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सुंदरकांड का पाठ किस तरीके से करना चाहिए By वनिता कासनियां पंजाब ? जय श्री राम।आपने सुंदरकांड पाठ के बारे में पूछा शायद मैं उसका जवाब दे पाऊंगी क्योंकि मैं सुंदरकांड का पाठ प्रतिदिन करती हूं। सुंदरकांड तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस का एक कांड है जिसमें हनुमान जी की महिमा का वर्णन है।सुंदरकांड का पाठ पढ़ने से हमें बहुत ही अधिक सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है और हमें हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है हमारे शरीर में हमें फुर्ती महसूस होती है और हम बहुत हद तक हमारी बीमारियों को ठीक हुआ महसूस करते हैं यह एक बहुत ही बढ़िया पाठ है।सुंदरकांड के पाठ में 60 दोहे हैं इसे पढ़ने में हमें कम से कम 1 घंटे का समय लगता है अगर हम इसे ध्यान से पढ़ें तो हमें हनुमान जी ने जो जो कार्य राम जी के लिए किए थे उसके बारे में हमें पता चल जाता है। हम इसे नित्य पढ़ सकते हैं और अगर हम चाहे तो इसे सप्ताह में एक बार मंगलवार या शनिवार के दिन भी पढ़ सकते हैं क्योंकि मंगलवार और शनिवार हनुमान जी के दिन होते हैं तो इस दिन सुंदरकांड का पाठ पढ़ने का बहुत अधिक महत्व है।इसे पढ़ने के लिए हमें ज्यादा कुछ नहीं करना है बस हमें हनुमान जी की तस्वीर के सामने एक तांबे के कलश में पानी रखना है और हनुमान जी के लिए कुछ भी प्रसाद चाहे गुड़ का टुकड़ा भी क्यों ना हो रखना है फिर हमें अगर हमारे पास फूल हो तो हनुमान जी के तस्वीर के पास फूल चढ़ा देना चाहिए और एक दीया लगाकर हमें सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए सुंदरकांड के पाठ को हमें अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए जब तक हो सके इसे पूरा पढ़ना चाहिए और सुंदरकांड के पाठ के अंत में हमें हनुमान चालीसा पढ़ कर प्रभु को ध्यान में रखकर अगर हमारी कुछ भी मन में इच्छा हो तो आप उन्हें कह सकते हैं। अब हम वह हनुमान जी की तस्वीर के पास रखा हुआ जल ग्रहण कर लेना है यह जल अमृत के समान हो जाता है इस पानी को पीने से हमारे शरीर में बहुत ही उर्जा का अनुभव होता है और हमारे शरीर एक कष्टों का निवारण होता है।हम जिस तरीके से सुंदरकांड का पाठ करते हैं उस तरीके को आपसे साझा कर दिया है अगर इसमें कुछ भी त्रुटि हो तो आप सभी से माफी चाहते हैं और अगर आपको इससे संबंधित कुछ भी पुछना हो तो आप हमसे बेहिचक पूछ सकते हैं।मैं प्रतिदिन यह वाली सुंदरकांड का पाठ करती हूं यह 45 मिनट में संपूर्ण हो जाती है जय श्री राम 🙏🚩

सुंदरकांड का पाठ किस तरीके से करना चाहिए By वनिता कासनियां पंजाब ? जय श्री राम। आपने सुंदरकांड पाठ के बारे में पूछा शायद मैं उसका जवाब दे पाऊंगी क्योंकि मैं सुंदरकांड का पाठ प्रतिदिन करती हूं। सुंदरकांड तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस का एक कांड है जिसमें हनुमान जी की महिमा का वर्णन है। सुंदरकांड का पाठ पढ़ने से हमें बहुत ही अधिक सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है और हमें हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है हमारे शरीर में हमें फुर्ती महसूस होती है और हम बहुत हद तक हमारी बीमारियों को ठीक हुआ महसूस करते हैं यह एक बहुत ही बढ़िया पाठ है। सुंदरकांड के पाठ में 60 दोहे हैं इसे पढ़ने में हमें कम से कम 1 घंटे का समय लगता है अगर हम इसे ध्यान से पढ़ें तो हमें हनुमान जी ने जो जो कार्य राम जी के लिए किए थे उसके बारे में हमें पता चल जाता है। हम इसे नित्य पढ़ सकते हैं और अगर हम चाहे तो इसे सप्ताह में एक बार मंगलवार या शनिवार के दिन भी पढ़ सकते हैं क्योंकि मंगलवार और शनिवार हनुमान जी के दिन होते हैं तो इस दिन सुंदरकांड का पाठ पढ़ने का बहुत अधिक महत्व है। इसे पढ़ने के लिए हमें ज...

#अखंड #सौभाग्य की कामना के लिए #हरतालिका तीज का #व्रत रखा जाता है। इस बार हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को रखा जा रहा है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। यह व्रत सुहागिन #महिलाएं सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती है। यह व्रत हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही होता है। इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती है। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में सुख शांति बनी रहती है और रिश्ता मजबूत होता है। जानिए हरतालिका तीज की तिथि, शुभ #मुहूर्त और सामग्री के बारे में। By #वनिता #कासनियां #पंजाब ?हरतालिका तीज 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त .भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि प्रारंभ- 29 अगस्त सोमवार को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शुरू .#भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 30 अगस्त मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक .उदया तिथि के आधार पर हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा है।हरतालिका तीज पूजा का शुभ मुहूर्तप्रात:काल हरतालिका पूजा मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 12 मिनट से 08 बजकर 42 मिनट तकप्रदोष काल हरतालिका पूजन मुहूर्त = सुबह 6 बजकर 42 मिनट से दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तकतृतीया तिथि का समय = 29 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 21 से 30 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक।हरतालिका तीज पूजन सामग्रीहरतालिका तीज पूजा के लिए सभी सामग्री पहले से ही एकत्र कर लें, जिससे कि पूजा के समय किसी समस्या का सामना न करना पड़ें। इसके लिए भगवान शिव, माता #पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति #मिट्टी से बनेगी। इसलिए #शुद्ध मिट्टी ले आएं। इसके अलावा पीला वस्त्र, केले का पत्ता, जनेऊ, सुपारी, रोली, बेलपत्र, धतूरा, शमी के पत्ते, दूर्वा, कलश, अक्षत, घी, कपूर, गंगाजल, दही #शहद और 16 #श्रृंगार का सामान सिंदूर, बिंदिया, मेंहदी, कुमकुम आदि ले आएं। इसके साथ ही शुद्ध घी, दीपक, धूप आदि ले आएं।#Vnita #Hartalika Teej's fast is kept to wish for #unbroken #good luck. This time the fast of Hartalika Teej is being observed on 30th August. According to the Panchang, Hartalika Teej is celebrated on the third day of Shukla Paksha of Bhadrapada month.

#अखंड #सौभाग्य की कामना के लिए #हरतालिका तीज का #व्रत रखा जाता है। इस बार हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को रखा जा रहा है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। यह व्रत सुहागिन #महिलाएं सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती है। यह व्रत हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही होता है। इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती है। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में सुख शांति बनी रहती है और रिश्ता मजबूत होता है। जानिए हरतालिका तीज की तिथि, शुभ #मुहूर्त और सामग्री के बारे में। By #वनिता #कासनियां #पंजाब ? हरतालिका तीज 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त . भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि प्रारंभ- 29 अगस्त सोमवार को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शुरू . #भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 30 अगस्त मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक . उदया तिथि के आधार पर हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा है। हरतालिका तीज पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात:काल हरतालिका पूजा मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 12 मिनट से 0...

मंगलवार को पढ़ें हनुमानजी के 12 नाम, देते हैं 5 लाभ By Vnita Kasnia Punjab Hanuman bhagvaan के बारे मे तो पूरा संसार जानता है। Hanuman bhagvaan की इजाजत के बगैर तो एक पत्ता भी नहीं हिलता। इस वेबसाइट के माध्यम से हम कोशिस करेंगे की हम आप लोगो तक Hanuman bhagvaan से जुडी सारी kahani , Hanuman katha, bal hanuman story, किस्से और Hanuman bhagvaan से मनचाहा वरदान प्राप्त करने के लिए Hanuman shaktishaali Mantras और dohe आप लोगे तक प्रस्तुत करने की कोशिस करेंगे। हम लोग जानते है की सभी देवो मे Shree Hanuman bhagvaan को खुश करना सबसे आसान है इसलिए हमें विश्वास है की इस वेबसाइट मे आने के बाद और इस वेबसाइट मे दिए गए मंत्रो का सही इश्तेमाल करके आप लोग के जीवन मे अवश्य ही सुख और समृद्धि की बरसात होने लगेगी। बजरंगबली के 12 नाम का स्मरण करने से ना सिर्फ उम्र में वृद्धि होती है बल्कि समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति भी होती है। 12 नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी महाराज दसों दिशाओं एवं आकाश-पाताल से रक्षा करते हैं।प्रस्तुत है बजरंग बली के 12 चमत्कारी नाम :1 ॐ श्री हनुमान2 ॐ श्री अंजनी सुत3 ॐ श्री वायु पुत्र4 ॐ श्री महाबल5 ॐ श्री रामेष्ठ6 ॐ श्री फाल्गुण सखा7 ॐ श्री पिंगाक्ष8 ॐ श्री अमित विक्रम9 ॐ श्री उदधिक्रमण10 ॐ श्री सीता शोक विनाशन11 ॐ श्री लक्ष्मण प्राण दाता12 ॐ श्री दशग्रीव दर्पहाउपरोक्त 12 नाम की अलौकिक महिमा : - प्रात: काल सो कर उठते ही जिस अवस्था में भी हो बारह नामों को 11 बार लेनेवाला व्यक्ति दीर्घायु होता है।- नित्य नियम के समय नाम लेने से इष्ट की प्राप्ति होती है।- दोपहर में नाम लेनेवाला व्यक्ति धनवान होता है। दोपहर संध्या के समय नाम लेनेवाला व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है।- रात्रि को सोते समय नाम लेनेवाले व्यक्ति की शत्रु से जीत होती है।- उपरोक्त समय के अतिरिक्त इन बारह नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी महाराज दसों दिशाओं एवं आकाश पाताल से रक्षा करते हैं।- लाल स्याही से मंगलवार को भोजपत्र पर बारह नाम लिखकर मंगलवार के दिन ही ताबीज बांधने से कभी सिरदर्द नहीं होता। गले या बाजू में तांबे का ताबीज ज्यादा उत्तम है। भोजपत्र पर लिखने वाला पेन नया होना चाहिए।वनिता कासनियां पंजाब Jay shree Hanuman ji 🙏🙏

मंगलवार को पढ़ें हनुमानजी के 12 नाम, देते हैं 5 लाभ  By Vnita Kasnia Punjab   Hanuman bhagvaan के बारे मे तो पूरा संसार जानता है। Hanuman bhagvaan की इजाजत के बगैर तो एक पत्ता भी नहीं हिलता। इस वेबसाइट के माध्यम से हम कोशिस करेंगे की हम आप लोगो तक Hanuman bhagvaan से जुडी सारी kahani , Hanuman katha, bal hanuman story, किस्से और Hanuman bhagvaan से मनचाहा वरदान प्राप्त करने के लिए Hanuman shaktishaali Mantras और dohe आप लोगे तक प्रस्तुत करने की कोशिस करेंगे।  हम लोग जानते है की सभी देवो मे Shree Hanuman bhagvaan को खुश करना सबसे आसान है इसलिए हमें विश्वास है की इस वेबसाइट मे आने के बाद और इस वेबसाइट मे दिए गए मंत्रो का सही इश्तेमाल करके आप लोग के जीवन मे अवश्य ही सुख और समृद्धि की बरसात होने लगेगी।  बजरंगबली के 12 नाम का स्मरण करने से ना सिर्फ उम्र में वृद्धि होती है बल्कि समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति भी होती है। 12 नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी महाराज दसों दिशाओं एवं आकाश-पाताल से रक्षा करते हैं। प्रस्तुत है बजरंग बली के 12 चमत्कारी ना...

संपूर्ण श्री रामचरित मानस में हनुमान जी ने कितनी बार लघु रूप लिया है? By वनिता कासनियां पंजाब श्री रामदूत रुद्रावताराय हनुमान अतुलित एवम अजय पराक्रम के स्वामी हैं और ज्ञानिजनों में वे अग्रणी हैं। ज्ञानिनामग्रगण्यम श्री हनुमान को अष्टसिद्धियां पहले से ही प्राप्त थी। श्रीरामचरित्र मानस के अनुसार जगतनंदिनी लक्ष्मीरूपा मां जानकी ने अपने प्रिय पुत्र हनुमान जी को आशीर्वाद देकर इन सिद्धियों को अनंतगुना कर दिया व उन्हें इन सिद्धियों का दाता बना दिया।अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहंदनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌ ।सकलगुणनिधानं वानराणामधीशंरघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।अष्ट सिद्धि नव निधि के दाताअस बर दीन जानकी माता ।।सिद्धि ऐसी दिव्य पारलौकिक और आत्मिक ऊर्जा है जो योग और साधना की अलौकिक पराकाष्ठा पर प्राप्त होती हैं । सनातन वैदिक धर्म शास्त्रों में अनेक प्रकार की सिद्धियां का वर्णन प्रायः मिलता हैं जिसमें सर्वश्रेष्ठ आठ सिद्धियां अधिक प्रचलित है जिन्हें 'अष्टसिद्धि' कहा जाता।अणिमा महिमा चैव लघिमा गरिमा तथा ।प्राप्तिः प्राकाम्यमीशित्वं वशित्वं चाष्ट सिद्धयः ।।अष्ट सिद्धियों की पहली सिद्धि अणिमा हैं जिसकी प्राप्ति पर साधक अपने देह को एक अणु के समान सूक्ष्म कर सकता हैं ऐसा होने पर वो अदृश्य हो जाता हैं।हनुमान जी महाराज ने पूरे रामचरित मानस में प्रभु राम के कार्य को पूर्ण करने हेतु नौ बार लघु रुप धारण किया है।विद्यावान गुनी अति चातुर,राम काज करिबे को आतुरसब पर राम तपस्वी राजा।तिन के काज सकल तुम साजा।पहली बार सुरसा प्रसंग के दौरान :जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा।तासु दून कपि रूप देखावा॥सत जोजन तेहि आनन कीन्हा।अति लघु रुप पवनसुत लीन्हा।।दूसरी बार सिया सुधि हेतु लंका प्रवेश पर :पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।अति लघु रुप धर निसि नगर करौं पइसार।।चौपाई :मसक समान रूप कपि धरी।लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥तीसरी बार लंका की ओर बढ़ते समय लंकिनी को मोक्ष प्रदान करते समयगरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही।राम कृपा करि चितवा जाहीअति लघु रुप धरेउ हनुमाना।पैठा नगर सुमरि भगवाना।।चौथा बार अशोक वन मे प्रवेश कर मां सीता से भेंट के समयकरि सोइ रुप (लघु मसक जैसा) गयउ पुनि तहवाँ।बन अशोक सीता रह जहवाँ।।पांचवीं बार मां सीता को मुंदरी दिखाने के बाद।सीता मन भरोस तब भयउ।पुनि लघु रुप पवन सुत लयउ।।छटवीं बार लंका में पूँछ मे आग लगने के उपरान्तपावक जरत देखि हनुमन्ता।भयउ परम लघु रुप तुरंता।।सातवीं लंका दहन कर लौटते वक्तपूँछ बुझाइ खोइ श्रम ,धरि लघु रुप बहोरि।जनक सुता के आगे ,ठाढ भयउ करि जोरि ।।आठवीं बार वैद्य सुषेन वैद्य जी को लाने हेतु ।जामवंत कह बैद सुषेना।लंकाँ रहइ को पठई लेना ।धरि लघु रुप गयउ हनुमन्ता।आनेउ भवन समेत तुरंता ।नौवीं वैद्य सुषेन जी की सम्मान सहित वापिस पहुंचाते समयहरषे सकल भालु कपि ब्राता॥कपि पुनि बैद तहां पहुँचावा।जेहिं बिधि (लघु) तबहिं ताहि लइ आवा।।दुर्गम काज जगत के जेतेसुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।और मनोरथ जो कोई लावै,सोई अमित जीवन फल पावै।श्री रामदूत हनुमान की जय !!

संपूर्ण श्री रामचरित मानस में हनुमान जी ने कितनी बार लघु रूप लिया है? By वनिता कासनियां पंजाब श्री रामदूत रुद्रावताराय हनुमान अतुलित एवम अजय पराक्रम के स्वामी हैं और ज्ञानिजनों में वे अग्रणी हैं। ज्ञानिनामग्रगण्यम श्री हनुमान को अष्टसिद्धियां पहले से ही प्राप्त थी। श्रीरामचरित्र मानस के अनुसार जगतनंदिनी लक्ष्मीरूपा मां जानकी ने अपने प्रिय पुत्र हनुमान जी को आशीर्वाद देकर इन सिद्धियों को अनंतगुना कर दिया व उन्हें इन सिद्धियों का दाता बना दिया। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌ । सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि। अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता ।। सिद्धि ऐसी दिव्य पारलौकिक और आत्मिक ऊर्जा है जो योग और साधना की अलौकिक पराकाष्ठा पर प्राप्त होती हैं । सनातन वैदिक धर्म शास्त्रों में अनेक प्रकार की सिद्धियां का वर्णन प्रायः मिलता हैं जिसमें सर्वश्रेष्ठ आठ सिद्धियां अधिक प्रचलित है जिन्हें ' अष्टसिद्धि ' कहा जाता। अणिमा महिमा चैव लघिमा गरिमा तथा । प्राप्तिः प्राकाम्यमीशित्वं वशित्वं चाष्ट सिद्धयः ।। अष्ट सिद...

हनुमानजी के 108 नाम, लेकिन जानिए 11 खास नामों का रहस्य By वनिता कासनियां पंजाब: हनुमान जी के कई नाम है और हर नाम के पीछे कुछ ना कुछ रहस्य है। हनुमानजी के लगभग 108 नाम बताए जाते हैं। वैसे प्रमुख रूप से हनुमानजी के 12 नाम बताए जाते हैं। बलशालियों में सर्वश्रेष्ठ है हनुमानजी। कलिकाल में उन्हीं की भक्ति से भक्त का उद्धार होता है। जो जपे हनुमानजी का नाम संकट कटे मिटे सब पीड़ा और पूर्ण हो उसके सारे काम। तो आओ जानते हैं कि हनुमानजी के नामों का रहस्य। 1. मारुति : हनुमानजी का बचपना का यही नाम है। यह उनका असली नाम भी माना जाता है। 2. अंजनी पुत्र : हनुमान की माता का नाम अंजना था। इसीलिए उन्हें अंजनी पुत्र या आंजनेय भी कहा जाता है। 3. केसरीनंदन : हनुमानजी के पिता का नाम केसरी था इसीलिए उन्हें केसरीनंदन भी कहा जाता है।4. हनुमान : जब बालपन में मारुति ने सूर्य को अपने मुंह में भर लिया था तो इंद्र ने क्रोधित होकर बाल हनुमान पर अपने वज्र से वार किया। वह वज्र जाकर मारुति की हनु यानी कि ठोड़ी पर लगा। इससे उनकी ठोड़ी टूट गई इसीलिए उन्हें हनुमान कहा जाने लगा। 4. पवन पुत्र : उन्हें वायु देवता का पुत्र भी माना जाता है, इसीलिए इनका नाम पवन पुत्र हुआ। उस काल में वायु को मारुत भी कहा जाता था। मारुत अर्थात वायु, इसलिए उन्हें मारुति नंदन भी कहा जाता है। वैसे उनमें पवन के वेग के समान उड़ने की शक्ति होने के कारण भी यह नाम दिया गया। 6. शंकरसुवन : हनुमाजी को शंकर सुवन अर्थात उनका पुत्र भी माना जाता है क्योंकि वे रुद्रावतार थे। 7. बजरंगबली : वज्र को धारण करने वाले और वज्र के समान कठोर अर्थात बलवान शरीर होने के कारण उन्हें वज्रांगबली कहा जाने लगा। अर्थात वज्र के समान अंग वाले बलशाली। लेकिन यह शब्द ब्रज और अवधि के संपर्क में आकर बजरंगबली हो गया। बोलचाल की भाषा में बना बजरंगबली भी सुंदर शब्द है। 8. कपिश्रेष्ठ : हनुमानजी का जन्म कपि नामक वानर जाति में हुआ था। रामायणादि ग्रंथों में हनुमानजी और उनके सजातीय बांधव सुग्रीव अंगदादि के नाम के साथ 'वानर, कपि, शाखामृग, प्लवंगम' आदि विशेषण प्रयुक्त किए गए। उनकी पुच्छ, लांगूल, बाल्धी और लाम से लंकादहन इसका प्रमाण है कि वे वानर थे। रामायण में वाल्मीकिजी ने जहां उन्हें विशिष्ट पंडित, राजनीति में धुरंधर और वीर-शिरोमणि प्रकट किया है, वहीं उनको लोमश ओर पुच्छधारी भी शतश: प्रमाणों में व्यक्त किया है। अत: सिद्ध होता है कि वे जाति से वानर थे। 9. वानर यूथपति : हनुमानजी को वानर यूथपति भी कहा जाता था। वानर सेना में हर झूंड का एक सेनापति होता था जिसे यूथपति कहा जाता था। अंगद, दधिमुख, मैन्द- द्विविद, नल, नील और केसरी आदि कई यूथपति थे। 10. रामदूत : प्रभु श्रीराम का हर काम करने वाले दूत। 11. पंचमुखी हनुमान : पातल लोक में अहिरावण का वध करने जब वे गए तो वहां पांच दीपक उन्हें पांच जगह पर पांच दिशाओं में मिले जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे। इन पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जाएगा इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा। उत्तर दिशा मेंवराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इस रूप को धरकर उन्होंने वे पांचों दीप बुझाए तथा अहिरावण का वध कर राम,लक्ष्मण को उस से मुक्त किया। मरियल नामक दानव को मारने के लिए भी यह रूप धरा था। दोहा : उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥ स्तुति : हनुमान अंजनी सूत् र्वायु पुत्रो महाबलः।रामेष्टः फाल्गुनसखा पिङ्गाक्षोऽमित विक्रमः॥उदधिक्रमणश्चैव सीता शोकविनाशनः।लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा॥ एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मनः।सायंकाले प्रबोधे च यात्राकाले च यः पठेत्॥तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्। यहां पढ़ें हनुमानजी के 12 चमत्कारिक नाम 1. हनुमान हैं (टूटी हनु).2. अंजनी सूत, (माता अंजनी के पुत्र).3. वायुपुत्र, (पवनदेव के पुत्र).4. महाबल, (एक हाथ से पहाड़ उठाने और एक छलांग में समुद्र पार करने वाले महाबली).5. रामेष्ट (राम जी के प्रिय).6. फाल्गुनसख (अर्जुन के मित्र).7. पिंगाक्ष (भूरे नेत्र वाले).8. अमितविक्रम, ( वीरता की साक्षात मूर्ति) 9. उदधिक्रमण (समुद्र को लांघने वाले).10. सीताशोकविनाशन (सीताजी के शोक को नाश करने वाले).11. लक्ष्मणप्राणदाता (लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करने वाले).12.. दशग्रीवदर्पहा (रावण के घमंड को चूर करने वाले). हनुमान जी के 108 नाम : 1.भीमसेन सहायकृते2. कपीश्वराय3. महाकायाय4. कपिसेनानायक5. कुमार ब्रह्मचारिणे6. महाबलपराक्रमी7. रामदूताय8. वानराय9. केसरी सुताय10. शोक निवारणाय11. अंजनागर्भसंभूताय12. विभीषणप्रियाय13. वज्रकायाय14. रामभक्ताय15. लंकापुरीविदाहक16. सुग्रीव सचिवाय17. पिंगलाक्षाय18. हरिमर्कटमर्कटाय19. रामकथालोलाय20. सीतान्वेणकर्त्ता21. वज्रनखाय22. रुद्रवीर्य23. वायु पुत्र24. रामभक्त25. वानरेश्वर26. ब्रह्मचारी27. आंजनेय28. महावीर29. हनुमत30. मारुतात्मज31. तत्वज्ञानप्रदाता32. सीता मुद्राप्रदाता33. अशोकवह्रिकक्षेत्रेसीता मुद्राप्रदाता34. सर्वमायाविभंजन35. सर्वबन्धविमोत्र36. रक्षाविध्वंसकारी37. परविद्यापरिहारी38. परमशौर्यविनाशय39. परमंत्र निराकर्त्रे40. परयंत्र प्रभेदकाय41. सर्वग्रह निवासिने42. सर्वदु:खहराय43. सर्वलोकचारिणे44. मनोजवय45. पारिजातमूलस्थाय46. सर्वमूत्ररूपवते47. सर्वतंत्ररूपिणे48. सर्वयंत्रात्मकाय49. सर्वरोगहराय50. प्रभवे51. सर्वविद्यासम्पत52. भविष्य चतुरानन53. रत्नकुण्डल पाहक54. चंचलद्वाल55. गंधर्वविद्यात्त्वज्ञ56. कारागृहविमोक्त्री57. सर्वबंधमोचकाय58. सागरोत्तारकाय59. प्रज्ञाय60. प्रतापवते61. बालार्कसदृशनाय62. दशग्रीवकुलान्तक63. लक्ष्मण प्राणदाता64. महाद्युतये65. चिरंजीवने66. दैत्यविघातक67. अक्षहन्त्रे68. कालनाभाय69. कांचनाभाय70. पंचवक्त्राय71. महातपसी72. लंकिनीभंजन73. श्रीमते74. सिंहिकाप्राणहर्ता75. लोकपूज्याय76. धीराय77. शूराय78. दैत्यकुलान्तक79. सुरारर्चित80. महातेजस81. रामचूड़ामणिप्रदाय82. कामरूपिणे83. मैनाकपूजिताय84. मार्तण्डमण्डलाय85. विनितेन्द्रिय86. रामसुग्रीव सन्धात्रे87. महारावण मर्दनाय88. स्फटिकाभाय89. वागधीक्षाय90. नवव्याकृतपंडित91. चतुर्बाहवे92. दीनबन्धवे93. महात्मने94. भक्तवत्सलाय95.अपराजित96. शुचये97. वाग्मिने98. दृढ़व्रताय99. कालनेमि प्रमथनाय100. दान्ताय101. शान्ताय102. प्रसनात्मने103. शतकण्ठमदापहते104. योगिने105. अनघ106. अकाय107. तत्त्वगम्य108. लंकारि

हनुमानजी के 108 नाम, लेकिन जानिए 11 खास नामों का रहस्य By वनिता कासनियां पंजाब : हनुमान जी के कई नाम है और हर नाम के पीछे  कुछ ना कुछ रहस्य है। हनुमानजी के लगभग 108 नाम बताए जाते हैं। वैसे प्रमुख रूप से हनुमानजी के 12 नाम बताए जाते हैं। बलशालियों में सर्वश्रेष्ठ है हनुमानजी। कलिकाल में उन्हीं की भक्ति से भक्त का उद्धार होता है। जो जपे हनुमानजी का नाम संकट कटे मिटे सब पीड़ा और पूर्ण हो उसके सारे काम। तो आओ जानते हैं कि हनुमानजी के नामों का रहस्य।     1. मारुति :  हनुमानजी का बचपना का यही नाम है। यह उनका असली नाम भी माना जाता है।    2. अंजनी पुत्र :  हनुमान की माता का नाम अंजना था। इसीलिए उन्हें अंजनी पुत्र या आंजनेय भी कहा जाता है।   3. केसरीनंदन :  हनुमानजी के पिता का नाम केसरी था इसीलिए उन्हें केसरीनंदन भी कहा जाता है। 4. हनुमान : जब बालपन में मारुति ने सूर्य को अपने मुंह में भर लिया था तो इंद्र ने क्रोधित होकर बाल हनुमान पर अपने वज्र से वार किया। वह वज्र जाकर मारुति की हनु यानी कि ठोड़ी पर लगा। इससे उनकी ठोड़ी टूट गई इसीलिए उन्ह...

मन्त्रों के पीछे का विज्ञान क्या है? By वनिता कासनियां पंजाब किसी स्त्री की उत्तेजित आवाज़ से तुमने स्वयं में उत्तेजना महसूस की होगी, किसी व्यक्ति के गाली देने पर तुम भड़क भी गए होंगे, जरा सी डाट से तुम्हे अपमानित भी महसूस होता होगा, पड़ोस में बज रहे गाने पर कई बार तुम्हे नृत्य करने का भी मन हुआ है, किसी से प्रेम भरे शब्दो को सुनकर तुम्हारे दिल को तसल्ली मिली होगी।देखो, यहाँ सब अनुभव की बात है। कोई दर्शन शास्त्र की बात नही है। कोई रटी रटाई बात नही है। यह सब तुम्हारे ही अनुभव की बात है। तुम किसी गाने में लड़की की अजीब वाली आवाज़ सुनकर उत्तेजित हुए होंगे। वह क्या था? शब्द शक्ति थी। शब्द स्फोट था। जिसने तुम्हारे अंदर यह उत्तेजना पैदा की। जिसने तुम में गाली सुनने के बाद क्रोध पैदा किया है, जिसने तुम में संगीत को सुनकर नृत्य के लिए विवशता पैदा की है। यह सामान्य बात है। आँखों देखी बात है। यह सब शब्द की शक्ति से सम्पन्न हुआ है।मन्त्र भी शब्द ऊर्जा से ओतप्रोत है। जिनमे भयंकर ऊर्जा है। बड़ी तेज ऊर्जा है। यह ऊर्जा विस्फोटक भी है। प्रत्येक शब्द में ऊर्जा है और यही ऊर्जा तीनो स्तर पर कार्य करती है। आध्यात्मिक, अधिभौतिक और आधिदैविक स्तर पर कार्य करती है।अगर तुम इस शब्दो की ऊर्जा के रूपांतरण को समझ लोगे तो तुम में सम्मोहन विधि आ जायेगी, तुम अपने शब्दों से घटनाओं को बदल सकते हो।मन्त्र विज्ञान भी ऐसा ही है। मन्त्र शब्दों की शक्ति का ही रूप है। जिसे स्पष्ट उच्चारण करने पर प्रत्यक्ष प्रभाव होता है।देखो, जरा सी बात है। सीधी सी बात है। इसमें कोई दुविधा नही है। सरल बात है। तुम जब कोई शब्द सुनते हो तो वह मस्तिष्क तक इलेक्ट्रोकेमिकल ट्रांसमिशन द्वारा पहुँच जाता है। तुम्हारे मस्तिष्क पर प्रभाव करता है। किसी ने गाली दी तो तुम भी गाली दे देते हो, या फिर अपमानित महसूस करते हो। तुम्हारी जैसी वृत्ति है, वैसा ही निर्णय तुम ले लेते हो। कई बार तो तुम किसी के शब्द सुनकर क्रोध में आकर अनिष्ट भी कर देते हो। क्योंकि यह शब्द तुम्हे उकसा देते है।तुम्हारी भावना बदल देते है। जज्बात बदल देते है। तुम्हारी बॉडी पर बहुत प्रभाव करते है।अब मन्त्र की बात कर लो। मन्त्र का हर शब्द कम्पन करता है। ब्रह्मण्ड में सब कम्पन ही तो कर रहा है। शब्द ही कम्पन करता है। करेगा ही। ऊर्जा का रूप है, कम्पन तो करेगा ही। तुम कहोगे की शब्द में कम्पन नही होता, तो तुम अपने आस कभी तेज आवाज में संगीत बजाना, ढोल बजाना, फिर देख लेना कि कैसे तुम्हारे कमरे की अलमारी में कम्पन होता है। कैसे तुम्हारे आस पास कम्पन महसूस होता है। यह सब शब्दो का कम्पन है।मन्त्र के शब्दों में भी कम्पन है। अधिक कम्पन है। हर शब्द में अलग अलग फ्रीक्वेंसी का कम्पन है। यही कम्पन हमारे शरीर में अलग अलग प्रभाव छोड़ते है। अलग अलग तरह की ऊर्जा बदलते है। हर मन्त्र का कार्य अलग अलग होता है। क्योंकि हर शब्द की फ्रीक्वेंसी अलग अलग होती है। जब बार बार एक ही शब्द या एक ही मन्त्र को दोहराया जाता है तो frictional energy उतपन्न होती है। घर्षण शक्ति उतपन्न होती है। जब यह घर्षण शक्ति आने लगे तो अब मन्त्र अपने पूर्ण प्रभाव में आने लगता है। जैसा मन्त्र होगा वैसा ही कार्य करेगा।मन्त्र का उच्चारण जब स्थूल स्तर पर करते है तब भी आंतरिक रूप में यह सूक्ष्म स्तर पर कम्पन करता है और सूक्ष्म स्तर पर जब कम्पन करते करते घर्षण शक्ति होने लगती है तो फिर हम में परिवर्तन शुरू हो जाता है। हममें परिवर्तन आने लगता है। हम मन्त्र के अनुरूप होने लगते है। मन्त्र की वृत्ति जैसे बनने लगते है।हमारी वृत्ति मन्त्र से मिलने लगती है। अंत में हम स्वयं ही मन्त्र होते है। मन और बुद्धि के स्तर पर जब कम्पन होता है तो हम अब मन्त्र के उद्देश्य को पूर्ण करने पर आतुर होते है। मन्त्र चार अवस्थाओं से गुजर कर सिद्ध होता है, उसके बाद ही यह अपने पूर्ण रूप में कार्य करता है। इसके लिए मन्त्र सिद्धि की विधान है। मन्त्र सिद्धि में एक निश्चित संख्या में जो कियाजाता है। फिर उस मन्त्र ल दशांश हवन, मार्जन तर्पण आदि किया जाता है तब जाकर मन्त्र के प्रयोग शुरू होते है।मन्त्रो के बारे में अधिक गूढ़ और विस्तृत विज्ञान है जिसको एक उत्तर में नही समझाया जा सकता।क्योंकि मन्त्र भी हर व्यक्ति के लिए अलग अलग उपयोगी होते है। कोई मन्त्र किसी के लिए लाभ देता है तो अन्य व्यक्ति के लिए नुकसान दे सकता है। यह मन्त्र के प्रथम शब्दो से स्पष्ट पता चल जाता है।इसलिए किसी मन्त्र को सिद्ध करने के लिए गुरु की उपयोगिता है। वह जानता है कि कौनसा मन्त्र ठीक रहेगा। कौनसा मन्त्र सही रहेगा। उस का निर्देश तुम्हे देगा। इसलिए किताब से सिद्धि नही मिलती।मैंने मन्त्रो का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा है। यह रजोगुणी विद्या है। स्पष्ट और लय में रहकर ध्यान के साथ जब मन्त्र उच्चारण करे तो आप कम्पन महसूस कर सकते है। इसमें कोई दोहराय नही। मैंने मन्त्रो के चमत्कार प्रत्यक्ष देखा है। इसलिए मुझे कोई संशय नही है। तुम भी मत रखो, प्रयोग करके देख लो।©चित्र स्त्रोत- गूगलWhat is the science behind mantras?By Vanitha Kasniya PunjabYou must have felt excitement in yourself from the excited voice of a woman, you must have been incensed by abusing a person, with the slightest scolding.

मन्त्रों के पीछे का विज्ञान क्या है? By वनिता कासनियां पंजाब किसी स्त्री की उत्तेजित आवाज़ से तुमने स्वयं में उत्तेजना महसूस की होगी, किसी व्यक्ति के गाली देने पर तुम भड़क भी गए होंगे, जरा सी डाट से तुम्हे अपमानित भी महसूस होता होगा, पड़ोस में बज रहे गाने पर कई बार तुम्हे नृत्य करने का भी मन हुआ है, किसी से प्रेम भरे शब्दो को सुनकर तुम्हारे दिल को तसल्ली मिली होगी। देखो, यहाँ सब अनुभव की बात है। कोई दर्शन शास्त्र की बात नही है। कोई रटी रटाई बात नही है। यह सब तुम्हारे ही अनुभव की बात है। तुम किसी गाने में लड़की की  अजीब वाली  आवाज़ सुनकर उत्तेजित हुए होंगे। वह क्या था? शब्द शक्ति थी। शब्द स्फोट था। जिसने तुम्हारे अंदर यह उत्तेजना पैदा की। जिसने तुम में गाली सुनने के बाद क्रोध पैदा किया है, जिसने तुम में संगीत को सुनकर नृत्य के लिए विवशता पैदा की है। यह सामान्य बात है। आँखों देखी बात है। यह सब शब्द की शक्ति से सम्पन्न हुआ है। मन्त्र भी शब्द ऊर्जा से ओतप्रोत है। जिनमे भयंकर ऊर्जा है। बड़ी तेज ऊर्जा है। यह ऊर्जा विस्फोटक भी है। प्रत्येक शब्द में ऊर्जा है और यही ऊर्जा तीनो स्तर पर कार्य ...