सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

How to earn $ 10,000 / month from Google Adsense in a short time?answer12FollowMake requestSee moreTranslate an answer into englishAnswers to this question are in English! Translation of Ivan's answer

रामश्रीराम चाहे रामचंद्र एगो भारतीय देवता हवें जिनके हिंदू लोग विष्णु के सातवाँ अवतार माने ला; वाल्मीकि के महाकाव्य आ हिंदू धर्मग्रंथ रामायण आ तुलसीदास के काव्य रामचरितमानस में इनके कथा प्रमुख रूप से बर्णित बा आ अउरी कई गो रामकथा सभ के ई मुख्य पात्र बाड़ें। वैष्णव शाखा इनके विष्णु के अवतार माने ला[2] आ रामभक्ति शाखा में इनका के सभसे ऊँच देवता भा साक्षात ईश्वर (भगवान) के रूप मानल जाला।


राम
बाल वनिता महिला आश्रम
राम एगो हिंदू देवता हवें, बिबिध रूप में इनके निरूपण भइल बा
संबंधित बाड़ेविष्णु के सातवाँ अवतार, देव
धामबैकुंठअजोध्या
हथियारतीर-धनुष
ग्रंथरामायणरामचरितमानस
तिहुआररामनवमीदिपावलीदशहरा
Personal information
जनमअयोध्याकोसल (वर्तमान में उत्तर प्रदेश)
Consortसीता[1]
संतानलव (बेटा)
कुश (बेटा)
माई-बाबूजीदशरथ (पिता)[1]
कोसिला (महतारी)[1]
कैकेयी (मयभा)
सुमित्रा (मयभा)
सहोदरलक्ष्मण (भाई)
भरत (भाई)
शत्रुघन (भाई)
बंसरघुवंश, इच्छ्वाकुवंश, सूर्यवंश

कथा अनुसार राम कोसल प्रदेश के राजा दशरथ, जिनके राजधानी अजोध्या रहल, के चार गो में से जेठ बेटा रहलें आ रानी कौशल्या के गरभ से पैदा भइल रहलें जबकि बाकी भाई लोग लक्ष्मण, भरत आ शत्रुघन रहल। राम के बियाह जनक के बेटी सीता से भइल। एकरे बाद के घटनाक्रम में राम के बनवास, सीता के रावण द्वारा हरण, सीता के खोज आ रावण से जुद्ध के बाद लंका पर बिजय पा के वापस अजोध्या लवटे; सीता के अग्निपरीक्षा आ त्याग इत्यादि रामकथा के मुख्य घटना हईं। कथा में राम के धर्म आ सामाजिक ज़िम्मेदारी निभावे वाला आदर्श ब्यक्ति के रूप में चित्रित कइल गइल बा।

नोटसंपादन

संदर्भसंपादन

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Anjana was the mother of Hanuman ji. She was the wife of the monkey king Kesari. Going to give a little information about them.There was a nymph named Punjik Thala who danced in the court of Indra, it was the same nymph who

हनुमान  जी की माता थी अंजना। वह वानर  राजा केसरी   बाल वनिता महिला आश्रम की पत्नी थी। उनके बारे में थोड़ी जानकारी देने जा रहे हैैं। पुंजिक थला नाम की एक अप्सरा थी जो इंद्र के दरबार में नृत्य किया करती थी यह वही अप्सरा थी जो समुद्र मंथन के समय में निकली थी उस समय तीन अप्सराएं निकली थी उनमें से पुंजिक थला भी एक अप्सरा पुंजत्थला एक बार धरती लोक में आई और उन्होंने महा ऋषि दुर्वासा जो एक ऋषि थे और वह तपस्या कर रहे थे वह एक नदी के किनारे बैठे हुए थे और ध्यान मुद्रा में थे पुंजत्थल ने उन पर बार-बार पानी फेंका जिससे उनकी तपस्या भंग हो गई और तब उन्होंने पुंजिक थला को श्राप दे दिया कि तुम इसी समय वानरी हो जाओ और पुंजिक थला उसी समय वानरी बन गई और पेड़ों पर इधर उधर घूमने लगी देवताओं के बहुत विनती करने के बाद ऋषि ने उन्हें बताया की इनका दूसरा जन्म होगा और तुम वानरी ही रहोगी लेकिन अपनी इच्छा के अनुसार तुम अपना रूप बदल सकोगी। तभी केसरी सिंह नाम के एक राजा वहां पर एक मृग का शिकार करते हुए आए वह मृग घायल था और वह ऋषि के आश्रम में छुप गया ऋषि ने राजा केसरी से कहा कि तुम मेरे ...

मेरे बाबा घने दयालु है आज मांग के देख ले विश्वाश नही तो मेहंदीपुर में जा के देख ले तू सचे मन से मांगे गा वही तुझे मिल जावेगा वो बाला जी के जैसा पावन धाम कही न पावेगा वो बाबा का इक लड्डू चूरमा खा के देख ले विश्वाश नही तो मेहंदीपुर में जा के देख ले मने जय बाबा की जय बाबा की प्यारा लागे जय कार जिस पे नजर मेरे बाला जी की आज तलक भी न हारा उतम छोकर से भगत बाबा का हरा के देख ले विश्वाश नही तो मेहंदीपुर में जा के देख ले ,

Uthani Ekadashi 2022: देवउठनी एकादशी पर कर लें दूध-केसर का ये चमत्कारी उपाय, भगवान विष्णु की होगी विशेष कृपाकार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी का पर्व 4 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाने वाला है। इस दिन कुछ खास उपायों को जरूर करना चाहिए। By वनिता कासनियां पंजाबnaiduniaDev Uthani Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को काफी शुभ माना गया है। यह व्रत भगवान विष्णु की पूजा आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। ये व्रत भक्तों को विशेष फल प्रदान करने वाला होता है। पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। वहीं पूरे चार महीने बाद देवउठनी एकादशी के दिन वे जागते हैं। ऐसे में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। वहीं इस बार देवउठनी एकादशी का पर्व 4 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाने वाला है। इस दिन कुछ खास उपायों को करने से भगवान विष्णु की कृपा हमेशा जातक पर बनी रहती ह देवउठनी एकादशी पर करें ये उपायदेवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी, देवउठनी ग्यारस आदि नामों से भी जाना जाता है। इस साल 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है। देवउठनी एकादशी पर व्रत और विधि-विधान से पूजा करने से भगवान प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं। आइए जानते हैं कि देवउठनी एकादशी पर किए जाने वाले उपाय कौन से हैं। देवउठनी एकादशी के शुभ दिन पर भगवान श्री हरि विष्णु का दूध और केसर से अभिषेक करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर कामना पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। जो लोग आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं वे इस दिन पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें और शाम के समय पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिलती है।धन की कमी को दूर करने के लिए देवउठनी एकादशी पर श्री हरि विष्णु को पैसे अर्पित कर उन्हें अपने पर्स में रख लें। ऐसा करने से व्यक्ति को धन लाभ होता है। साथ ही कभी भी धन की कमी नहीं आती है। देवउठनी एकादशी के शुभ दिन व्यक्ति को भगवान विष्णु को तुलसी पत्र के साथ सफेद रंग की चीज का भोग लगाएं। ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

वनिता कासनियां पंजा Uthani Ekadashi 2022: देवउठनी एकादशी पर कर लें दूध-केसर का ये चमत्कारी उपाय, भगवान विष्णु की होगी विशेष कृपा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी का पर्व 4 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाने वाला है। इस दिन कुछ खास उपायों को जरूर करना चाहिए। By  वनिता कासनियां पंजाब Dev Uthani Ekadashi 2022:   हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को काफी शुभ माना गया है। यह व्रत भगवान विष्णु की पूजा आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। ये व्रत भक्तों को विशेष फल प्रदान करने वाला होता है। पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। वहीं पूरे चार महीने बाद देवउठनी एकादशी के दिन वे जागते हैं। ऐसे में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। वहीं इस बार देवउठनी एकादशी का पर्व 4 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाने वाला है। इस दिन कुछ खास उपायों को करने से भगवान विष्णु की कृपा हमेशा जातक प...