाश-पाताल से रक्षा करते हैं।प्रस्तुत है बजरंग बली के 12 चमत्कारी नाम :1 ॐ श्री हनुमान2 ॐ श्री अंजनी सुत3 ॐ श्री वायु पुत्र4 ॐ श्री महाबल5 ॐ श्री रामेष्ठ6 ॐ श्री फाल्गुण सखा7 ॐ श्री पिंगाक्ष8 ॐ श्री अमित विक्रम9 ॐ श्री उदधिक्रमण10 ॐ श्री सीता शोक विनाशन11 ॐ श्री लक्ष्मण प्राण दाता12 ॐ श्री दशग्रीव दर्पहाउपरोक्त 12 नाम की अलौकिक महिमा : - प्रात: काल सो कर उठते ही जिस अवस्था में भी हो बारह नामों को 11 बार लेनेवाला व्यक्ति दीर्घायु होता है।- नित्य नियम के समय नाम लेने से इष्ट की प्राप्ति होती है।- दोपहर में नाम लेनेवाला व्यक्ति धनवान होता है। दोपहर संध्या के समय नाम लेनेवाला व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है।- रात्रि को सोते समय नाम लेनेवाले व्यक्ति की शत्रु से जीत होती है।- उपरोक्त समय के अतिरिक्त इन बारह नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी महाराज दसों दिशाओं एवं आकाश पाताल से रक्षा करते हैं।- लाल स्याही से मंगलवार को भोजपत्र पर बारह नाम लिखकर मंगलवार के दिन ही ताबीज बांधने से कभी सिरदर्द नहीं होता। गले या बाजू में तांबे का ताबीज ज्यादा उत्तम है। भोजपत्र पर लिखने वाला पेन नया होना चाहिए।वनिता कासनियां पंजाब Jay shree Hanuman ji 🙏🙏

मंगलवार को पढ़ें हनुमानजी के 12 नाम, देते हैं 5 लाभ  By Vnita Kasnia Punjab   Hanuman bhagvaan के बारे मे तो पूरा संसार जानता है। Hanuman bhagvaan की इजाजत के बगैर तो एक पत्ता भी नहीं हिलता। इस वेबसाइट के माध्यम से हम कोशिस करेंगे की हम आप लोगो तक Hanuman bhagvaan से जुडी सारी kahani , Hanuman katha, bal hanuman story, किस्से और Hanuman bhagvaan से मनचाहा वरदान प्राप्त करने के लिए Hanuman shaktishaali Mantras और dohe आप लोगे तक प्रस्तुत करने की कोशिस करेंगे।  हम लोग जानते है की सभी देवो मे Shree Hanuman bhagvaan को खुश करना सबसे आसान है इसलिए हमें विश्वास है की इस वेबसाइट मे आने के बाद और इस वेबसाइट मे दिए गए मंत्रो का सही इश्तेमाल करके आप लोग के जीवन मे अवश्य ही सुख और समृद्धि की बरसात होने लगेगी।  बजरंगबली के 12 नाम का स्मरण करने से ना सिर्फ उम्र में वृद्धि होती है बल्कि समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति भी होती है। 12 नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी महाराज दसों दिशाओं एवं आकाश-पाताल से रक्षा करते हैं। प्रस्तुत है बजरंग बली के 12 चमत्कारी ना...

संपूर्ण श्री रामचरित मानस में हनुमान जी ने कितनी बार लघु रूप लिया है? By वनिता कासनियां पंजाब श्री रामदूत रुद्रावताराय हनुमान अतुलित एवम अजय पराक्रम के स्वामी हैं और ज्ञानिजनों में वे अग्रणी हैं। ज्ञानिनामग्रगण्यम श्री हनुमान को अष्टसिद्धियां पहले से ही प्राप्त थी। श्रीरामचरित्र मानस के अनुसार जगतनंदिनी लक्ष्मीरूपा मां जानकी ने अपने प्रिय पुत्र हनुमान जी को आशीर्वाद देकर इन सिद्धियों को अनंतगुना कर दिया व उन्हें इन सिद्धियों का दाता बना दिया।अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहंदनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌ ।सकलगुणनिधानं वानराणामधीशंरघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।अष्ट सिद्धि नव निधि के दाताअस बर दीन जानकी माता ।।सिद्धि ऐसी दिव्य पारलौकिक और आत्मिक ऊर्जा है जो योग और साधना की अलौकिक पराकाष्ठा पर प्राप्त होती हैं । सनातन वैदिक धर्म शास्त्रों में अनेक प्रकार की सिद्धियां का वर्णन प्रायः मिलता हैं जिसमें सर्वश्रेष्ठ आठ सिद्धियां अधिक प्रचलित है जिन्हें 'अष्टसिद्धि' कहा जाता।अणिमा महिमा चैव लघिमा गरिमा तथा ।प्राप्तिः प्राकाम्यमीशित्वं वशित्वं चाष्ट सिद्धयः ।।अष्ट सिद्धियों की पहली सिद्धि अणिमा हैं जिसकी प्राप्ति पर साधक अपने देह को एक अणु के समान सूक्ष्म कर सकता हैं ऐसा होने पर वो अदृश्य हो जाता हैं।हनुमान जी महाराज ने पूरे रामचरित मानस में प्रभु राम के कार्य को पूर्ण करने हेतु नौ बार लघु रुप धारण किया है।विद्यावान गुनी अति चातुर,राम काज करिबे को आतुरसब पर राम तपस्वी राजा।तिन के काज सकल तुम साजा।पहली बार सुरसा प्रसंग के दौरान :जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा।तासु दून कपि रूप देखावा॥सत जोजन तेहि आनन कीन्हा।अति लघु रुप पवनसुत लीन्हा।।दूसरी बार सिया सुधि हेतु लंका प्रवेश पर :पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।अति लघु रुप धर निसि नगर करौं पइसार।।चौपाई :मसक समान रूप कपि धरी।लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥तीसरी बार लंका की ओर बढ़ते समय लंकिनी को मोक्ष प्रदान करते समयगरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही।राम कृपा करि चितवा जाहीअति लघु रुप धरेउ हनुमाना।पैठा नगर सुमरि भगवाना।।चौथा बार अशोक वन मे प्रवेश कर मां सीता से भेंट के समयकरि सोइ रुप (लघु मसक जैसा) गयउ पुनि तहवाँ।बन अशोक सीता रह जहवाँ।।पांचवीं बार मां सीता को मुंदरी दिखाने के बाद।सीता मन भरोस तब भयउ।पुनि लघु रुप पवन सुत लयउ।।छटवीं बार लंका में पूँछ मे आग लगने के उपरान्तपावक जरत देखि हनुमन्ता।भयउ परम लघु रुप तुरंता।।सातवीं लंका दहन कर लौटते वक्तपूँछ बुझाइ खोइ श्रम ,धरि लघु रुप बहोरि।जनक सुता के आगे ,ठाढ भयउ करि जोरि ।।आठवीं बार वैद्य सुषेन वैद्य जी को लाने हेतु ।जामवंत कह बैद सुषेना।लंकाँ रहइ को पठई लेना ।धरि लघु रुप गयउ हनुमन्ता।आनेउ भवन समेत तुरंता ।नौवीं वैद्य सुषेन जी की सम्मान सहित वापिस पहुंचाते समयहरषे सकल भालु कपि ब्राता॥कपि पुनि बैद तहां पहुँचावा।जेहिं बिधि (लघु) तबहिं ताहि लइ आवा।।दुर्गम काज जगत के जेतेसुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।और मनोरथ जो कोई लावै,सोई अमित जीवन फल पावै।श्री रामदूत हनुमान की जय !!

संपूर्ण श्री रामचरित मानस में हनुमान जी ने कितनी बार लघु रूप लिया है? By वनिता कासनियां पंजाब श्री रामदूत रुद्रावताराय हनुमान अतुलित एवम अजय पराक्रम के स्वामी हैं और ज्ञानिजनों में वे अग्रणी हैं। ज्ञानिनामग्रगण्यम श्री हनुमान को अष्टसिद्धियां पहले से ही प्राप्त थी। श्रीरामचरित्र मानस के अनुसार जगतनंदिनी लक्ष्मीरूपा मां जानकी ने अपने प्रिय पुत्र हनुमान जी को आशीर्वाद देकर इन सिद्धियों को अनंतगुना कर दिया व उन्हें इन सिद्धियों का दाता बना दिया। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌ । सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि। अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता ।। सिद्धि ऐसी दिव्य पारलौकिक और आत्मिक ऊर्जा है जो योग और साधना की अलौकिक पराकाष्ठा पर प्राप्त होती हैं । सनातन वैदिक धर्म शास्त्रों में अनेक प्रकार की सिद्धियां का वर्णन प्रायः मिलता हैं जिसमें सर्वश्रेष्ठ आठ सिद्धियां अधिक प्रचलित है जिन्हें ' अष्टसिद्धि ' कहा जाता। अणिमा महिमा चैव लघिमा गरिमा तथा । प्राप्तिः प्राकाम्यमीशित्वं वशित्वं चाष्ट सिद्धयः ।। अष्ट सिद...