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Meditation In Hindi.By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब मेडिटेशन इन हिंदी। आज कल कि भाग दौड़ वाली ज़िंदगी में इंसान का स्ट्रेस बहुत बढ़ गया हैं और ये स्ट्रेस बिल्कुल जायस है क्योंकि जब हमारा बचपन होता है तो किताबो का बोझ, अपनी जवानी में नौकरी का बोझ और आजकल तो नौकरी के बोझ से ज्यादा कई youngster को ब्रेक अप का बोझ मार देता हैं। फिर इस से बचने के लिए कई लोग स्ट्रेस कि दवाइयां का सहारा लेते हैं कई लोग शराब ओर तो ओर कई लोग सुसाइड का सहारा ले लेते है।इन सभी परेशानियों का हल भी हमारे ऋषिमुनीयों ने हमे बताया है लेकिन दिक्कत इस बात कि है कि, बताया हमे है और follow वो गोरे लोग कर रहे हैं और हम उन गोरे लोगो को follow कर रहे हैं। वैसे इस बात पे तो एक बड़ा आर्टिकल लिखा जा सकता है लेकिन हम यहां मेडिटेशन इन हिंदी के बारे में बात करने आए है तो चलिए शुरू करते हैं।वैसे इंटरनेट में आज कल ध्यान (मेडिटेशन) कि बहुत सारी डेफिनेशन मिल जाएगी और वो भी अलग अलग इसी लिए हमारा कन्फ्यूज़न ओर बढ़ जाता है लेकिन आपका ये कन्फ्यूज़न दूर होने वाला हैं क्योंकी ध्यान (मेडिटेशन) के बारे में सारी जानकारी मिलने वाली है।ध्यान(मेडिटेशन) क्या हैं ?धर्म में ध्यान।धारणा क्या हैं ?ध्यान (मेडिटेशन) की विधि।(ध्यान (मेडिटेशन) के प्रकार ) :-1. Relaxation Meditation (विश्राम ध्यान)2. Chanting Meditation (जप ध्यान)3. एकाग्रता ध्यान (Concentration Meditation)4. थकाऊ ध्यान। (Exhausting Or Active Meditation)ध्यान कैसे करें ? जगह :-ध्यान के लिए कौन सा आसन उपयोगी है ?सोते समय भी रीढ़ की हड्डी सीधी होती है तो हम सोते-सोते ध्यान क्यों नहीं कर सकते?ध्यान के लिए मुद्रा :-मुद्रा विज्ञान (Mudra Vigyan)कौन सी मुद्रा ध्यान के लिए Best हैं ? मेडिटेशन कब करना चाहिए। (ध्यान कब करना चाहध्यान(मेडिटेशन) क्या हैं ?हमारे दिमाग में जीवात्मा जगत (Spritual World) से फ्रीक्वेंसी (तरंग) के स्वरूप में विचार आते है अगर इस विचारो को पकड़ना हम बंद करदे तो हमारा दिमाग विचार शून्य (ZeroThought) हो जाएगा। इसी बिना विचार कि स्थिति को ध्यान (मेडिटेशन) कहते हैं।अगर आपको लगता हैं कि ये तो बहुत आसान है तो आप ग़लत हैं क्योंकि हमे लगता है कि हमारे दिमाग में अभी कोई विचार नहीं चल रहा लेकिन हमारे अवचेतन मन में कोई ना कोई विचार चल ही रहा होता है।धर्म में ध्यान।मैंने देखा कि आज कल के युवा अध्यात्मिक को नहीं मानते, लेकिन Dear Youth, ध्यान भी तो एक अध्यात्मिक विषय है लेकिन फिर भी आप ध्यान (Meditation) पर भरोसा करते हो ना, शायद आज कल ध्यान (Meditation) पर हुए कई रीसर्च ने साबित किया है कि कैसे वो हमारे दिमाग और शरीर को इंप्रूव करता है इसी लिए।Dear Youth, आप मानो या ना मानो लेकिन हमारे धर्म, ग्रंथ, वेद आदी Scientific हैं और Science से दो कदम आगे भी है बस जरूरत है उसे Science से जोड़ ने कि।ध्यान (Meditation) के बारे में तो लगभग सभी धर्म मे बताया गया है तो समझ ही सकते हो ध्यान (Meditation) के Importance को।एसा नही की सिर्फ हिन्दू धर्म में ही ध्यान के बारे में बताया हैं सिख, जैन, बौद्ध, यहूदी, इस्लाम सभी धर्म में ध्यान के बारे में जिक्र किया गया हैं। कैसे ? चलिए देखते हैं 👇यहूदी के धर्म ग्रंथ तोराह में लिखा गया है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब परमात्मा से ज्ञान ले ने के लिए पहाड़ों पर जाते थे।ईसाई(christian) धर्म का धर्म ग्रंथ है, बाइबल। बाइबल में उत्पति के पुस्तक अध्याय 24 वचन 65 में लिखा गया है कि इसहाक संध्या के समय पर ध्यान करने जाते थे।इस्लाम धर्म का धर्म ग्रंथ है कुरान। कुरान में लिखा गया है कि, अल्लाह ने कुरान का ध्यान करने को कहा है।हिन्दू धर्म में ऋग्वेद में गायत्री मंत्र में ध्यान के बारे में बताया गया है।ॐ भूर् भुवः स्वः।तत् सवितुर्वरेण्यं।भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो नः प्रचोदयात् ॥हिन्दी में भावार्थ :-उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।आपको लग रहा होगा कि गायत्री मंत्र और उसके हिंदी अनुवाद में कहीं भी ध्यान के बारे में नहीं लिखा हैं। लिखा है लेकिन उस समझने के लिए धारणा को समझना पड़ेगा।ध्यान में दो स्टेप होते हैं।(1) धारणा(2) ध्यानध्यान करना नहीं पड़ता हो जाता है। नहीं समझ आया...🤔। चलो समझाता हूंजब हम सोने जाते है तब हम नींद लाते नहीं बल्कि नींद अपने आप आ जाती है। लेकिन नींद लाने कि जरूरी स्थिति पैदा कर सकते है जैसे कि आरामदायक बेड पर आराम से लेट जाना, लाइट ऑफ़ करना, एसी चलाना आदी।ठीक ऐसा ही ध्यान में होता है ध्यान करना नहीं पड़ता बल्कि अपने आप हो जाता है, जब हम धारणा करते है तब ध्यान अपने आप लग जाता है। तो चलिए देखते है धारणा क्या है।धारणा क्या हैं ?महर्षि पतंजलि कहते हैं,देशबन्धश्चित्तस्य धारणाअर्थात :-मन को किसी बाह्य विषय या आंतरिक बिंदु पर केंद्रित करना धारणा हैं।बाह्य किसी भी वस्तु पर आप अपना मन केंद्रित कर सकते हो जैसे कि मोमबत्ती के दीपक पर आदी। आंतरिक बिंदु यानिकि आप अपने मन को किसी भी चक्र पर केंद्रित कर सकते हो या अपनी सांसों पर और भी कई बाह्य या आंतरिक बिंदु पर मन को केंद्रित कर के आप धारणा कर सकते हो।जब आप ठीक से रोजाना धारणा करने लगोगे तब ध्यान अपने आप लग जाएगा। क्योंकी धारणा करने पर हमारा पूरा Focus किसी एक वस्तु या बिंदु पर होता है और जब हमारा पूरा Focus किसी एक वस्तु या बिंदु पर होता है तब हमारे दिमाग में विचार आना बंद हो जाता हैं और जैसे कि मैंने शुरुआत में ही कहा हैं कि ध्यान (मेडिटेशन) का मतलब ही यही होता है कि दिमाग में कोई विचार का ना आना (विचार शून्य कि स्थिति)।एक्सपर्ट का मानना यह भी है कि धारणा का मतलब 'मान लेना ' भी होता है, गायत्री मंत्र में भी यही कहा हैं, हमे अंतरात्मा में ये मानना है कि हमारे सारे दुखों को दूर करने वाला परमात्मा हैं।इस तरह गायत्री मंत्र का धारणा से Connection हैं और धारणा का ध्यान से Connection हैं।अब यहां पे आप Confused मत होना कि धारणा का मतलब मन को 'केन्द्रित करना ' होता है या 'मान लेना '।क्योंकी दोनों एक ही हैं किसी भी चीज को मान लेने से हमारे दिमाग में उस चीज के बारे में कोई सवाल नहीं रहता और ना ही कोई सवाल, ऐसे में हमारा दिमाग पूरा Focused रहता है।जैसे कि मान को कि आप उड़ रहे हो अब इस बात पर आप के दिमाग में कई सवाल आ सकते है जैसे की मै कैसे उड़ सकता हूं, क्यों उड़ रहा हूं, कब, कैसे , क्यों आदी और ऐसे में हमारे दिमाग में हजारों सवाल और शंकाएं और विचार पैदा होते है लेकिन अगर अपने मान लेते हो कि आप उड़ रहे हो तब ये सारे सवाल शंका और विचार सभी दूर हो जाएंगे। और हमारा सारा Focus एक ही जगह पर आ जाएगा।ध्यान (मेडिटेशन) की विधि।(ध्यान (मेडिटेशन) के प्रकार ) :-ध्यान ज्यादातर तीन उदेश्य से किया जाता है।1. भक्ति मार्ग के लिए2. कर्म मार्ग के लिए3. ज्ञान मार्ग के लिएइन तीन मार्गो के आधार पर ध्यान कि 112 विधियां बताई गई है लेकिन मैं यहां आपको 5 विधियां के बारे में जानकारी दूंगा जिसे आप ट्राई कर सकते हो।1. Relaxation Meditation (विश्राम ध्यान)Relaxation Meditation (विश्राम ध्यान) में Guided Meditation, Silent Seating Meditation आदी तरह के ध्यान (मेडिटेशन) आते हैं।इस तरह के ध्यान(Meditation) में शरीर को विश्राम कि स्थिति में लाने को कहा जाता हैं और फिर मन को Relax करने के लिए Guide करा जाता हैं।जब हम Relaxation Meditation (विश्राम ध्यान) करने जाते हैं तब कम ही खाना लेना चाहिए क्योंकि ज्यादा खाना खाने से विश्राम कि स्थिति आने पर नींद आ जाती हैं।इस तरह के ध्यान में हमे जो कहा जाए उसे मान लेना चाहिए, जैसा कि मैंने धारणा में बताया है।2. Chanting Meditation (जप ध्यान)Chanting Meditation में किसी भी मंत्र या श्लोक का जप करना होता हैं या प्राथना करना होता हैं।इस तरह के ध्यान में वैसे तो सिर्फ हमारे दिमाग कि pattern को तोड़ने के लिए जप करा जाता है क्योंकि जब हम लगातार जप करते रहते है तब हमारे दिमाग कि Regular pattern टूट जाती है ।लेकिन अगर हम गायत्री मंत्र या ओमकार का जप करते है तब उस मंत्र से जुड़ी Frequency उत्पन्न होती हैं, अगर मंत्र के विज्ञान के बारे में ज्यादा जानकारी चाहिए तो ने already एक आर्टिकल लिख चुका हूं।Chanting Meditation में लगातार जब समय मिले तब मंत्र का उच्चारण करना चाहिए और हर पल ये नहीं सोचना की मुझे इस से कुछ फायदा हुआ हैं या नहीं, बस उच्चारण करते रहना हैं।3. एकाग्रता ध्यान (Concentration Meditation)इस विधि में त्राटक, विपश्यना, अनापनसती आदि तरह के ध्यान आते है।इस प्रकार के ध्यान में हमे मन या आंखो को किसी एक बिंदु या वस्तु पर Focus करना होता है।इस प्रकार के ध्यान में ये महत्व नहीं की हम किस बिंदु या किस वस्तु पर Focus कर रहे हैं, ये महत्त्व है कि कितने समय तक हम उस पर Focus कर रहे है।हमारे दिमाग में हर 48 Second में विचार बदलता है और हर 45 मिनट में हमारी क्रिया बदलती है। हमारे शरीर या दिमाग कि इस Pattern तोड़कर अपना Focus कई हद तक बढ़ा सकते है।इस लिए अगर आपका कोई काम 45 मिनट से ज्यादा समय का है तो उसे कुछ समय में विभाजित ना करे।जैसे कि अगर आप पढ़ने बैठते हो तो, लगातार 90 मिनट तक पूरे Focus के साथ पढ़े, ना कि पहले 45 मिनट पढ़ लिया फिर छोटा सा Break और फिर 45 मिनट पढ़ लिया। ये 45 मिनट-45 मिनट के दो भाग बनाने से हमे Temporary फायदा होता है लेकिन अगर अपने लगातार 90 मिनट तक पूरे Focus के साथ पढ़ने कि आदत लगा दी ना फिर तो आप सोच भी नहीं सकते कि आपका Focus कितनी हद तक बढ़ जाएगा।और ये भी एक तरह का ध्यान ही हो जाता है और स्वामी विवेकानंद जी ने भी यही कहा है कि अगर आप कोई काम Full Focus के साथ करते हो तो ये भी ध्यान ही हो जाता हैं।4. थकाऊ ध्यान। (Exhausting Or Active Meditation)इस ध्यान कि विधी में कुंडलिनी ध्यान, डायनेमिक ध्यान आदी प्रकार के ध्यान आते है।इस प्रकार के ध्यान में शरीर कि बिल्कुल भी परवाह नहीं कि जाती।अपने शायद देखा ही होगा कि पुराने जमाने में लोग आग पे चलना या फिर एसी क्रिया जो शरीर को बहुत तकलीफे देती है वैसी क्रिया करते थे, इसे हठ योग कहते है और ये ध्यान हठ योगी या कर्म योगी के लिए होता है।अगर आप ये ध्यान ठीक से करते हो तो आपको पता चल जाएगा कि आप और शरीर दोनों अलग अलग हैं।5. शाक्षी भाव ध्यान(witnessing meditation)इस प्रकार के ध्यान में आपको अपने विचारो को देखना होता है।पूरे दिन बस आपके दिमाग में आने वाले विचारों को ही देखना है अब ये नहीं सोचना कि ये विचार ग़लत है और ये विचार सही है और ना ही उस विचार के हिसाब से कोई Action लेना है, अगर आप ऐसा करते हो तो ये सोचना हो गया ना कि विचारो को Observed करना या देखना। तो सिर्फ और सिर्फ अपने विचारो को Observed करना है।जब आप सोने जाते हो तब भी आपको यही करना है, धीरे धीरे समय के साथ आप एक बार सही से करने लगोगे तब आप नींद में आने वाले सपने, विचार सब को अपनी पूरी Awareness के साथ देख सकोगे।आपके लिए Lucid Dreaming एकदम आसान हो जाएगा।भगवान श्री कृष्ण ने भी श्रीमद् भागवत गीता में भी यही कहा हैं,जब पूरी दुनिया सोती है तब एक सहज योगी जागता है।ध्यान के ये पांचों प्रकार के बारे में मैंने आपको सिर्फ basic जानकारी दी हैं ताकि आप अपने हिसाब से सरलता से Decide कर सको कि आपको किस प्रकार का ध्यान करना हैं, अगर इस पांचों प्रकार के बारे में विस्तृत बताया जाएं तो ऐसे ओर 10 आर्टिकल लिख सकते हैं, आपको जिस प्रकार का ध्यान करना है उसके बारे में थोड़ा गूगल करोगे तो सब जानकारी मिल जाएगी लेकिन अगर आप चाहते हो कि मैं इस बारे में विस्तृत जानकारी दू तो आप कमेंट कर के बता सकते हो।ध्यान कैसे करें ? ध्यान कैसे करें? इस बात को बहुत लोग Complicated मानते हैं और इसी का फायदा उठा के लोग भी इसे ओर Complicated बनाके आपको जानकारी देते है, लेकिन अब जो मै आपको जानकारी दूंगा उस से आपको पता चल जाएगा कि ये तो वाकई में बिल्कुल सरल और आसान है।जगह :-ऐसी जगह पसंद करे जहां शोर ना हो, ये जगह कोई भी हो सकती चाहे वो आपका कमरा हो या कोई मैदान बस शर्त इतनी है कि वहा शोर ना हो और ये जगह आपके लिए एकदम Comfortable हो।मेडिटेशन इन हिंदी।आज कल हमारा मोबाइल हर वक्त हमारे साथ ही रहता है तो मुझे पता है कि Meditation करने के समय भी वो आपके साथ ही आयेगा, आने से मना नहीं कर रहा पर उसे Silent कर देना।और एक जरूरी बात आप जिस जगह हर दिन ध्यान(मेडिटेशन) करते हो उसी जगह हर रोज करो, क्योंकी जब आप इस जगह पर हर दिन ध्यान(मेडिटेशन) करते हो तो इस जगह Positive Energy से भर जाती है और इसी जगह पर ध्यान(मेडिटेशन) जल्दी लगता हैं।ध्यान के लिए कौन सा आसन उपयोगी है ?ऐसी कोई आसन कि जबरदस्ती नहीं है कि आप यही आसन में ध्यान कर सकते हो, सुखासन, पद्मासन या फिर जैसे हम Normally बैठकर भी ध्यान में बैठ सकते हैं, बस शर्त ये है कि आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी ऊपर कि ओर होनी चाहिए।सोते समय भी रीढ़ की हड्डी सीधी होती है तो हम सोते-सोते ध्यान क्यों नहीं कर सकते?बहुत लोगो का सवाल होता है, लेकिन यही लोगो को इस सवाल का सही जवाब नहीं पता होता है या सही जवाब कोई नहीं बताता है।बहुत लोग इसका जवाब देते हुए कहते है कि सोते सोते Meditation कर ने से नींद आ जाती है। हा, ये भी इस सवाल का जवाब सही है लेकिन मुख्य कारण या जवाब ये नहीं है।मेडिटेशन इन हिंदी।इस सवाल का मुख्य जवाब ये है कि हमारी रीढ़ कि हड्डी हमारे मन के साथ जुड़ी हुई होती हैं और जब हम लेटे हुए होते है तब हमारी रीढ़ कि हड्डी पर ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल (Gravity Force) लगता हैं इसी लिए ऊर्जा (Energy) को नीचे से ऊपर तक जाने में ज्यादा तकलीफ होती हैं लेकिन अगर हमारी रीढ़ कि हड्डी ऊपर कि ओर सीधी होती है तो सिर्फ एक ही बिंदु पर गुरुत्वाकर्षण बल (Gravity Force) लगता है और इसी कारण ऊर्जा (Energy) को ऊपर कि ओर मन कि तरफ जाने में कम से कम दिक्कत होती हैं।ध्यान के लिए मुद्रा :-इस आर्टिकल लिख ने मैंने जितना रिसर्च किया है ना उसमें ये तो पता चल गया कि, कोई मुद्रा के बारे में बात ही नहीं कर रहा जब कि मुद्रा तो ध्यान के लिए बहुत ज़रूरी है जल्दी Result लाने के लिए।कौन सी मुद्रा लगानी है ये बताने से पहले मैं आपको मुद्रा का Science बता देता हूं ताकि आपको पूरी तरह से भरोसा हो जाए कि मुद्रा वाकई में जरूरी है।मुद्रा विज्ञान (mudra vigyan)Dear, हमारा शरीर पंचतत्व से बना है।1. अग्नि2. वायु3. जल4. पृथ्वी5. आकाश ये ब्रम्हांड भी इन पांच तत्वों से ही बना है।और Dear क्या आपको पता है कि ये साधारण से दिखने वाले हाथ को प्रकृति ने कितना Powerful बनाया हैं, हमारे ये हाथ पंचमहाभूत को दर्शाते है जिस से पूरा ये ब्रम्हांड बना हैं।और इन्हीं पंचमहाभूत से हमारे शरीर कि तीन मुख्य ऊर्जा (Energy) का निर्माण होता हैं।1. वात(वायु + आकाश)2. पित(अग्नि + जल)3. कफ(पृथ्वी + जल)वात ऊर्जा वायु और आकाश को, पित अग्नि और जल को, कफ पृथ्वी और जल को दर्शाती है।और dear क्या आपको पता है कि हमारे शरीर में इन्हीं तीन ऊर्जा के असंतुलन से हम बीमार होते हैं। और हम सिर्फ अपने हाथो से ही इस तीन ऊर्जा को संतुलित कर सकते है। हमारा हाथ हमारे शरीर के सात चक्र को भी दर्शाता है।और विज्ञान भी कहता है कि हमारे शरीर कि 72,000 नाडीयों में से हज़ारों नाडीयों का अंत उंगलियों के अंत में होता है।और हमारे शरीर कि पीनियल ग्रंथि (pineal gland), पीयूष ग्रन्थि (pituitary gland) और थायराइड ग्रंथि (thyroid gland) इन सभी ग्रंथियों का अंत हमारी उंगलियों के सबसे अगले वाले हिस्से में ही होता है।इतनी सारी नाडीयों और ग्रंथियों कि वजह से उंगलियों के अगले हिस्से में बहुत मतलब बहुत सारी ऊर्जा (Energy) एकत्रित (Store) होकर रहती हैं। और हमारा हाथ शरीर के सात चक्रो को भी दर्शाता है।मेडिटेशन इन हिंदी।Image Source - Google | Image और जब हम मुद्रा लगाते हैं तब हमारी उंगलियों के Connection(संपर्क) कि वजह से शरीर कि ऊर्जा (Energy) शरीर के बाहर जाने के बजाय फिर से शरीर और दिमाग कि ओर बढ़ना शुरू हो जाती हैं, और इसी लिए हमारा शरीर ओर स्वस्थ और दिमाग ओर तेज हो जाता हैं।और Dear इसी लिए हमारे ऋषि-मुनियों कहा हैं,बहुना किमीहोक्तेन सारं वच्मि च दण्ड ते।नास्ति मद्रासमं किच्चित् सिद्धिदं क्षितिमण्डले ।।यानिकि पूरी पृथ्वी पर मुद्राएं जितनी सिद्धियां प्रदान कराने वाला कोई नहीं हैं।घेरण्ड संहिता, शिव संहिता आदी में मुद्राओं को विशेष स्थान दिया है, लेकिन हमें क्या हमें तो जब गोरे कहेंगे तभी हम करेंगे हे ना Dear. क्योंकि हमारे ऋषिमुनियो कहा तब हमने योगा नहीं किया तब हम गोरो कि सुनके जिम जाते थे और आज गोरे योगा कर रहे है तो हम भी उनकी तरह अब योगा के पीछे भागने लगे इस से अच्छा जब ऋषिमुनियो ने कहा तब ही भाग लेते।कौन सी मुद्रा ध्यान के लिए Best हैं ?मुद्राएं तो बहुत है लेकिन हम यहां सिर्फ ध्यान के लिए ही देखेगे।ध्यान करने के लिए सबसे best मुद्रा हैं ज्ञान मुद्रा।मेडिटेशन इन हिंदी।अब इस मुद्रा का नाम ज्ञान मुद्रा इस लिए है क्योंकि ये मुद्रा से दिमाग से Related सारी प्रॉब्लम भाग जाती है जैसे की Overthinking, Nagative Thought आना, गुस्सा आदी और ये मुद्रा से Concentration कई हद तक बढ़ जाता हैं।हमारी ये तर्जनी उंगली वायु तत्व के अलावा अपनी चेतना को भी दर्शाती हैं और अंगूठा इस ब्रम्हांड कि चेतना को दर्शाता है।और Dear, क्या आपको पता है कि जब हम खुदकी चेतना को इस ब्रम्हांड कि चेतना के साथ जोडते है तब हमारा दिमाग Superconscious कि तरफ धीरे धीरे बढ़ना लगता है। जब हम ज्ञान मुद्रा करते हैं तब यही होता है, खुद कि चेतना और ब्रम्हांड कि चेतना कि जोडना।आपको पता ही हैं कि वायु का स्वभाव चंचल होता है कभी यहां तो कभी वहा, हमारे शरीर में भी वायु तत्व पाया जाता है और इस तत्व के चलते ठीक उसी तरह हमारे दिमाग में विचार कभी यहां तो कभी वहां, चंचल ही रहते है।और Dear, तर्जनी उंगली हमारे इस वायु तत्व को संतुलित करती है तो जब हम ज्ञान मुद्रा लगा के ध्यान करते है तब विचार यहां वहां भटकने के बजाय जल्दी स्थिर हो जाते हैं।ज्ञान मुद्रा करने के लिए जैसे इमेज में दिखाया है ठीक उसी तरह बिना जोर लगाएं बस तर्जनी उंगली और अंगूठे को टच (Touch) करना हैं। और मुद्रा के लिए कोई टाइम लिमिट नहीं है और कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं है।मेडिटेशन कब करना चाहिए। (ध्यान कब करना चाहिए)मैंने जो साक्षी भाव वाला मेडिटेशन बताया है वो आप पूरे दिन कर सकते हो, लेकिन आप दिन में व्यस्त रहते हो तो कब दोपहर को आराम के समय पर एक घंटा तो करना ही चाहिए और रात को सोने से पहले।और थकाऊ ध्यान सुबह उठकर चाय नाश्ता करने से पहले मतलब सीधा उठकर ही करना है।और जो जप, एकाग्रता और शिथिलता वाला ध्यान सुबह, शाम या दोपहर को भी कर सकते हो। एसा कोई फिक्स टाइम नहीं होता ध्यान करने के लिए, लेकिन जब आपको ध्यान लगने लगेगा तो टाइम अपने आप फिट जाएगा।ध्यान के फायदे :-ध्यान(मेडिटेशन) के तो अनगिनत फायदे है जैसे कि,एकाग्रता बढ़ती है।Memory Power बढ़ती है।स्वास्थ्य सुधारने लगता है।चहरे पे अलग ही चमक आ जाती हैं।Confidance का बढ़ावा होता है।अनिद्रा से राहत मिलती है।तनाव दूर हो जाता है।आप अपने मन को पूरी तरह से कंट्रोल करने लगते हो। ये सब फायदे को हम सामान्य मान सकते हैं लेकिन अगर ध्यान ओर गहरा हो गया तो हमे बहुत सिद्धियां मिलने लगती है जैसे कि,Third Eye की सिद्धियां।Lucid Dreaming.Telepathy etc.अब Dear, ध्यान(मेडिटेशन) के बारे मैं वो बताने जा रहा हूं जो कोई नहीं बताता, और ये बाते आपको अजीब भी लग सकती हैं।महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग के मुताबिक ध्यान मौत तक जाने का एक रास्ता है। कैसे...? चलिए समझाता हूं👇महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग :-1. यम2. नियम3. आसन4. प्राणायम5. प्रत्याहार6. धारणा7. ध्यान8. समाधीअब इस अष्टांग योग के मुताबिक समाधी तक पहुंचने का मार्ग है, जिस में ध्यान भी है और समाधी का मतलब एक तरह से मौत भी होता है।इस लिए Dear, जब हमारा ध्यान गहरा होने लगता है तब हमे अजीब सी घबराहट महेसुस होती है क्योंकि तब मौत सामने दिखती है।लेकिन समाधी तक पहुंचने से पहले जो ऊपर मैंने फायदे या सिद्धियां बताई है वो भी मिलती है, लेकिन सच कहूं तो ये सब हमारी इच्छाएं हैं और जब तक इन इच्छा को हासिल करने के लिए ध्यान करेगे तब तक ध्यान नहीं लगेगा, इसी लिए निस्वार्थ भाव से ध्यान करो तभी ध्यान लगेगा।कई लोग इस अजीब सी घबराहट से ही ध्यान करना छोड़ देते है लेकिन हमे एसा नहीं करना क्योंकि ध्यान करोगे तो ये घबराहट जरूर होगी।और जब ध्यान लगने लगता है तब हमारी तकलीफे कम होने कि बजाए बढ़ने लगती है और हमे लगने लगता है कि हम इस समाज से अलग है और ये समाज भी आपको अलग ही मानेगा।इसी लिए महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध, मीरा बाई आदी लोगो ने बहुत तकलीफे सहन कि, और तकलीफे दौरान ये सब इस समाज से दूर चले गए थे। लेकिन जब ये सारी तकलीफे और सिद्धियां को छोड़कर ध्यान करते है तब जाके Enlightenment प्राप्त होता है यानिकि समाधी यानिकि मोक्ष।बाल वनिता महिला आश्रमकैसे पता करे कि ध्यान लगा हैं?ध्यान एक अनुभव है उसे शब्दों में या लिख के नहीं बता सकते, जैसे कि अगर आपको आंख पर पट्टी बांध कर एक गुलाब जाबुन और एक रसगुल्ला खाने को दिया जाए तो आप बड़ी सरलता से बता सकोंगे कि ये गुलाब जाबुन हैं और ये रसगुल्ला, लेकिन लेकिन लेकिन अगर आपको कहा जाएं कि दोनों के स्वाद के बारे में बताओ तो आप सिर्फ इतना बता सकते हैं कि दोनों मीठे हैं बस, दोनों को अलग अलग वर्गीकृत नहीं कर सकते।ठीक इसी तरह ध्यान को आप महेसुस कर सकते है ना ही बता सकते और ना ही लिख सकते हैं। लेकिन महावीर स्वामी ने कुछ ऐसे अनुभव बताए है जो ध्यान के करीब पहुंचने से होता हैं।महावीर स्वामी ने बताया कि जैसे हम ध्यान के करीब पहुचते है हमें ऐसा लगने लगता है कि आवाजे एकदम बढ़ गई है और आपके मन में चित्र एकदम जल्दी से गुजर रहे हैं और फिर एकदम अचानक सब रुक जाएगा और गहरा सन्नाटा छा जायेगा, लेकिन इस गहरे सन्नाटा में भी आपको शाक्षी भाव रखना हैं मतलब ये नहीं सोचना चाहिए कि ये लगा सन्नाटा, कितना भयानक सन्नाटा है अगर ये सब सोचने लगे तो आप विचारो में फिर से आ जाओगे और ध्यान टूट जाएगा।ध्यान के करीब आने से हमे लगता है कि शरीर में चिटिया काट रही है या मच्छर काट रहे है, भयानक चित्र दिखने लगेंगे, जोरो का प्रकाश दिखता है या एसा लगता है कि भगवान खुद दिखने लगाते है, शरीर का मांस फफड़ने लगता है या सर में दर्द होने लगता हैं। लेकिन ये सब हमारे मन कि चालाकियां होती है ध्यान को हटाने ने के लिए लेकिन इन सभी चीजों में हमे शाक्षी भाव ही रखना हैं और आपको अपनी नौकरी धंधा में दिक्कतें आने लगेगी।ये सारी बाते लोग इस लिए नई बताते क्योंकि कई लोग इन्हीं बातो से डर कर ध्यान कि शरुआत ही नहीं करते।अगर Confused हो कि आपको कौन सा मेडिडेशन (ध्यान) करना हैं तो मैं आपको एक छोटी सी सलाह देना चाहता हूं, अगर आप कोई काम या जॉब कि खोज में है तो आपको एकाग्रता वाला ध्यान करना चाहिए क्योंकि जब ये ध्यान आप करोगे तो आपका Foces सिर्फ और सिर्फ अपने काम पर होगा ऐसे में आपका कम जल्दी और आसन हो जाएगा।इसी लिए मैंने एकाग्रता ध्यान में आने वाले विपश्यना ध्यान पर एक संपूर्ण जानकारी से भरा आर्टिकल Vipassana वनिता पंजाब Meditation In Hindi लिखा हैं, इसे पढ़ने से विपश्यना ध्यान से जुड़ी सारी जानकारी आपको मिल जाएगी।I Hope की मेडिटेशन इन हिंदी में आपको सारी जानाकारी मिल चुकी होगी, लेकिन फिर भी अब भी आपके दिमाग में कोई सवाल सता रहा हैं तो Comment कर के पुछ सकते हो। फिर मिलते हैं, ऐसे ही फुल जानकारी से भरे हुए मजेदार Next आर्टिकल में। तब तक के लिए अपना ख्याल रखना Take Care...🤗।

Meditation In Hindi.

 मेडिटेशन इन हिंदी। आज कल कि भाग दौड़ वाली ज़िंदगी में इंसान का स्ट्रेस बहुत बढ़ गया हैं और ये स्ट्रेस बिल्कुल जायस है क्योंकि जब हमारा बचपन होता है तो किताबो का बोझ, अपनी जवानी में नौकरी का बोझ और आजकल तो नौकरी के बोझ से ज्यादा कई youngster को ब्रेक अप का बोझ मार देता हैं। फिर इस से बचने के लिए कई लोग स्ट्रेस कि दवाइयां का सहारा लेते हैं कई लोग शराब ओर तो ओर कई लोग सुसाइड का सहारा ले लेते है।

इन सभी परेशानियों का हल भी हमारे ऋषिमुनीयों ने हमे बताया है लेकिन दिक्कत इस बात कि है कि, बताया हमे है और follow वो गोरे लोग कर रहे हैं और हम उन गोरे लोगो को follow कर रहे हैं। वैसे इस बात पे तो एक बड़ा आर्टिकल लिखा जा सकता है लेकिन हम यहां मेडिटेशन इन हिंदी के बारे में बात करने आए है तो चलिए शुरू करते हैं।

वैसे इंटरनेट में आज कल ध्यान (मेडिटेशन) कि बहुत सारी डेफिनेशन मिल जाएगी और वो भी अलग अलग इसी लिए हमारा कन्फ्यूज़न ओर बढ़ जाता है लेकिन आपका ये कन्फ्यूज़न दूर होने वाला हैं क्योंकी ध्यान (मेडिटेशन) के बारे में सारी जानकारी मिलने वाली है।

ध्यान(मेडिटेशन) क्या हैं ?

हमारे दिमाग में जीवात्मा जगत (Spritual World) से फ्रीक्वेंसी (तरंग) के स्वरूप में विचार आते है अगर इस विचारो को पकड़ना हम बंद करदे तो हमारा दिमाग विचार शून्य (ZeroThought) हो जाएगा। इसी बिना विचार कि स्थिति को ध्यान (मेडिटेशन) कहते हैं।

अगर आपको लगता हैं कि ये तो बहुत आसान है तो आप ग़लत हैं क्योंकि हमे लगता है कि हमारे दिमाग में अभी कोई विचार नहीं चल रहा लेकिन हमारे अवचेतन मन में कोई ना कोई विचार चल ही रहा होता है।

धर्म में ध्यान।

मैंने देखा कि आज कल के युवा अध्यात्मिक को नहीं मानते, लेकिन Dear Youth, ध्यान भी तो एक अध्यात्मिक विषय है लेकिन फिर भी आप ध्यान (Meditation) पर भरोसा करते हो ना, शायद आज कल ध्यान (Meditation) पर हुए कई रीसर्च ने साबित किया है कि कैसे वो हमारे दिमाग और शरीर को इंप्रूव करता है इसी लिए।

Dear Youth, आप मानो या ना मानो लेकिन हमारे धर्म, ग्रंथ, वेद आदी Scientific हैं और Science से दो कदम आगे भी है बस जरूरत है उसे Science से जोड़ ने कि।

ध्यान (Meditation) के बारे में तो लगभग सभी धर्म मे बताया गया है तो समझ ही सकते हो ध्यान (Meditation) के Importance को।

एसा नही की सिर्फ हिन्दू धर्म में ही ध्यान के बारे में बताया हैं सिख, जैन, बौद्ध, यहूदी, इस्लाम सभी धर्म में ध्यान के बारे में जिक्र किया गया हैं। कैसे ? चलिए देखते हैं 👇

यहूदी के धर्म ग्रंथ तोराह में लिखा गया है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब परमात्मा से ज्ञान ले ने के लिए पहाड़ों पर जाते थे।

ईसाई(christian) धर्म का धर्म ग्रंथ है, बाइबल। बाइबल में उत्पति के पुस्तक अध्याय 24 वचन 65 में लिखा गया है कि इसहाक संध्या के समय पर ध्यान करने जाते थे।

इस्लाम धर्म का धर्म ग्रंथ है कुरान। कुरान में लिखा गया है कि, अल्लाह ने कुरान का ध्यान करने को कहा है।

हिन्दू धर्म में ऋग्वेद में गायत्री मंत्र में ध्यान के बारे में बताया गया है।

ॐ भूर् भुवः स्वः।

तत् सवितुर्वरेण्यं।

भर्गो देवस्य धीमहि।

धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

हिन्दी में भावार्थ :-

उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

आपको लग रहा होगा कि गायत्री मंत्र और उसके हिंदी अनुवाद में कहीं भी ध्यान के बारे में नहीं लिखा हैं। लिखा है लेकिन उस समझने के लिए धारणा को समझना पड़ेगा।

ध्यान में दो स्टेप होते हैं।

(1) धारणा

(2) ध्यान

ध्यान करना नहीं पड़ता हो जाता है। नहीं समझ आया...🤔। चलो समझाता हूं

जब हम सोने जाते है तब हम नींद लाते नहीं बल्कि नींद अपने आप आ जाती है। लेकिन नींद लाने कि जरूरी स्थिति पैदा कर सकते है जैसे कि आरामदायक बेड पर आराम से लेट जाना, लाइट ऑफ़ करना, एसी चलाना आदी।

ठीक ऐसा ही ध्यान में होता है ध्यान करना नहीं पड़ता बल्कि अपने आप हो जाता है, जब हम धारणा करते है तब ध्यान अपने आप लग जाता है। तो चलिए देखते है धारणा क्या है।

धारणा क्या हैं ?

महर्षि पतंजलि कहते हैं,

देशबन्धश्चित्तस्य धारणा

अर्थात :-

मन को किसी बाह्य विषय या आंतरिक बिंदु पर केंद्रित करना धारणा हैं।

बाह्य किसी भी वस्तु पर आप अपना मन केंद्रित कर सकते हो जैसे कि मोमबत्ती के दीपक पर आदी। आंतरिक बिंदु यानिकि आप अपने मन को किसी भी चक्र पर केंद्रित कर सकते हो या अपनी सांसों पर और भी कई बाह्य या आंतरिक बिंदु पर मन को केंद्रित कर के आप धारणा कर सकते हो।

जब आप ठीक से रोजाना धारणा करने लगोगे तब ध्यान अपने आप लग जाएगा। क्योंकी धारणा करने पर हमारा पूरा Focus किसी एक वस्तु या बिंदु पर होता है और जब हमारा पूरा Focus किसी एक वस्तु या बिंदु पर होता है तब हमारे दिमाग में विचार आना बंद हो जाता हैं और जैसे कि मैंने शुरुआत में ही कहा हैं कि ध्यान (मेडिटेशन) का मतलब ही यही होता है कि दिमाग में कोई विचार का ना आना (विचार शून्य कि स्थिति)।

एक्सपर्ट का मानना यह भी है कि धारणा का मतलब 'मान लेना ' भी होता है, गायत्री मंत्र में भी यही कहा हैं,

 हमे अंतरात्मा में ये मानना है कि हमारे सारे दुखों को दूर करने वाला परमात्मा हैं।

इस तरह गायत्री मंत्र का धारणा से Connection हैं और धारणा का ध्यान से Connection हैं।

अब यहां पे आप Confused मत होना कि धारणा का मतलब मन को 'केन्द्रित करना ' होता है या 'मान लेना '।

क्योंकी दोनों एक ही हैं किसी भी चीज को मान लेने से हमारे दिमाग में उस चीज के बारे में कोई सवाल नहीं रहता और ना ही कोई सवाल, ऐसे में हमारा दिमाग पूरा Focused रहता है।

जैसे कि मान को कि आप उड़ रहे हो अब इस बात पर आप के दिमाग में कई सवाल आ सकते है जैसे की मै कैसे उड़ सकता हूं, क्यों उड़ रहा हूं, कब, कैसे , क्यों आदी और ऐसे में हमारे दिमाग में हजारों सवाल और शंकाएं और विचार पैदा होते है लेकिन अगर अपने मान लेते हो कि आप उड़ रहे हो तब ये सारे सवाल शंका और विचार सभी दूर हो जाएंगे। और हमारा सारा Focus एक ही जगह पर आ जाएगा।

ध्यान (मेडिटेशन) की विधि।(ध्यान (मेडिटेशन) के प्रकार ) :-

ध्यान ज्यादातर तीन उदेश्य से किया जाता है।

1. भक्ति मार्ग के लिए

2. कर्म मार्ग के लिए

3. ज्ञान मार्ग के लिए

इन तीन मार्गो के आधार पर ध्यान कि 112 विधियां बताई गई है लेकिन मैं यहां आपको 5 विधियां के बारे में जानकारी दूंगा जिसे आप ट्राई कर सकते हो।

1. Relaxation Meditation (विश्राम ध्यान)

Relaxation Meditation (विश्राम ध्यान) में Guided Meditation, Silent Seating Meditation आदी तरह के ध्यान (मेडिटेशन) आते हैं।

इस तरह के ध्यान(Meditation) में शरीर को विश्राम कि स्थिति में लाने को कहा जाता हैं और फिर मन को Relax करने के लिए Guide करा जाता हैं।

जब हम Relaxation Meditation (विश्राम ध्यान) करने जाते हैं तब कम ही खाना लेना चाहिए क्योंकि ज्यादा खाना खाने से विश्राम कि स्थिति आने पर नींद आ जाती हैं।

इस तरह के ध्यान में हमे जो कहा जाए उसे मान लेना चाहिए, जैसा कि मैंने धारणा में बताया है।

2. Chanting Meditation (जप ध्यान)

Chanting Meditation में किसी भी मंत्र या श्लोक का जप करना होता हैं या प्राथना करना होता हैं।

इस तरह के ध्यान में वैसे तो सिर्फ हमारे दिमाग कि pattern को तोड़ने के लिए जप करा जाता है क्योंकि जब हम लगातार जप करते रहते है तब हमारे दिमाग कि Regular pattern टूट जाती है ।

लेकिन अगर हम गायत्री मंत्र या ओमकार का जप करते है तब उस मंत्र से जुड़ी Frequency उत्पन्न होती हैं, अगर मंत्र के विज्ञान के बारे में ज्यादा जानकारी चाहिए तो ने already एक  आर्टिकल लिख चुका हूं।


Chanting Meditation में लगातार जब समय मिले तब मंत्र का उच्चारण करना चाहिए और हर पल ये नहीं सोचना की मुझे इस से कुछ फायदा हुआ हैं या नहीं, बस उच्चारण करते रहना हैं।

3. एकाग्रता ध्यान (Concentration Meditation)

इस विधि में त्राटक, विपश्यना, अनापनसती आदि तरह के ध्यान आते है।

इस प्रकार के ध्यान में हमे मन या आंखो को किसी एक बिंदु या वस्तु पर Focus करना होता है।

इस प्रकार के ध्यान में ये महत्व नहीं की हम किस बिंदु या किस वस्तु पर Focus कर रहे हैं, ये महत्त्व है कि कितने समय तक हम उस पर Focus कर रहे है।

हमारे दिमाग में हर 48 Second में विचार बदलता है और हर 45 मिनट में हमारी क्रिया बदलती है। हमारे शरीर या दिमाग कि इस Pattern तोड़कर अपना Focus कई हद तक बढ़ा सकते है।

इस लिए अगर आपका कोई काम 45 मिनट से ज्यादा समय का है तो उसे कुछ समय में विभाजित ना करे।

जैसे कि अगर आप पढ़ने बैठते हो तो, लगातार 90 मिनट तक पूरे Focus के साथ पढ़े, ना कि पहले 45 मिनट पढ़ लिया फिर छोटा सा Break और फिर 45 मिनट पढ़ लिया। ये 45 मिनट-45 मिनट के दो भाग बनाने से हमे Temporary फायदा होता है लेकिन अगर अपने लगातार 

90 मिनट तक पूरे Focus के साथ पढ़ने कि आदत लगा दी ना फिर तो आप सोच भी नहीं सकते कि आपका Focus कितनी हद तक बढ़ जाएगा।

और ये भी एक तरह का ध्यान ही हो जाता है और स्वामी विवेकानंद जी ने भी यही कहा है कि अगर आप कोई काम Full Focus के साथ करते हो तो ये भी ध्यान ही हो जाता हैं।

4. थकाऊ ध्यान। (Exhausting Or Active Meditation)

इस ध्यान कि विधी में कुंडलिनी ध्यान, डायनेमिक ध्यान आदी प्रकार के ध्यान आते है।

इस प्रकार के ध्यान में शरीर कि बिल्कुल भी परवाह नहीं कि जाती।

अपने शायद देखा ही होगा कि पुराने जमाने में लोग आग पे चलना या फिर एसी क्रिया जो शरीर को बहुत तकलीफे देती है वैसी क्रिया करते थे, इसे हठ योग कहते है और ये ध्यान हठ योगी या कर्म योगी के लिए होता है।

अगर आप ये ध्यान ठीक से करते हो तो आपको पता चल जाएगा कि आप और शरीर दोनों अलग अलग हैं।

5. शाक्षी भाव ध्यान(witnessing meditation)

इस प्रकार के ध्यान में आपको अपने विचारो को देखना होता है।

पूरे दिन बस आपके दिमाग में आने वाले विचारों को ही देखना है अब ये नहीं सोचना कि ये विचार ग़लत है और ये विचार सही है और ना ही उस विचार के हिसाब से कोई Action लेना है, अगर आप ऐसा करते हो तो ये सोचना हो गया ना कि विचारो को Observed करना या देखना। तो सिर्फ और सिर्फ अपने विचारो को Observed करना है।

जब आप सोने जाते हो तब भी आपको यही करना है, धीरे धीरे समय के साथ आप एक बार सही से करने लगोगे तब आप नींद में आने वाले सपने, विचार सब को अपनी पूरी Awareness के साथ देख सकोगे।

आपके लिए Lucid Dreaming एकदम आसान हो जाएगा।

भगवान श्री कृष्ण ने भी श्रीमद् भागवत गीता में भी यही कहा हैं,

जब पूरी दुनिया सोती है तब एक सहज योगी जागता है।

ध्यान के ये पांचों प्रकार के बारे में मैंने आपको सिर्फ basic जानकारी दी हैं ताकि आप अपने हिसाब से सरलता से Decide कर सको कि आपको किस प्रकार का ध्यान करना हैं, अगर इस पांचों प्रकार के बारे में विस्तृत बताया जाएं तो ऐसे ओर 10 आर्टिकल लिख सकते हैं, आपको जिस प्रकार का ध्यान करना है उसके बारे में थोड़ा गूगल करोगे तो सब जानकारी मिल जाएगी लेकिन अगर आप चाहते हो कि मैं इस बारे में विस्तृत जानकारी दू तो आप कमेंट कर के बता सकते हो।

ध्यान कैसे करें ? 

ध्यान कैसे करें? इस बात को बहुत लोग Complicated मानते हैं और इसी का फायदा उठा के लोग भी इसे ओर Complicated बनाके आपको जानकारी देते है, लेकिन अब जो मै आपको जानकारी दूंगा उस से आपको पता चल जाएगा कि ये तो वाकई में बिल्कुल सरल और आसान है।

जगह :-

ऐसी जगह पसंद करे जहां शोर ना हो, ये जगह कोई भी हो सकती चाहे वो आपका कमरा हो या कोई मैदान बस शर्त इतनी है कि वहा शोर ना हो और ये जगह आपके लिए एकदम Comfortable हो।

मेडिटेशन इन हिंदी।

आज कल हमारा मोबाइल हर वक्त हमारे साथ ही रहता है तो मुझे पता है कि Meditation करने के समय भी वो आपके साथ ही आयेगा, आने से मना नहीं कर रहा पर उसे Silent कर देना।

और एक जरूरी बात आप जिस जगह हर दिन ध्यान(मेडिटेशन) करते हो उसी जगह हर रोज करो, क्योंकी जब आप इस जगह पर हर दिन ध्यान(मेडिटेशन) करते हो तो इस जगह Positive Energy से भर जाती है और इसी जगह पर ध्यान(मेडिटेशन) जल्दी लगता हैं।

ध्यान के लिए कौन सा आसन उपयोगी है ?

ऐसी कोई आसन कि जबरदस्ती नहीं है कि आप यही आसन में ध्यान कर सकते हो,  सुखासन, पद्मासन या फिर जैसे हम Normally बैठकर भी ध्यान में बैठ सकते हैं, बस शर्त ये है कि आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी ऊपर कि ओर होनी चाहिए।

सोते समय भी रीढ़ की हड्डी सीधी होती है तो हम सोते-सोते ध्यान क्यों नहीं कर सकते?

बहुत लोगो का सवाल होता है, लेकिन यही लोगो को इस सवाल का सही जवाब नहीं पता होता है या सही जवाब कोई नहीं बताता है।

बहुत लोग इसका जवाब देते हुए कहते है कि सोते सोते Meditation कर ने से नींद आ जाती है। हा, ये भी इस सवाल का जवाब सही है लेकिन मुख्य कारण या जवाब ये नहीं है।

मेडिटेशन इन हिंदी।

इस सवाल का मुख्य जवाब ये है कि हमारी रीढ़ कि हड्डी हमारे मन के साथ जुड़ी हुई होती हैं और जब हम लेटे हुए होते है तब हमारी रीढ़ कि हड्डी पर ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल (Gravity Force) लगता हैं इसी लिए ऊर्जा (Energy) को नीचे से ऊपर तक जाने में ज्यादा तकलीफ होती हैं लेकिन अगर हमारी रीढ़ कि हड्डी ऊपर कि ओर सीधी होती है तो सिर्फ एक ही बिंदु पर गुरुत्वाकर्षण बल (Gravity Force) लगता है और इसी कारण ऊर्जा (Energy) को ऊपर कि ओर मन कि तरफ जाने में कम से कम दिक्कत होती हैं।

ध्यान के लिए मुद्रा :-

इस आर्टिकल लिख ने मैंने जितना रिसर्च किया है ना उसमें ये तो पता चल गया कि, कोई मुद्रा के बारे में बात ही नहीं कर रहा जब कि मुद्रा तो ध्यान के लिए बहुत ज़रूरी है जल्दी Result लाने के लिए।

कौन सी मुद्रा लगानी है ये बताने से पहले मैं आपको मुद्रा का Science बता देता हूं ताकि आपको पूरी तरह से भरोसा हो जाए कि मुद्रा वाकई में जरूरी है।

मुद्रा विज्ञान (mudra vigyan)

Dear, हमारा शरीर पंचतत्व से बना है।

1. अग्नि

2. वायु

3. जल

4. पृथ्वी

5. आकाश

 ये ब्रम्हांड भी इन पांच तत्वों से ही बना है।

और Dear क्या आपको पता है कि ये साधारण से दिखने वाले हाथ को प्रकृति ने कितना Powerful बनाया हैं, हमारे ये हाथ पंचमहाभूत को दर्शाते है जिस से पूरा ये ब्रम्हांड बना हैं।

और इन्हीं पंचमहाभूत से हमारे शरीर कि तीन मुख्य ऊर्जा (Energy) का निर्माण होता हैं।

1. वात(वायु + आकाश)

2. पित(अग्नि + जल)

3. कफ(पृथ्वी + जल)

वात ऊर्जा वायु और आकाश को, पित अग्नि और जल को, कफ पृथ्वी और जल को दर्शाती है।

और dear क्या आपको पता है कि हमारे शरीर में इन्हीं तीन ऊर्जा के असंतुलन से हम बीमार होते हैं। और हम सिर्फ अपने हाथो से ही इस तीन ऊर्जा को संतुलित कर सकते है। हमारा हाथ हमारे शरीर के सात चक्र को भी दर्शाता है।

और विज्ञान भी कहता है कि हमारे शरीर कि 72,000 नाडीयों में से हज़ारों नाडीयों का अंत उंगलियों के अंत में होता है।

और हमारे शरीर कि पीनियल ग्रंथि (pineal gland), पीयूष ग्रन्थि (pituitary gland) और थायराइड ग्रंथि (thyroid gland) इन सभी ग्रंथियों का अंत हमारी उंगलियों के सबसे अगले वाले हिस्से में ही होता है।

इतनी सारी नाडीयों और ग्रंथियों कि वजह से उंगलियों के अगले हिस्से में बहुत मतलब बहुत सारी ऊर्जा (Energy) एकत्रित (Store) होकर रहती हैं। और हमारा हाथ शरीर के सात चक्रो को भी दर्शाता है।

मेडिटेशन इन हिंदी।
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और जब हम मुद्रा लगाते हैं तब हमारी उंगलियों के Connection(संपर्क) कि वजह से शरीर कि ऊर्जा (Energy) शरीर के बाहर जाने के बजाय फिर से शरीर और दिमाग कि ओर बढ़ना शुरू हो जाती हैं, और इसी लिए हमारा शरीर ओर स्वस्थ और दिमाग ओर तेज हो जाता हैं।

और Dear इसी लिए हमारे ऋषि-मुनियों कहा हैं,

बहुना किमीहोक्तेन सारं वच्मि च दण्ड ते।

नास्ति मद्रासमं किच्चित् सिद्धिदं क्षितिमण्डले ।।

यानिकि पूरी पृथ्वी पर मुद्राएं जितनी सिद्धियां प्रदान कराने वाला कोई नहीं हैं।

घेरण्ड संहिता, शिव संहिता आदी में मुद्राओं को विशेष स्थान दिया है, लेकिन हमें क्या हमें तो जब गोरे कहेंगे तभी हम करेंगे हे ना Dear. क्योंकि हमारे ऋषिमुनियो कहा तब हमने योगा नहीं किया तब हम गोरो कि सुनके जिम जाते थे और आज गोरे योगा कर रहे है तो हम भी उनकी तरह अब योगा के पीछे भागने लगे इस से अच्छा जब ऋषिमुनियो ने कहा तब ही भाग लेते।

कौन सी मुद्रा ध्यान के लिए Best हैं ?

मुद्राएं तो बहुत है लेकिन हम यहां सिर्फ ध्यान के लिए ही देखेगे।

ध्यान करने के लिए सबसे best मुद्रा हैं ज्ञान मुद्रा

मेडिटेशन इन हिंदी।

अब इस मुद्रा का नाम ज्ञान मुद्रा इस लिए है क्योंकि ये मुद्रा से दिमाग से Related सारी प्रॉब्लम भाग जाती है जैसे की Overthinking, Nagative Thought आना, गुस्सा आदी और ये मुद्रा से Concentration कई हद तक बढ़ जाता हैं।

हमारी ये तर्जनी उंगली वायु तत्व के अलावा अपनी चेतना को भी दर्शाती हैं और अंगूठा इस ब्रम्हांड कि चेतना को दर्शाता है।

और Dear, क्या आपको पता है कि जब हम खुदकी चेतना को इस ब्रम्हांड कि चेतना के साथ जोडते है तब हमारा दिमाग Superconscious कि तरफ धीरे धीरे बढ़ना लगता है। जब हम ज्ञान मुद्रा करते हैं तब यही होता है, खुद कि चेतना और ब्रम्हांड कि चेतना कि जोडना।

आपको पता ही हैं कि वायु का स्वभाव चंचल होता है कभी यहां तो कभी वहा, हमारे शरीर में भी वायु तत्व पाया जाता है और इस तत्व के चलते ठीक उसी तरह हमारे दिमाग में विचार कभी यहां तो कभी वहां, चंचल ही रहते है।

और Dear, तर्जनी उंगली हमारे इस वायु तत्व को संतुलित करती है तो जब हम ज्ञान मुद्रा लगा के ध्यान करते है तब विचार यहां वहां भटकने के बजाय जल्दी स्थिर हो जाते हैं।

ज्ञान मुद्रा करने के लिए जैसे इमेज में दिखाया है ठीक उसी तरह बिना जोर लगाएं बस तर्जनी उंगली और अंगूठे को टच (Touch) करना हैं। और मुद्रा के लिए कोई टाइम लिमिट नहीं है और कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं है।

मेडिटेशन कब करना चाहिए। (ध्यान कब करना चाहिए)

मैंने जो साक्षी भाव वाला मेडिटेशन बताया है वो आप पूरे दिन कर सकते हो, लेकिन आप दिन में व्यस्त रहते हो तो कब दोपहर को आराम के समय पर एक घंटा तो करना ही चाहिए और रात को सोने से पहले।

और थकाऊ ध्यान सुबह उठकर चाय नाश्ता करने से पहले मतलब सीधा उठकर ही करना है।

और जो जप, एकाग्रता और शिथिलता वाला ध्यान सुबह, शाम या दोपहर को भी कर सकते हो। एसा कोई फिक्स टाइम नहीं होता ध्यान करने के लिए, लेकिन जब आपको ध्यान लगने लगेगा तो टाइम अपने आप फिट जाएगा।

ध्यान के फायदे :-

ध्यान(मेडिटेशन) के तो अनगिनत फायदे है जैसे कि,

  • एकाग्रता बढ़ती है।
  • Memory Power बढ़ती है।
  • स्वास्थ्य सुधारने लगता है।
  • चहरे पे अलग ही चमक आ जाती हैं।
  • Confidance का बढ़ावा होता है।
  • अनिद्रा से राहत मिलती है।
  • तनाव दूर हो जाता है।
  • आप अपने मन को पूरी तरह से कंट्रोल करने लगते हो।

 ये सब फायदे को हम सामान्य मान सकते हैं लेकिन अगर ध्यान ओर गहरा हो गया तो हमे बहुत सिद्धियां मिलने लगती है जैसे कि,

  • Third Eye की सिद्धियां।
  • Lucid Dreaming.
  • Telepathy etc.

अब Dear, ध्यान(मेडिटेशन) के बारे मैं वो बताने जा रहा हूं जो कोई नहीं बताता, और ये बाते आपको अजीब भी लग सकती हैं।

महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग के मुताबिक ध्यान मौत तक जाने का एक रास्ता है। कैसे...? चलिए समझाता हूं👇

महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग :-

1. यम

2. नियम

3. आसन

4. प्राणायम

5. प्रत्याहार

6. धारणा

7. ध्यान

8. समाधी

अब इस अष्टांग योग के मुताबिक समाधी तक पहुंचने का मार्ग है, जिस में ध्यान भी है और समाधी का मतलब एक तरह से मौत भी होता है।

इस लिए Dear, जब हमारा ध्यान गहरा होने लगता है तब हमे अजीब सी घबराहट महेसुस होती है क्योंकि तब मौत सामने दिखती है।

लेकिन समाधी तक पहुंचने से पहले जो ऊपर मैंने फायदे या सिद्धियां बताई है वो भी मिलती है, लेकिन सच कहूं तो ये सब हमारी इच्छाएं हैं और जब तक इन इच्छा को हासिल करने के लिए ध्यान करेगे तब तक ध्यान नहीं लगेगा, इसी लिए निस्वार्थ भाव से ध्यान करो तभी ध्यान लगेगा।

कई लोग इस अजीब सी घबराहट से ही ध्यान करना छोड़ देते है लेकिन हमे एसा नहीं करना क्योंकि ध्यान करोगे तो ये घबराहट जरूर होगी।

और जब ध्यान लगने लगता है तब हमारी तकलीफे कम होने कि बजाए बढ़ने लगती है और हमे लगने लगता है कि हम इस समाज से अलग है और ये समाज भी आपको अलग ही मानेगा।

इसी लिए महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध, मीरा बाई आदी लोगो ने बहुत तकलीफे सहन कि, और तकलीफे दौरान ये सब इस समाज से दूर चले गए थे। 

लेकिन जब ये सारी तकलीफे और सिद्धियां को छोड़कर ध्यान करते है तब जाके Enlightenment प्राप्त होता है यानिकि समाधी यानिकि मोक्ष।

बाल वनिता महिला आश्रम

कैसे पता करे कि ध्यान लगा हैं?

ध्यान एक अनुभव है उसे शब्दों में या लिख के नहीं बता सकते, जैसे कि अगर आपको आंख पर पट्टी बांध कर एक गुलाब जाबुन और एक रसगुल्ला खाने को दिया जाए तो आप बड़ी सरलता से बता सकोंगे कि ये गुलाब जाबुन हैं और ये रसगुल्ला, लेकिन लेकिन लेकिन अगर आपको कहा जाएं कि दोनों के स्वाद के बारे में बताओ तो आप सिर्फ इतना बता सकते हैं कि दोनों मीठे हैं बस, दोनों को अलग अलग वर्गीकृत नहीं कर सकते।

ठीक इसी तरह ध्यान को आप महेसुस कर सकते है ना ही बता सकते और ना ही लिख सकते हैं। लेकिन महावीर स्वामी ने कुछ ऐसे अनुभव बताए है जो ध्यान के करीब पहुंचने से होता हैं।

महावीर स्वामी ने बताया कि जैसे हम ध्यान के करीब पहुचते है हमें ऐसा लगने लगता है कि आवाजे एकदम बढ़ गई है और आपके मन में चित्र एकदम जल्दी से गुजर रहे हैं और फिर एकदम अचानक सब रुक जाएगा और गहरा सन्नाटा छा जायेगा, लेकिन इस गहरे सन्नाटा में भी आपको शाक्षी भाव रखना हैं मतलब ये नहीं सोचना चाहिए कि ये लगा सन्नाटा, कितना भयानक सन्नाटा है अगर ये सब सोचने लगे तो आप विचारो में फिर से आ जाओगे और ध्यान टूट जाएगा।

ध्यान के करीब आने से हमे लगता है कि शरीर में चिटिया काट रही है या मच्छर काट रहे है, भयानक चित्र दिखने लगेंगे, जोरो का प्रकाश दिखता है या एसा लगता है कि भगवान खुद दिखने लगाते है, शरीर का मांस फफड़ने लगता है या सर में दर्द होने लगता हैं। लेकिन ये सब हमारे मन कि चालाकियां होती है ध्यान को हटाने ने के लिए लेकिन इन सभी चीजों में हमे शाक्षी भाव ही रखना हैं और आपको अपनी नौकरी धंधा में दिक्कतें आने लगेगी।

ये सारी बाते लोग इस लिए नई बताते क्योंकि कई लोग इन्हीं बातो से डर कर ध्यान कि शरुआत ही नहीं करते।

अगर Confused हो कि आपको कौन सा मेडिडेशन (ध्यान) करना हैं तो मैं आपको एक छोटी सी सलाह देना चाहता हूं, अगर आप कोई काम या जॉब कि खोज में है तो आपको एकाग्रता वाला ध्यान करना चाहिए क्योंकि जब ये ध्यान आप करोगे तो आपका Foces सिर्फ और सिर्फ अपने काम पर होगा ऐसे में आपका कम जल्दी और आसन हो जाएगा।

इसी लिए मैंने एकाग्रता ध्यान में आने वाले विपश्यना ध्यान पर एक संपूर्ण जानकारी से भरा आर्टिकल  Vipassana वनिता पंजाब Meditation In Hindi लिखा हैं, इसे पढ़ने से विपश्यना ध्यान से जुड़ी सारी जानकारी आपको मिल जाएगी।

I Hope की मेडिटेशन इन हिंदी में आपको सारी जानाकारी मिल चुकी होगी, लेकिन फिर भी अब भी आपके दिमाग में कोई सवाल सता रहा हैं तो Comment कर के पुछ सकते हो। फिर मिलते हैं, ऐसे ही फुल जानकारी से भरे हुए मजेदार Next आर्टिकल में। तब तक के लिए अपना ख्याल रखना Take Care...🤗।

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