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तिरुपति बालाजी का रहस्य के बारे में, इस मंदिर में एक नहीं बल्कि ऐसे कई सारे रहस्य है जिसे आप लोगों को जरूर जानना चाहिए। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब//🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹✍️

BAL VNITA MAHILA Ashram तिरुपति बालाजी का रहस्य क्या है? तिरुपति बालाजी का रहस्य के बारे में, इस मंदिर में एक नहीं बल्कि ऐसे कई सारे रहस्य है जिसे आप लोगों को जरूर जानना चाहिए। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब// 🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹✍️ इस मंदिर के विषय में आपको थोड़ी बहुत जानकारी दे दूं ,कि यह भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी का मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। इस मंदिर में विराजमान भगवान वेंकटेश्‍वर स्‍वामी जी की मूर्ति है जिसे भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है। तिरुपति बालाजी के रहस्य! हम यहां तिरुपति बालाजी के ऐसे 7 रहस्य के विषय में बात करेंगे जिससे आप जानकर हेरान परेशान हो जाएंगे।यहां के सारे रहस्य का जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है ,आइए शुरू करते हैं। 1:-मूर्ति पर लगे बाल असली है! भगवान वेंकटेश्‍वर स्‍वामी के मूर्ति पर लगे बाल कभी नहीं उलझते वह हमेशा मुलायम रहते हैं ऐसा क्यों होता है इसका जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है। 2:-हजारों साल से बिना तेल का जलता दिया! मंदिर के गर्भगृह में एक दीपक जलता है आपको जानकर हैरानी होगी यह...

श्री हनुमान की मदद से श्री कृष्ण ने तोड़ा इनका अभिमान. By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब//🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹

BAL VNITA MAHILA Ashram जय श्री हनुमान की मदद से श्री कृष्ण ने तोड़ा इनका अभिमान वनिता By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब// 🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹 भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता है। विष्णु ने ही राम के रूप में अवतार लिया और विष्णु ने ही श्रीकृष्ण के रूप में। श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थीं- रुक्मणि, जाम्बवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिंदा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। इसमें से सत्यभामा को अपनी सुंदरता और महारानी होने का घमंड हो चला था तो दूसरी ओर सुदर्शन चक्र खुद को सबसे शक्तिशाली समझता था और विष्णु वाहन गरूड़ को भी अपने सबसे तेज उड़ान भरने का घमंड था थएक दिन श्रीकृष्ण अपनी द्वारिका में रानी सत्यभामा के साथ सिंहासन पर विराजमान थे और उनके निकट ही गरूड़ और सुदर्शन चक्र भी उनकी सेवा में विराजमान थे। बातों ही बातों में रानी सत्यभामा ने व्यंग्यपूर्ण लहजे में पूछा- हे प्रभु, आपने त्रेतायुग में राम के रूप में अवतार लिया था, सीता आपकी पत्नी थीं। क्या वे मुझसे भी ज्यादा सुंदर थी भगवान सत्यभामा की बातों का जवाब देते उससे पहले ही गरूड़ ने कहा- भगवान क्या दुनिया में मुझसे भी ज्यादा तेज गति...

हनुमानजी के 10 रहस्य जानकर आप रह जाएंगे हैरान. By समाजसेवीवनिता कासनियां पंजाब.

हनुमानजी के 10 रहस्य जानकर आप रह जाएंगे हैरान. By समाजसेवीवनिता कासनियां पंजाब. होई है वही जो राम रची राखा।। को करी तर्क बढ़ावहि शाखा।। हनुमानजी इस कलियुग के अंत तक अपने शरीर में ही रहेंगे। वे आज भी धरती पर विचरण करते हैं। वे कहां रहते हैं, कब-कब व कहां-कहां प्रकट होते हैं और उनके दर्शन कैसे और किस तरह किए जा सकते हैं, हम यह आपको बताएंगे अगले पन्नों पर। और हां, अंतिम दो पन्नों पर जानेंगे आप एक ऐसा रहस्य जिसे जानकर आप सचमुच ही चौंक जाएंगे... चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥ संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥ अंतकाल रघुवरपुर जाई, जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥ और देवता चित्त ना धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥ चारों युग में हनुमानजी के ही परताप से जगत में उजियारा है। हनुमान को छोड़कर और किसी देवी-देवता में चित्त धरने की कोई आवश्यकता नहीं है। द्वंद्व में रहने वाले का हनुमानजी सहयोग नहीं करते हैं। हनुमानजी हमारे बीच इस धरती पर सशरीर मौजूद हैं। किसी भी व्यक्ति को जीवन में श्रीराम की कृपा के बिना कोई भी सुख-सुविधा प्राप्त नहीं हो सकती है। श्रीराम की कृपा प्राप्ति...

श्री हनुमान हिंदू धर्म के देवता एवं भगवान राम के परम भक्त हैं। by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब//🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🇮🇳✍️

हनुमान (बहुविकल्पी) बहुविकल्पी पृष्ठ श्री हनुमान हिंदू धर्म के देवता एवं भगवान राम के परम भक्त हैं। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब/ 🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🇮🇳✍️ हनुमान नाम से अन्य लेख हो सकते हैं: हनुमान चालीसा हनुमान प्रसाद पोद्दार हनुमान बेनीवाल हनुमान जयंती हनुमान पाताल विजय यह भी देखें संपादित करें हनुमान मंदिर  यह एक बहुविकल्पी शब्द का पृष्ठ है: यानि समान शीर्षक वाले लेखो की सूची। यदि आप यहां किसी विकिपीडिया की कड़ी के द्वारा भेजे गए है, तो कृपया उसे सुधार कर सीधे ही सम्बन्धित लेख से जोड़े, ताकि पाठक अगली बार सही पृष्ठ पर जा सकें।

भगवान शिवजी के ११वें रुद्रावतार। भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त। अमर।By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब//🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹✍️अन्य प्रयोगों के लिए, हनुमान (बहुविकल्पी) देखें।हनुमान (संस्कृत: हनुमान्, आंजनेय और मारुति भी) परमेश्वर की भक्ति (हिंदू धर्म में भगवान की भक्ति) की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय महाकाव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में प्रधान हैं। वह कुछ विचारों के अनुसार भगवान शिवजी के ११वें रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं।[1] रामायण के अनुसार वे जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ। हनुमान जी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है।हनुमानशक्ति, ज्ञान, भक्ति एवं विजय के भगवान, बुराई के सर्वोच्च विध्वंसक, भक्तों के रक्षकStandingHanumanCholaDynasty11thCentury.jpgहनुमान जी की प्रतिमासंबंध वानर, रुद्र अवतार, राम के भक्तग्रह पृथ्वीमंत्र ॐ श्री हनुमते नमःअस्त्र गदाजीवनसाथी अविवाहितमाता-पिता राजा केसरी (father)अंजना (mother)सवारी अज्ञातज्योतिषीयों के सटीक गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले तथा लोकमान्यता के अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत देश में आज के झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था।[2]इन्हें बजरंगबली के रूप में जाना जाता है क्योंकि इनका शरीर एक वज्र की तरह था। वे पवन-पुत्र के रूप में जाने जाते हैं। वायु अथवा पवन (हवा के देवता) ने हनुमान को पालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।मारुत (संस्कृत: मरुत्) का अर्थ हवा है। नंदन का अर्थ बेटा है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान "मारुति" अर्थात "मारुत-नंदन" (हवा का बेटा) हैं।हनुमान प्रतिमाहनुमान के द्वारा सूर्य को फल समझनासंपादित करेंहनुमान सूरज को फल मानते हुए पकड़ने के लिए आगे बढ़ते हैं।इनके जन्म के पश्चात् एक दिन इनकी माता फल लाने के लिये इन्हें आश्रम में छोड़कर चली गईं। जब शिशु हनुमान को भूख लगी तो वे उगते हुये सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने आकाश में उड़ने लगे। उनकी सहायता के लिये पवन भी बहुत तेजी से चला। उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज से नहीं जलने दिया। जिस समय हनुमान सूर्य को पकड़ने के लिये लपके, उसी समय राहु सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था। हनुमानजी ने सूर्य के ऊपरी भाग में जब राहु का स्पर्श किया तो वह भयभीत होकर वहाँ से भाग गया। उसने इन्द्र के पास जाकर शिकायत की "देवराज! आपने मुझे अपनी क्षुधा शान्त करने के साधन के रूप में सूर्य और चन्द्र दिये थे। आज अमावस्या के दिन जब मैं सूर्य को ग्रस्त करने गया तब देखा कि दूसरा राहु सूर्य को पकड़ने जा रहा है।"राहु की यह बात सुनकर इन्द्र घबरा गये और उसे साथ लेकर सूर्य की ओर चल पड़े। राहु को देखकर हनुमानजी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे। राहु ने इन्द्र को रक्षा के लिये पुकारा तो उन्होंने हनुमानजी पर वज्रायुध से प्रहार किया जिससे वे एक पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई। हनुमान की यह दशा देखकर वायुदेव को क्रोध आया। उन्होंने उसी क्षण अपनी गति रोक दिया। इससे संसार की कोई भी प्राणी साँस न ले सकी और सब पीड़ा से तड़पने लगे। तब सारे सुर, असुर, यक्ष, किन्नर आदि ब्रह्मा जी की शरण में गये। ब्रह्मा उन सबको लेकर वायुदेव के पास गये। वे मूर्छत हनुमान को गोद में लिये उदास बैठे थे। जब ब्रह्माजी ने उन्हें जीवित किया तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की। फिर ब्रह्माजी ने कहा कि कोई भी शस्त्र इसके अंग को हानि नहीं कर सकता। इन्द्र ने कहा कि इसका शरीर वज्र से भी कठोर होगा। सूर्यदेव ने कहा कि वे उसे अपने तेज का शतांश प्रदान करेंगे तथा शास्त्र मर्मज्ञ होने का भी आशीर्वाद दिया। वरुण ने कहा मेरे पाश और जल से यह बालक सदा सुरक्षित रहेगा। यमदेव ने अवध्य और नीरोग रहने का आशीर्वाद दिया। यक्षराज कुबेर, विश्वकर्मा आदि देवों ने भी अमोघ वरदान दिये।हनुमान त्रिशिरा का वध करते हुए।हनुमान का नामकरणसंपादित करेंइन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शंकर सुवन आदि।[3]हनुमान जी का रुपसंपादित करेंहिँदू महाकाव्य रामायण के अनुसार, हनुमान जी को वानर के मुख वाले अत्यंत बलिष्ठ पुरुष के रूप में दिखाया जाता है। इनका शरीर अत्यंत मांसल एवं बलशाली है। उनके कंधे पर जनेऊ लटका रहता है। हनुमान जी को मात्र एक लंगोट पहने अनावृत शरीर के साथ दिखाया जाता है। वह मस्तक पर स्वर्ण मुकुट एवं शरीर पर स्वर्ण आभुषण पहने दिखाए जाते है। उनकी वानर के समान लंबी पूँछ है। उनका मुख्य अस्त्र गदा माना जाता है।इन्हें भी देखें संपादित करेंवनिता कासनियां पंजाब.हनुमान चालीसाबाहरी कड़ियाँ संपादित करेंविकिमीडिया कॉमन्स पर हनुमान से सम्बन्धित मीडिया है।Dedicated Website On HanumanLord Hanuman InformationHanuman World - The Online Home of Indian Culture for Young People Jai Shri ramAll Lord Hanuman related contents in Hindiसन्दर्भसंपादित करें↑ तनूरुहपदांते तु रुद्रावतार संवदेत्। । लंकापुरी ततः पश्चाद्दहनोदधिलंघन। । ७४-७४। । नारदपुराणम्- पूर्वार्धः/अध्यायः ७४↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 मई 2014.↑ "हनुमान जी के 12 नाम". आज तक. मूल से 6 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित.Hanuman Ji Attitude Status Shayari in HindiLast edited 29 days ago by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब बजरंगबलीअंजनाहनुमान जयंतीहिंदू धर्म के देवता हनुमान जी की जयंती

भगवान शिवजी के ११वें रुद्रावतार। भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त। अमर। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब// 🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹✍️ अन्य प्रयोगों के लिए,  हनुमान (बहुविकल्पी)  देखें। हनुमान  (संस्कृत:  हनुमान् ,  आंजनेय  और  मारुति  भी) परमेश्वर की  भक्ति  ( हिंदू धर्म  में भगवान की भक्ति) की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय  महाकाव्य   रामायण  में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में प्रधान हैं। वह कुछ विचारों के अनुसार भगवान  शिवजी  के ११वें  रुद्रावतार , सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। [1]  रामायण के अनुसार वे  जानकी  के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ। हनुमान जी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ  सुग्रीव  की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है। हनुमान शक्ति, ज्ञान, भक्ति एवं विजय...

हनुमान जी विकिपीडिया//

हनुमान भगवान शिवजी के ११वें रुद्रावतार। भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त। अमर। अन्य प्रयोगों के लिए,  हनुमान (बहुविकल्पी)  देखें। हनुमान (संस्कृत: हनुमान्, आंजनेय और मारुति भी) परमेश्वर की  भक्ति  ( हिंदू धर्म  में भगवान की भक्ति) की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय  महाकाव्य​ रामायण  में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में प्रधान हैं। वह कुछ विचारों के अनुसार भगवान  शिवजी  के ११वें  रुद्रावतार , सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। [1]  रामायण के अनुसार वे  जानकी  के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ। हनुमान जी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ  सुग्रीव  की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है। हनुमान शक्ति, ज्ञान, भक्ति एवं विजय के भगवान, बुराई के सर्वोच्च विध्वंसक, भक्तों के रक्...