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Hanuman ji pictureBy philanthropist Vanita Kasani PunjabAccording to the calculations of astrologers, Bajrangbali was born on Tuesday on Chaitra Purnima in the sum of Chitra Nakshatra and Aries Lagna. Hanuman's father Sumer

Hanuman ji pictureBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब

ज्योतिषीयों की गणना के अनुसार बजरंगबली जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। हनुमानजी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी थे और माता अंजनी थी। हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है और उनके पिता वायु देव भी माने जाते है। राजस्थान के सालासर व मेहंदीपुर धाम में इनके विशाल एवं भव्य मन्दिर है।


पुंजिकस्थली यानी माता अंजनीबाल वनिता महिला आश्रम


पुंजिकस्थली देवराज इन्द्र की सभा में एक अप्सरा थीं। एक बार जब दुर्वासा ऋषि इन्द्र की सभा में उपस्थित थे, तब अप्सरा पुंजिकस्थली बार-बार अंदर-बाहर आ-जा रही थीं। इससे गुस्सा होकर ऋषि दुर्वासा ने उन्हें वानरी हो जाने का शाप दे दिया। पुंजिकस्थली ने क्षमा मांगी, तो ऋर्षि ने इच्छानुसार रूप धारण करने का वर भी दिया। कुछ वर्षों बाद पुंजिकस्थली ने वानर श्रेष्ठ विरज की पत्नी के गर्भ से वानरी रूप में जन्म लिया। उनका नाम अंजनी रखा गया। विवाह योग्य होने पर पिता ने अपनी सुंदर पुत्री का विवाह महान पराक्रमी कपि शिरोमणी वानरराज केसरी से कर दिया। इस रूप में पुंजिकस्थली माता अंजनी कहलाईं।

वानरराज को ऋर्षियों ने दिया वर

एक बार घूमते हुए वानरराज केसरी प्रभास तीर्थ के निकट पहुंचे। उन्होंने देखा कि बहुत-से ऋषि वहां आए हुए हैं। कुछ साधु किनारे पर आसन लगाकर पूजा अर्चना कर रहे थे। उसी समय वहां एक विशाल हाथी आ गया और उसने ऋषियों को मारना प्रारंभ कर दिया। ऋषि भारद्वाज आसन पर शांत होकर बैठे थे, वह दुष्ट हाथी उनकी ओर झपटा। पास के पर्वत शिखर से केसरी ने हाथी को यूं उत्पात मचाते देखा तो उन्होंने बलपूर्वक उसके बड़े-बड़े दांत उखाड़ दिए और उसे मार डाला। हाथी के मारे जाने पर प्रसन्न होकर ऋर्षियों ने कहा, 'वर मांगो वानरराज।' केसरी ने वरदान मांगा, ' प्रभु , इच्छानुसार रूप धारण करने वाला, पवन के समान पराक्रमी तथा रुद्र के समान पुत्र आप मुझे प्रदान करें।' ऋषियों ने 'तथास्तु' कहा और वो चले गए।

मां अंजना का क्रोधित होना

एक दिन माता अंजनी, मानव रूप धारण कर पर्वत के शिखर पर जा रही थी। वे डूबते हुए सूरज की खूबसूरती को निहार रही थीं। अचानक तेज हवाएं चलने लगीं। और उनका वस्त्र कुछ उड़-सा गया। उन्होंने चारों तरफ देखा लेकिन आस-पास के पृक्षों के पत्ते तक नहीं हिल रहे थे।
उन्होंने विचार किया कि कोई राक्षस अदृश्य होकर धृष्टता कर रहा। अत: वे जोर से बोलीं, 'कौन दुष्ट मुझ पतिपरायण स्त्री का अपमान करने की चेष्टा करता है?' तभी अचानक पवन देव प्रकट हो गए और बोले, 'देवी, क्रोध न करें और मुझे क्षमा करें।

आपके पति को ऋषियों ने मेरे समान पराक्रमी पुत्र होने का वरदान दिया है। उन्हीं महात्माओं के वचनों से विवश होकर मैंने आपके शरीर का स्पर्श किया है। मेरे अंश से आपको एक महातेजस्वी बालक प्राप्त होगा। उन्होंने आगे कहा, 'भगवान रुद्र मेरे स्पर्श द्वारा आप में प्रविस्ट हुए हैं। वही आपके पुत्र रूप में प्रकट होंगे।' वानरराज केसरी के क्षेत्र में भगवान रुद्र ने स्वयं अवतार धारण किया। इस तरह श्रीरामदूत हनुमानजी ने वानरराज केसरी के यहां जन्म लिया।

By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।बाल वनिता महिला आश्रम



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Anjana was the mother of Hanuman ji. She was the wife of the monkey king Kesari. Going to give a little information about them.There was a nymph named Punjik Thala who danced in the court of Indra, it was the same nymph who

हनुमान  जी की माता थी अंजना। वह वानर  राजा केसरी   बाल वनिता महिला आश्रम की पत्नी थी। उनके बारे में थोड़ी जानकारी देने जा रहे हैैं। पुंजिक थला नाम की एक अप्सरा थी जो इंद्र के दरबार में नृत्य किया करती थी यह वही अप्सरा थी जो समुद्र मंथन के समय में निकली थी उस समय तीन अप्सराएं निकली थी उनमें से पुंजिक थला भी एक अप्सरा पुंजत्थला एक बार धरती लोक में आई और उन्होंने महा ऋषि दुर्वासा जो एक ऋषि थे और वह तपस्या कर रहे थे वह एक नदी के किनारे बैठे हुए थे और ध्यान मुद्रा में थे पुंजत्थल ने उन पर बार-बार पानी फेंका जिससे उनकी तपस्या भंग हो गई और तब उन्होंने पुंजिक थला को श्राप दे दिया कि तुम इसी समय वानरी हो जाओ और पुंजिक थला उसी समय वानरी बन गई और पेड़ों पर इधर उधर घूमने लगी देवताओं के बहुत विनती करने के बाद ऋषि ने उन्हें बताया की इनका दूसरा जन्म होगा और तुम वानरी ही रहोगी लेकिन अपनी इच्छा के अनुसार तुम अपना रूप बदल सकोगी। तभी केसरी सिंह नाम के एक राजा वहां पर एक मृग का शिकार करते हुए आए वह मृग घायल था और वह ऋषि के आश्रम में छुप गया ऋषि ने राजा केसरी से कहा कि तुम मेरे ...

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