ॐ नमः शिवाय By वनिता कासनियां पंजाब सृष्टि शिथिल न पड़ जाये इसलिए शिव तांडव नृत्य करते हैं। जो शिव करते हैं। वही सबको करना पड़ता है। शिव तांडव करते हैं। तो योगमाया पार्वती लास्य नृत्य करती हैं । तांडव उग्र है। एवं लास्य सौम्य है। उग्रता और सौम्यता के मिश्रण से ही सृजन होता है। शिव के तांडव में ही जीवन का स्पंदन छिपा हुआ है। शिव से ही सब सीखते है। पाणिनि व्याकरण प्रतियोगिता में हार गये तुरन्त शिव शरणम् हुये शिवोपासना सम्पूर्ण होने पर शिव ने चौदह बार डमरू बजाया और व्याकरण के चौदह सूत्र प्रादुर्भाव में आ गये । १ अइउण् , २ ऋलृक् ३ एओड्. 4 ऐऔच् ५ हयवरट् ६ लण् ७ ञमङणनम् ८ झभञ् ९ घढधष् १० जबगडदश् ११ खफछठथचतव् १२ कपय् १३ शषसर् १४ हल् ॥ पाणिनि ने इन्ही चौदह सूत्रों से एक एक कर अदभुत व्याकरण कोष की रचना की और इस प्रकार मनुष्य को व्याकरण की प्राप्ति हुई । कुछ नया प्राप्त करने के लिऐ , कुछ नया अविष्कृत करने के लिऐ शिव मनुष्य को माध्यम बना देते हैं। इस पृथ्वी पर मनुष्य केवल परोपकार के लिऐ ही भेजा गया है। उसने भी कुछ खोजा शिव के माध्यम से , शाश्वत बात कही । आध्यात्मिक साधकों को अपने मुख से...